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बीकानेर के पापड़ भुजिया कारोबार को दिल्ली की मार

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बीकानेर। कोरोना संकट के चलते मंदी झेल रही बीकानेर की फूड इंडस्ट्रीज को बड़ा झटका लगा है। अब पापड़ भुजिया कारोबारियों को दिल्ली से लाइसेंस बनवाने पड़ेंगे। जो अब तक बीकानेर में ही बनते थे। अब यह पहले से कई ज्यादा मंहगे पड़ेंगे। सरकार के इस निर्णय तो जैसे बीकानेर के इन उद्योगों की तो जैसे कब्र ही खोद डाली है। इस संबंध में बीकानेर जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया, विवाद एवं शिकायत निवारण तन्त्र सदस्य रमेश अग्रवाल, गंगाशहर भीनासर पापड़ भुजिया व्यापार मंडल अध्यक्ष पानमल डागा, बीकानेर फ़ूड एसोसिएशन के वीरेंद्र भंसाली व प्रकाश दम्माणी ने सूक्ष्म व लघु उद्योग पापड़, भुजिया, बड़ी व रसगुल्ला उद्योग के खाद्य सुरक्षा अनुज्ञा पत्र (फूड लाईसेंस) दिल्ली से जारी करने प्रक्रिया को रूकवाने बाबत एक संयुक्त पत्र स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को भिजवाया। पत्र में बताया गया कि बीकानेर का पापड़, भुजिया, बड़ी व रसगुल्ले के उद्योग सूक्ष्म व लघु उद्योग की श्रेणी में आते है और इन व्यवसाय से लगभग 80 हजार से 1 लाख तक श्रमिक इन उद्योगों से अपनी आजीविका चलाते हैं। इस खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 के अंतर्गत जारी होने वाले खाद्य सुरक्षा अनुज्ञा पत्र (फूड लाईसेंस) के अंतर्गत कुछ बदलाव किये गये जिसमें बीकानेर में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग में आने वाले पापड़ भुजिया रसगुल्ले (मिठाइयों) की केटेगरी के अंतर्गत आने वाले रेडी टू ईट फूड को प्रोपाइटरी फूड के अंतर्गत सम्मिलित कर दिया गया है जिसका लाईसेंस FSSAI के दिल्ली कार्यालय द्वारा ही जारी किया जाएगा। जिससे बीकानेर में लघु एवं अति सूक्ष्म व्यवसाय के अंतर्गत बीकानेर के विभिन्न पापड़ एवं भुजिया व्यवसाईयों के दिल्ली से लाइसेंस जारी करवाना एक कठिन चुनौती बन जायगी व उसका शुल्क भी 2.5 गुना लगेगा और दिल्ली से लाइसेंस जारी होने के कारण उद्यमी के लाइसेंस नंबर भी बदल जायेंगे और इन लघु उद्योगों के लाखों रूपये के पैकिंग मेटेरियल में पूर्व के अंकित लाइसेंस नंबर वाला पैकिंग मेटेरियल भी किसी काम का नहीं रह जाएगा। वर्तमान में COVID -19 के चलते वैसे भी लघु उद्योग आर्थिक तंगी से जूझ रहें है और इन हालातों में ऐसे नियम लागू करने से व्यापारियों पर एक और भारी संकट उत्पन हो जायेगा तथा रेडी टू इट केटेगरी को पूर्व की तरह वापस यथावत किया जाए। साथ ही फूड लाईसेंस के अंतर्गत इसकी वैधता के 30 दिन पूर्व ही 100 रु प्रतिदिन विलंब शुल्क लगना प्रारम्भ हो जाता है जो कि अत्यन्त ही गलत है इस नियम में भी परिवर्तन करते हुए वैधता तिथि के उपरान्त विलंब शुल्क लगाने का प्रावधान होना चाहिए।

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