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दिल्ली से लाइसेंस बनेंगे तो छोटे फूड उत्पादकों को 100 की बजाय देना होगा 7500 का शुल्क

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– विभिन्न व्यापारिक संगठनों ने दो-दो केन्द्रीय मंत्रियों से लगाई गुहार

बीकानेर। जब से बीकानेर के कारोबारियों को फूड लाइसेंस के दिल्ली से बनवाने के नियम की जानकारी मिली है तब से यहां के कारोबारी तनाव में आ गए हैं। खासकर छोटे फूड उत्पादक जैसे कचैली समोसा बनाने वाले व्यापारी बेहद चिंतित हैं। इन कारोबारियों को जहां पहले सालाना 100 रूपए शुल्क चुकाना होता था जो दिल्ली से लाइसेंस बनवाने की व्यवस्था के बाद 7500 रूपए तक चुकाना होगा। इसके चलते बीकानेर के समस्त खाद्य उत्पादक कारोबारी इस व्यवस्था के विरोध में आ गए हैं। बीकानेर जिला उद्योग संघ अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया, सचिव विनोद गोयल, बीकानेर पापड़ भुजिया मैन्युफैक्चर एसोसिएशन के चेयरमेन शांतिलाल भंसाली, सदस्य जय कुमार भंसाली, रोहित कच्छावा, बीकानेर बड़ी एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश अग्रवाल, गंगाशहर भीनासर पापड़ भुजिया व्यापार मंडल अध्यक्ष पानमल डागा ने सूक्ष्म व लघु उद्योग पापड़, भुजिया, बड़ी व रसगुल्ला उद्योग के खाद्य सुरक्षा अनुज्ञा पत्र 1 नवंबर 2020 से दिल्ली से जारी करने प्रक्रिया को रूकवाने को लेकर एक संयुक्त पत्र स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्द्धन व केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को भिजवाया है। पत्र में बताया गया कि वर्तमान में पूरा देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है और देश के सूक्ष्म एवं लघु उद्योग अपनी आजीविका के साधनों को बचाने में लगे हुए हैं। इन छोटे कारोबारियों को एक ओर तो जहां केंद्र व राज्य सरकारों से किसी राहत पैकेज की उम्मीद है वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार द्वारा 1 नवंबर 2020 से फूड लाइसेंस की प्रक्रिया में बदलाव करने का फैसला लेते हुए इन सूक्ष्म व लघु उद्योगों की कमर तोड़ने की पूरी तैयारी की जा रही है।

सूक्ष्म और लघु उद्योग जो घर से संचालित हो रहे हैं जैसे पापड़, भुजिया, बड़ी, केक, नमकीन, मिठाई आदि उद्योगों को एफएसएसएआई लाइसेंस मिलना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि यह उद्योग जिस केटेगरी में आते थे उस केटेगरी को 1 नवंबर 2020 से लागू होने वाली नई प्रक्रिया में हटा दिया गया है। इसकी वजह से सभी फूड आधारित उद्योगों के एफएसएसएआई लाइसेंस दिल्ली में बनेंगे और दिल्ली से लाइसेंस जारी होने के कारण उद्यमी के लाइसेंस नंबर भी बदल जाएंगे और इन लघु उद्योगों के लाखों रूपये के पैकिंग मेटेरियल में पूर्व के अंकित लाइसेंस नंबर वाला पैकिंग मेटेरियल भी किसी काम का नहीं रह जाएगा साथ ही इस उद्योग से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे और इसके लिए उन्हें कई गुना फीस चुकानी पड़ेगी, जिसमें नमकीन या कचोली की छोटी दूकान करने वाले को वर्तमान में 100 रूपये प्रतिवर्ष फीस लगती थी जो कि इस नियम के लागू हो जाने से 7500 रूपये प्रतिवर्ष हो जायेगी। वर्तमान में 1 टन प्रतिदिन उत्पादन करने वाले उद्योगों को 3000 रूपये प्रतिवर्ष फीस लगती है और इस नियम के लागू हो जाने के बाद 7500 रूपये प्रतिवर्ष फीस लगनी शुरू हो जाएगी। प्रतिदिन 10 किलो उत्पादन हो या 10 हजार किलो दोनों प्रकार के उत्पादकों को एक ही श्रेणी में रख दिया गया है। साथ ही सेन्ट्रल लाइसेंस के अंतर्गत जो प्रावधान दिए गए हैं जैसे कि उत्पादन क्षेत्र, पैकिंग क्षेत्र, गोदाम आदि सभी अलग अलग होनी चाहिए जबकि छोटा व्यवसायी इन प्रावधानों को पूर्ण नहीं कर पाएगा। बीकानेर में मुख्यतः 50 फीसदी से अधिक एफएसएसएआई लाइसेंस धारकों पर इसका प्रभाव पडे़गा क्योंकि यहां पापड़, भुजिया, कचोरी, नमकीन, रसगुल्ला व बड़ी आदि के छोटे कारोबारी हजारों की संख्या में है और इस अधिनियम के लागू हो जाने से ये सभी सूक्ष्म एवं लघु उद्योग बंद होने के कगार पर आ जाएंगे।

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