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राष्ट्रीय धरोहर घोषित हो समस्त श्रेणी प्रजाति की भारतीय देशी गोवंश

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*जो राजनीतिक दल संगठन के इन सुझावों के अनुसार करेगा घोषणा उसे मिलेगा गो भक्तों का वोट*

*गाय, गौशाला, गोपालन, गोचर, ओरण को उचित संरक्षण एवं राज्य व राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करने को लेकर राजनीतिक दल अपने घोषणा पत्र में सम्मिलित करें संगठन के विचार*

गौ विज्ञान कामधेनु विश्वविद्यालय की स्थापना की जाए

बीकानेर । भारतीय देशी गोवंश हमारे राष्ट्र की धरोहर है, और सनातन काल से यह सनातन धर्म का आस्था का केंद्र रही है, वह वैज्ञानिक आधार पर,यह स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि की अधिष्ठात्री रही है, गाय के कारण से भारतीय कृषि, भारत का स्वास्थ्य आज तक अक्षुण बना रहा है, इन्ही धार्मिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए गाय को राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करें।
यह बात आज राजनीतिक पार्टियों के चुनाव घोषणा पत्र में गौ सेवा,गोचर आदि के बिंदु डलवाने के लिए शिवबाड़ी मठ में रखी गई भारतीय देशी गोवंश गोचर ओरण एक राज्य राष्ट्रीय धरोहर महाअभियान की बैठक में पूज्य विमर्शानंद गिरि महाराज ने कही।
आज की बैठक में भारतीय देशी गोवंश गोचर ओरण एक राज्य राष्ट्रीय धरोहर महाअभियान के संयोजक सूरजमालसिंह नीमराना ने बताया कि राजनीतिक दलों से आग्रह है ,हमारे सुझावों व मांग के बिंदुओं को अपने चुनावी घोषणा पत्र में सम्मिलित कर भारतीय समाज की भावना का आदर करें।

1.भारतीय देशी गोवंश की समस्त श्रेणी, प्रजाति को राज्य व राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।
धरोहर बनाने के लिए तीन बिंदु की आवश्यकता पड़ती है, प्रथम- उस वस्तु, व्यक्ति, जीव, जिसका सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरण, धार्मिक, आध्यात्मिक, महत्व हो। दूसरा- जो मानव जीवन के लिए बहुत उपयोगी हो, तीसरा- जिसकी नस्ल, प्रजाति समाप्त होने के समीप (कगार पर) हो। यह तीनों ही बातें भारतीय देशी गोवंश के संदर्भ में सटीक उतरती है। भारतीय देशी गोवंश की बहुत सी नस्लें समाप्ति के करीब है। यह मानव जीवन, मानव स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण, आर्थिक प्रबंधन, आदि के लिए भी बहुत उपयोगी है। अतः इसे धरोहर घोषित करके गौमाता को सम्मान प्रदान करें।

2.भारतीय देशी गोवंश की समस्त प्रजाति को उसके अनुवांशिक नाम से पुकारा जाए ना कि कैटल (मवेशी) शब्द से, सरकारी शब्दावली में गोवंश को उसके वास्तविक नाम से पुकारा जाए जैसे- गाय, बछड़ा, बछड़ी, बैल, नंदी, सांड आदि आदि और अंग्रेजी में काऊ,बुल,काफ,ओक्स,आदि।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 में भी गाय को गाय ही कहा गया है और उसके बाद ढोर,पशु, कैटल शब्द आया है इसलिए गाय को गाय ही कहा जाए ना की कैटल।

3. “राज्य गाय दिवस” की घोषणा करें। क्योंकि किसी भी दिवस की घोषणा उस वस्तु, धरोहर, मान्यता, गुण, उपयोगिता, मानव जीवन पर प्रभाव, पर्यावरण, स्वास्थ्य, आदि पर प्रभाव, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, उन्नति पर प्रभाव, अथवा वह प्रजाति विलुप्त्ति के समीप हो अथवा उसका बहुत ज्यादा ह्रास हो रहा हो, आदि को देखकर उस जीव,प्राणी, व्यक्ति, वस्तु आदि के नाम से दिवस की घोषणा की जाती है। जो कि हमारी गाय पर सभी बिंदु सटीक बैठते हैं इसलिए हमारी भारतीय प्रजाति की देसी गाय, गाय दिवस घोषित होने के योग्य है।

4.गोचर, ओरण की मान्यता हेतु–भारतीय पर्यावरण मान्यताओं,गोवंश के शून्य आधारित गोपालन व्यवस्था के लिए, हमारे पूर्वजों द्वारा धारित मान्यताओं पर संरक्षित संपत्ति के रूप में गोचर, ओरण का विचार, गाय के स्वस्थ और संवर्धन के लिए अतिउत्तम विचार था। उसे प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक राजा, महाराजाओं, सेठ, साहूकारों, दानदाताओं ने स्वयं पैसे देकर तत्कालीन सरकारों से भूमी खरीदकर उसे गोचर, ओरण के रूप में विकसित किया।

हमारा राजनीतिक दलों से निवेदन है कि वर्तमान में गोचर का नामांतरण राज्य सरकार के पास होता है, सरकार इस नामांतरण को “गाय” व ओरण को “देवता ” नाम से करके, इसे पूर्ण रूप से सुरक्षित करें।
भविष्य में गोचर की मालिक गाय हो एवं ओरण का मालिक देवता हो अतः इसे सरकारी रिकॉर्ड में “मालिक गाय” व देवता दर्ज किया जाए , जिस प्रकार राजस्थान की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने मंदिर माफी की भूमि, डोली की भूमि को “ठाकुर जी” के नाम कर दिया था और वह आज ठाकुर जी के नाम लिखी जाती है, इसी प्रकार गोचर की “मालिक गाय” को बनाकर उसके नाम जमीन का नामांतरण किया जाए ।
गोचर और ओरन का जो विचार हमारे मनीषियों, राजाओं, महाराजाओं सेठ ,साहूकारो ,हमारे पूर्वजों में था, उसे विचार को अक्षुण्ण बनाने के लिए राज्य सरकार “गोचर ओरण को राज्य धरोहर घोषित” करें।

5. भारतीय संविधान में गौ माता को अभय प्राप्त है, शास्त्रों में भी इसे अधन्य कहा गया है, भारतीय संविधान लिखने वालों ने उस समय कहा था कि भारत की आजादी से भी बड़ा प्रसंग संपूर्ण गोहत्या बंदी है, परंतु आज 75 वर्ष बीत जाने के बाद संपूर्ण गौ हत्याबंदी नहीं होना एक दुर्भाग्य है राजनीतिक दल राजस्थान में संपूर्ण गौ हत्याबंदी लागू करें।

👉 भारतीय देशी गोवंश पर निम्न बिंदु घोषणा पत्र में सम्मिलित करें-

1. भारतीय देसी गोवंश गाय को राज्य धरोहर घोषित करें।
2.गाय को उसकी अनुवांशिक नाम से पुकारा जाय ना की कैटल मवेशी के नाम से
3.राज्य सरकार शीघ्र “गाय दिवस घोषित”” करे।
4.7 नवंबर 1966 को “”गौ भक्त बलिदान दिवस”” घोषित किया जाए.
5.गोरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार में डाला जावे।
6.गोरक्षा को धर्म रक्षण कानून के तहत संरक्षण प्रदान किया जावे
7.गौ हत्या, गाय को प्रताड़ित करने वाले पर धर्म संरक्षण कानून,पशु क्रुरता अधिनियम,पर्यावरण संरक्षण कानून, जीव संरक्षण कानून, मौलिक अधिकार कानून, संप्रदायिक हिंसा फैलाने वाले कानून,दो समुदाय के मध्य विद्वेष फैलाने वाली धारा में मुकदमे दर्ज किए जावे।
8.गोपाष्टमी पर्व पर गोष्ठी व्याख्यान हो गोपाष्टमी पर्व पर राज्य सरकार छुट्टी घोषित करें।
10.गौ तस्करी में पकड़े गए वाहन, वाहन चालक वह वाहन मालिकों पर आबकारी अधिनियम के प्रावधानों में मुकदमा दर्ज हो।
11.गौ केंद्रित व्यवस्थाओं के शोध एवं क्रियान्वयन हेतु गौ विज्ञान कामधेनु विश्वविद्यालय की स्थापना की जावे।

👉 गोचर ओरन पर निम्न बिंदु घोषणा पत्र में सम्मिलित करें-

1.पूरे राजस्थान की गोचर गाय के नाम दर्ज हो गोचर की मालिक गाय बने।
2.पूरे राजस्थान की ओरण व देवबणी भूमि देवता के नाम दर्ज हो उसका देवता मालिक हो
3. पूरे प्रदेश की गोचर,ओरण आदि भूमि का पुनः सीमांकन करके सुरक्षित की जावे। और वर्तमान में हो रहे कब्जों को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए।
4. सार्वजनिक काम में गोचर ओरण की भूमि को अवापत करने के नियम हटाया जाए। सार्वजनिक कार्य के लिए किसानों से अथवा राजकीय भूमि का ही उपयोग लिया जाए। गोचर ओरण का नहीं यह कानून समाप्त किया जाए।
5.राज्य में “”गोचर ओरण विकास बोर्ड”” का गठन किया जाए और उसे संवैधानिक शक्तियां प्राप्त हो।
6.गोचर ओरण में सार्वजनिक हित में अधिग्रहण करने के कानून में बदलाव करके उसे संरक्षित किया जावे।
7.गोचर,ओरण विकास के लिए अलग से “””गोचर ओरण संरक्षण निधि”” बनाकर पूरे राजस्थान की गोचर,ओरण भूमिका विकास किया जाए।
8.राजस्थान सरकार “””गोचर ओरण संरक्षण दिवस””” घोषित करें।

👉 गौशाला हेतु निम्न बिंदु घोषणा पत्र में सम्मिलित करें-

1.प्रत्येक गौशाला के लिए आकस्मिक घटना घटने पर जेसे तूफान आना,आग लगना, तेज बरसात आदि कारण से यदि गौशाला का कोई आर्थिक नुकसान होता है तो उसका नुकसान की भरपाई राज्य सरकार संवर्धन निधि की आरक्षित निधि में से करें। उसे तुरंत आपदा प्रबंधन की तरह आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाए।
2.गौशाला का अनुदान प्रति गोवंश छोटे बड़े के अनुसार 50 व ₹100 किया जावे।
3.चिकित्सा टृमो सेंटर चलाने वाली गौशाला को 12 महीने अनुदान मिले वह निशुल्क दवाई और मेडिकल इक्विपमेंट, चिकित्सक व पशुधन सहायक उपलब्ध करवाए जावे।
4.गौशाला सेस से प्राप्त पूरी राशि का उपयोग गौ संवर्धन और संरक्षण में किया जाए, गौशाला सेस की राशि का उपयोग सरकारे अपने अन्य मदों में नहीं करें।
5.गोशालाओ व गोपालक को चारा खाद्य सुरक्षा अधिनियम व आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत लेकर वितरित किया जावे। ताकि इसकी कालाबाजारी,भंडारण ना हो सके और मूल्यवर्द्धी भी ना हो।
6. गौशाला के ग्वालों की “”ग्वाल पेंशन योजना”” प्रारंभ की जावे।
7. संभाग स्तर पर गौ अभयारण्य बनाया जावे बीकानेर के गौ अभयारण्य को सरकार बनने के तीन माह के अंदर-अंदर संचालित किया जाए।

👉 गोपालक के हित निम्न सुझाव घोषणा पत्र में सम्मिलित किया जाए-

1 पांच से अधिक देशी गोवंश पालने वाले प्रत्येक गोपालक को 2000 रुपए प्रतिमाह अनुदान दिया जाए
2. राज्य सरकार की डेयरी द्वारा खरीदे जाने वाले गाय के दूध पर ₹15 प्रति फैट की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जाए।
3.गोपालन को राज्य आपदा प्रबंधन योजना में शामिल किया जाए, जिससे महामारी आदि में गोपालक को आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़े।
4.राज्य के प्रत्येक जिले में चारा बैंक बनाया जाए ताकि संकट के समय व फसल ऋतु के बाद चारा सरलता से उपलब्ध हो सके।

भारतीय देशी गोवंश गोचर ओरण राज्य एवं राष्ट्रीय धरोहर महाअभियान के संयोजक सूरजमालसिंह नीमराना ने बताया कि आज की इस महति बैठक में गौ भक्त पूजा मोहता देशनोक, गंगाशहर गोचर के अध्यक्ष बंसीलाल तवंर, संघ के ग्राम विकास प्रमुख निर्मल बरडिया, भीनासर गोचर के अध्यक्ष कैलाश सोलंकी, राष्ट्रीय गाय आंदोलन राजस्थान के प्रेम सिंह घुमांदा, बीकानेर गौशाला संघ के सुनील व्यास, शंकर लाल पारीक अकासर,बलदेव दास भदानी, विश्व हिंदू परिषद के हरिकिशन व्यास, बसंत कुमार शर्मा चांद वीर सिंह, एडवोकेट जलज सिंह जनवार,प्रकाश पारीक नापासर, कर्मचारी नेता विजय सिंह राठौड़, रणवीर सिंह रावतसर, किशोर बांठिया, गौ ग्राम सेवा संघ के महेंद्र सिंह लखासर,गो भक्त नरेंद्र स्वामी,विजय सिंह, सूरज प्रकाश राव, मनोज सेवक, मोहित राव आदि ने भाग लिया।

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