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खाने के लिए दाना नहीं वह कहां से एंड्रॉइड फोन लेकर कैसे ई-पास बनवाएं? हाईकोर्ट ने गहलोत सरकार से 24 घंटे में मांगा जवाब

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जोधपुर। भूखे-प्यासे अपने बच्चों को गोद में उठाए सड़कों पर चल रहे श्रमिकों की आवाज आखिर राजस्थान हाईकोर्ट ने सुन ली है। राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संगीत लोढ़ा की खंडपीठ ने सड़कों पर भूखे-प्यासे चल रहे श्रमिकों, राजस्थान की सीमा पर फंसे प्रवासियों और अन्य राज्यों से सफर की अनुमति प्राप्त लोगों को प्रदेश में प्रवेश नहीं करने दिए जाने पर अशोक गहलोत सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब इस मामले में आगामी शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी।

लाखों प्रवासियों को राहत क्यों नहीं दे रही है सरकार
याचिकाकर्ता हरिसिंह राजपुरोहित की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह ने हाईकोर्ट में पक्ष रखते हुए बताया कि करीब 19 लाख लोगों ने राजस्थान आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। राज्य सरकार उनके लिए रेल और बस की सुविधा क्यों नहीं दे रही है?  याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में आगे कहा कि, 11 दिन हो गए हैं रेल संचालन शुरू किए हुए लेकिन राज्य सरकार गुजरात और महाराष्ट्र से ट्रेनें संचालित कर लाखों प्रवासियों को राहत क्यों नहीं दे रही है?
प्रदेश सरकार द्वारा राजस्थान की सीमा सील कर देने को लेकर याचिका में कहा गया है कि हजारों की संख्या में राजस्थान की सीमा पर यात्री फंसे हैं। सरकार कहती है कि ई-पास जारी करवाएं। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मोती सिंह ने खंडपीठ के समक्ष सवाल उठाया कि जिस व्यक्ति के पास खाने के लिए दाना नहीं और बिना चप्पल सड़क पर पैदल चल रहा है, वह कहां से एंड्रॉइड फोन लेकर कैसे  ई-पास बनवाएं?

24 घंटे में जवाब देने के निर्देश
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने खंडपीठ के समक्ष बताया कि जब महाराष्ट्र सरकार या गुजरात सरकार ने किसी व्यक्ति को कर्फ्यू के दौरान यात्रा करने की अनुमति दे दी है तो उसे राजस्थान सरकार से फिर से अनुमति लेने की आवश्यकता क्यों है? ऐसे में इस बाध्यता को समाप्त किया जाए। जिस पर राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस संगीत लोढ़ा की खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नोटिस थमाते हुए सरकार को 24 घंटे में जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि सड़क पर पैदल चलने वाले श्रमिकों के लिए सरकार ने क्या व्यवस्था की है?
अब इस मामले में आगामी शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखेंगे। वहीं अधिवक्ता मोती सिंह याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करेंगे।

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