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विधि एवं न्यायिक सेवाओं में है बीकानेर का वर्चस्व, सिविल सेवाओं के लिए लगें कक्षाएं-शिक्षा मंत्री

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*बीजेएस रामपुरिया जैन लॉ कॉलेज का वार्षिकोत्सव आयोजित*

बीकानेर, 1 मई। शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि विधि एवं न्यायिक सेवाओं में बीकानेर का प्रभावी वर्चस्व है। यहां के युवा सिविल सेवाओं में भी चयनित हो सकें, इसके मद्देनजर विभिन्न संस्थाएं आगे आएं और अच्छे कोचिंग प्रारम्भ करें। डॉ. कल्ला ने सोमवार को बीजेएस रामपुरिया जैन लॉ कॉलेज के वार्षिकोत्सव ‘सरगम-2023’ के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि बीकानेर में वर्ष 1969 से एलएलएम की कक्षाएं चल रही हैं। इस कारण यहां विधि शिक्षण के प्रति गहरा रुझान है। गत वर्ष राज्य के 33 जिलों में से 17 जिलों के जिला एवं सेशन न्यायाधीश बीकानेर से पढ़े विद्यार्थी थे। वर्तमान में हाईकोर्ट में यहां पांच जज हैं। यह हमारे लिए गर्व का विषय है।

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डाॅ कल्ला ने चिंता जताते हुए कहा कि सिविल और राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में बीकानेर का प्रतिनिधित्व नहीं के बराबर है। हमें इस ओर ध्यान देने की जरूरत भी है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर शैक्षणिक सहित अन्य संस्थाएं आगे आएं और यहां ऐसी स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग कक्षाएं लगाएं। उन्होंने कहा कि ऐसा होगा तो यहां के युवाओं को आगे बढ़ने का सकारात्मक माहौल मिलेगा।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि रामपुरिया जैन लॉ कॉलेज के अनेक विद्यार्थियों ने भी विधि और न्यायिक सेवाओं में संस्थान का नाम रोशन किया है। वर्तमान में यहां अध्ययन कर रहे युवाओं का दायित्व है कि वे परम्परा को बनाए रखने का प्रयास करें। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए पूरी तन्यमता के साथ पढ़ने की सीख दी और कहा कि सफलता का कोई शॉर्टकर्ट नहीं होता। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बीकानेर में स्तरीय विश्वविद्यालय, रिसर्च सेंटर आदि संचालित हैं। हाल ही में दो नए महाविद्यालय स्वीकृत किए गए हैं।
महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलसचिव अरुण प्रकाश शर्मा ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले महाविद्यालय के पूर्व विद्यार्थियों के सम्मान को अच्छी पहल बताया।

अतिरिक्त कुल सचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने पहली बार 1300 से अधिक एसोसिएट प्रोफेसरों को पदौन्नत करते हुए प्रोफेसर बनाया है। इससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित हुए हैं।
कॉलेज शिक्षा के पूर्व सहायक निदेशक डॉ. राकेश हर्ष ने कहा कि जिले के प्रमुख राजकीय डूंगर एवं एमएस कॉलेज में नए संकाय खुलने के साथ यहां के संसाधनों में इजाफा हुआ है। इससे शिक्षा के स्तर में और अधिक गुणवत्ता आएगी।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनन्त जोशी ने स्वागत उद्बोधन दिया और संस्था की विभिन्न गतिवधियों के बारे में बताया।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय स्तर पर पहली बार एलएलबी तथा एलएलएम में महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने पहला स्थान हासिल किया है। इस दौरान लवीना मोदी तथा धीरज चायल का गोल्ड मेडल प्राप्त करने पर सम्मान किया गया। इन विद्यार्थियों को प्रबन्ध समिति के द्वारा 11 हजार रुपये का नगद पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस दौरान महाविद्यालय के विद्यार्थी तथा पत्रकार लक्ष्मण राघव ने विचार व्यक्त किए। तत्पश्चात् महाविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी तथा राजीव यूथ क्लब के अध्यक्ष अनिल कल्ला, पत्रकार लक्ष्मण राघव और विधि अधिकारी नवरतन सिंह राठौड़ को उनके सार्वजनिक जीवन में उल्लेखनीय कार्यो के लिए सम्मानित किया गया।

महाविद्यालय के छात्र अभिलाष कल्ला तथा कोमल भाटी का राजस्थान न्यायिक सेवा में चयन होने पर तथा नवरतन सिंह राठौड, लवीना मोदी, मुकेश पुरोहित, रोहित श्रीमाली, कमल किशोर मोदी, कल्पना सोनी, ललित बन्धु शर्मा के विधि अधिकारी पद पर चयनित होने पर सम्मान किया गया। वहीं विभिन्न परीक्षाओं में पहले तीन स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को भी इस दौरान सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रितेश व्यास ने किया।

इस दौरान नगर विकास न्यास सचिव यशपाल आहूजा, राजकीय डूंगर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नरेन्द्र नाथ तथा पूर्व प्राचार्य प्राॅ जी.पी. सिंह, राजकीय विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. भगवाना राम बिश्नोई, ज्ञान विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बीएल बिश्नोई, सिस्टर निवेदिता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रितेश व्यास, रामपुरिया महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. पंकज जैन, जैन महाविद्यालय के निदेशक डाॅ. शिवरामसिह झाझडिया सहित विभिन्न महाविद्यालयों के प्रतिनिधि, विद्यार्थी और अभिभावक मौजूद रहे। विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक भावना से ओतप्रोत कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
इस अवसर पर महाविद्यालय के व्याख्याता एस. के. भाटिया, डाॅ. बालमुकुन्द व्यास, डाॅ. शराफत अली, डाॅ. प्रीति कोचर, डाॅ. भरत जाजड़ा, सुनीता लूणिया, डाॅ. परज सिंघवी, डाॅ. पीयूष किराडू, पवन सारस्वत, श्यामनारायण रंगा भी मौजूद रहे।

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