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अभिभावकों की जेब खाली कराने का तरीका साबित हो रही हैं बाल वाहिनियों की हड़ताल

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बीकानेर । पिछले एक दशक की हिस्ट्री देखें तो बाल वाहिनियों की हड़ताल अभिभावकों की जेब खाली कराने का तरीका ही साबित हो रही हैं। दस साल पहले जब बाल वाहिनियों में क्षमता से ज्यादा बच्चे बैठाएं जाने लगें तो प्रशासन ने सख्ती बरती, उन पर जुर्माना लगाया। इस कवायद का परिणाम यह रहा कि वाहन संचालकों ने किराया बढ़ा दिया जो अभिभावकों की जेब पर सीधी मार थी। क्योंकि बढ़ोतरी भी 300-800 रुपए थी। एक तरीके से जुर्माना अभिभावकों से ही वसूला गया। प्रशासन की इस कवायद का दूसरा परिणाम यह सामने आया कि समय बीतने के साथ बाल वाहिनियों के संचालकों ने फिर से क्षमता से ज्यादा बच्चे बैठाने शुरू कर दिए। इससे हुआ यह कि बच्चों को फंस कर स्कूल जाना पड़ रहा है और अभिभावक अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। यहां सवाल उठता है कि जब पिछली हड़तालों में तय हो गया था कि क्षमता से ज्यादा बच्चे नहीं बैठाएंगे फिर भी क्यों बैठाएं जा रहे हैं? शायद संचालक यह मानकर बैठें कि अपने तो कमाई करें जब प्रशासन सख्ती बरतेगा तब जुर्माना अभिभावकों से भरपाई कर लेंगे। प्रशासन ने भी नियमित चेकिंग जारी रखी होती तो बाल वाहिनी संचालक हर साल ऐसी हिमाकत नहीं करतें। बुधवार को हुई हड़ताल के बाद प्रशासन व वाहन यूनियन की समझौता वार्ता में यह भी तय होना चाहिए कि वे किराए में बढ़ोतरी नहीं करेंगे और करेंगे भी तो नये शैक्षणिक सत्र से और बढ़ोतरी भी सालाना 1200 रुपए से ज्यादा नहीं करेंगे। – राजेश रतन व्यास बाल वाहिनियों के संचालकों से एक अभिभावक ने पूछे ये सवाल👇 जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

बाल वाहिनियों के अचानक हड़ताल पर जाना उनकी हठधर्मिता बच्चो को परेशान करने पर माफी मांगे बाल वाहिनी संचालक

बाल वाहिनियो के संचालकों द्वारा कल (बुधवार) अकस्मात हड़ताल पर चले जाने से हजारों बच्चो और उनके अभिभावकों को परेशान होना पड़ा और बच्चे घंटों स्कूल के बाद घर से दूर रहे। परेशान हुए धूप से, भूख से। इसके लिए कल (गुरुवार) से बाल वाहिनियों के पक्ष में बुद्धिजीवियों के बयान आ रहे है कोई संभागीय आयुक्त को हीरोगिरी बता रहा है कोई उस आदेश को तुगलकी।
अरे, तुगलकी आदेश तुरंत हो जाते थे और ऐसा कल बाल वाहिनियों ने किया बिना पूर्व सूचना के हड़ताल पर गए और सबको परेशान किया।

इसके लिए तुरंत बाल वाहिनी संचालक बच्चों के अभिभावकों से माफी मांगे। क्योंकि ये उनकी हठ धर्मिता की पराकाष्ठा थी। ये वही बच्चे है जो आपको सालों से पोषित कर रहे है। इनके बूते आपका घर चल रहा है। उन नोनिहालो को आपकी वजह से भूखा रहना पड़ा माफी तो आपको मांगनी होगी।

अब बात करते है संभागीय आयुक्त के आदेश की

जनता और अभिभावकों को यह समझना होगा की संभागीय आयुक्त का आदेश दस से 12 दिन पहले आया था की 1 अगस्त से ओवरलोड बाल वाहिनियों का चालान काटा जाएगा। बाल वाहिनी संचालक तब तक इस बात की व्यवस्था कर ले कि उनकी गाड़ियों में संख्या से अधिक बच्चे ना हो और उसके लिए पूरा समय दिया गया फिर भी बाल वाहिनियां ओवरलोड पाई गई।

अब अगर इतने समय में भी आपके द्वारा व्यवस्था नहीं की जाती है तो इसका सारा दोष आपका स्वय का है। बाल वाहिनी संचालक महोदय फिर दोष सरकारी व्यवस्था को क्यों और इसका खामियाजा बच्चे क्यों भुगते?

जब भी कोई बाल वाहिनी दुर्घटना ग्रस्त हो जाती है तब चारों ओर से आवाज आती है कि बाल वाहिनी में जरूरत से ज्यादा बच्चे थे सरकार और प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा। तब यही बुद्धिजीवी वर्ग सरकार को और व्यवस्था को कोसने लगता है। अब जब सुधार करने के लिए कार्य किया उसमें भी बाल वाहिनियों को समय दिया गया और तय समय में भी बाल वाहिनियों के संचालकों ने उचित व्यवस्था नहीं की तब भी दोष सरकारी आदेशों को?

आदरणीय अभिभावक महोदय
जरा सोचो इन बाल वाहिनियों के संचालकों को हम उनकी मांगी गई राशि ही महीने प्रारंभिक (एडवांस) के रूप में देते है जो होती भी ज्यादा है सवाल तो ये उठना चाहिए कि

👉जब हमने आपको आपकी मांगी गई राशि दी तो हमारे बच्चे परेशान क्यों?

👉 आपको कोई सरकारी व्यवस्था या आदेश से परेशानी है तो बिना पूर्व सूचना के हड़ताल क्यों?

👉 बच्चे जिनको हम आपके भरोसे छोड़ते है तो अपनी जिमेदारी निभाने से आपने मुंह मोड़ा क्यों?

👉 हड़ताल पर जाना आपका अधिकार है अपनी मांगों के लिए तो बच्चो का सकुशल पहुंचना भी उनका अधिकार है उसका हनन क्यों?

👉आपकी तुरंत हड़ताल जायज और सरकार का समय से पहले दिया आदेश तुगलकी फरमान ऐसा दोगला व्यवहार क्यों?

👉जब आपके द्वारा तय राशि से अधिक महीना अभिभावकों से लिया जाता है तो बच्चो को सुविधा से वंचित रखना क्यों?

👉 मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार आपकी गाड़ी समय को पूरा कर चुकी फिर भी हमारे बच्चो को आपके द्वारा उन कबाड़ की गाड़ियों में ले जाने का कार्य क्यो?

👉आप हड़ताल करो कोई दिक्कत नही लेकिन अभिभावकों को सूचना देकर की हम नही आयेंगे आप अपनी व्यवस्था स्वयं करे।

जवाब आपको भी देना पड़ेगा बाल वाहिनियों के संचालकों?

नितिन वत्सस
एक पीड़ित पिता अभिभावक

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