BikanerExclusive

केन्द्रीय जेल में कैदी चल रहे हैं शतरंज की चाल

0
(0)

बीकानेर, 25 जून। जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल की पहल पर केन्द्रीय कारागृह के बंदियों के लिए शतरंज प्रशिक्षण कार्यशाला शनिवार को प्रारम्भ हुई।
इस अवसर पर जिला कलक्टर ने कहा कि बंदियों के बौद्धिक विकास में शतरंज की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। इसे ध्यान रखते हुए यह पहल की गई है, जिससे आपराधिक गतिविधियों से दूर होकर बंदी जीवन को नए दृष्टिकोण से देख सके।

उन्होंने बताया कि पहले चरण में प्रशिक्षण कार्यशाला के बाद 80 बंदियों के मध्य एक प्रतियोगिता का आयोजन होगा। इस प्रक्रिया को सतत रूप से आगे बढ़ाया जाएगा।
जिला कलक्टर ने कहा कि शतरंज में प्रत्येक मोहरे चलाते समय नियमों की पालना जरूरी होती है, ठीक उसी प्रकार जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव में भी नियमों का अनुसरण जरूरी होता है। नियमों की पालना हमें गलत रास्ते पर चलने से बचाती है।

उन्होंने बताया कि बीकानेर में शतरंज के प्रति सकारात्मक वातावरण बनाने के प्रयास होंगे। वर्तमान में बालिका गृह की बालिकाओं को शतरंज का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब कारागृह में भी यह शुरूआत की गई है। स्कूली बच्चों को भी चेस का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए इच्छुक शिक्षकों को प्रशिक्षक के रूप में तैयार किया जा रहा है।

स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष महेश शर्मा ने कहा कि बीकानेर में शतरंज के प्रति माहौल रहा है। प्रशासन के सहयोग से इसमें और अधिक गति मिलेगी तथा शतरंज घर-घर पहुंच सकेगी।
शतरंज संघ के एड. एस. एल. हर्ष ने कहा कि शतरंज अनुशासन के साथ आगे बढ़ने की सीख देता है। उन्होंने जिला शतरंज संघ द्वारा गत दिनों आयोजित प्रशिक्षण शिविर और शतरंज से संबंधित अन्य गतिविधियों की जानकारी दी।
जेल अधीक्षक आर. अनंतेश्वरन् ने आभार जताया। इस दौरान शतरंज संघ के उम्मेद सिंह, रामकुमार, नरपत सेठिया और अशोक धारीवाल मौजूद रहे।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply