BikanerExclusiveInternational

रेगिस्तान की रानी हिमालय में लिख रही है साहस की कहानी

0
(0)

बीकानेर रेगिस्तान के तपते धोरों से निकल कर हिमालय के खतरनाक दर्रों को नापना कोई हंसी मजाक नहीं है। इसके लिए साहस, समर्पण और चाहिए कठोर परिश्रम की इच्छा शक्ति। इन्हीं शब्दों को सार्थक कर रही है बीकानेर की जवाहर नगर निवासी डॉ सुषमा बिस्सा। जी हां, फिट फिफ्टी वूमंस ट्रांस हिमालयन एक्सपीडिशन के दल में शामिल बिस्सा साहस की कहानी लिख रहीं हैं। यह दल बुधवार को फाल्गुनी पास (13000 फिट) जलजला जांगला पास (14912 फिट) डोलफा रीजन के धुले गांव में पहुंचा । संस्था सचिव आर के शर्मा ने बताया कि लगातार खराब मौसम के कारण 13 हजार फीट पर ट्रैकिंग की गई । जिसमें देवराली पास जैसे दर्रे पार करने के बाद दल के सदस्यों ने धुले गांव में कैंप स्थापित किया ।

दल की सदस्य डॉ सुषमा बिस्सा ने बताया कि लगातार 9 दिन से पश्चिमी नेपाल के क्षेत्र में संपर्क का कोई साधन नहीं होने के कारण काफी दिक्कतें भी उठानी पड़ी । तेज हवाएं व बर्फबारी के कारण दल के सदस्यों को बहुत ही मुश्किल से पदयात्रा करनी पड़ी । लगातार 1100 फिट से चढ़ाई शुरू करने के बाद 15 हजार फीट तक की ऊंचाई पर बने दर्रे को पार करके वापस 11 -12 हजार फीट की ऊंचाई पर ही दल को पहुंचना होता है ।

कल की पदयात्रा 28 किलोमीटर से ज्यादा की थी और ऐसी दुरूह परिस्थिति में लगभग 13 से 14 घंटे की पदयात्रा करने के बाद गंतव्य तक पहुंच पाए हैं । लगभग एक सप्ताह की यात्रा के बाद दल के सदस्य भारत सीमा में पहुंचेंगे जहां से हिमालय की सीमा पर पदयात्रा करते हुए अंतिम पड़ाव लेह तक जाएंगे । टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस दल में देश भर की 50 वर्ष से अधिक की आयु की महिलाएं सुश्री बचेंद्री पाल के नेतृत्व में पिछले 3 महीने से पदयात्रा कर रही हैं ।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply