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मास माइग्रेशन को नियंत्रित और सुरक्षित करना समय की जरूरत : डॉ. मेघना शर्मा

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बीकानेर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सूची में शामिल शोध जर्नल दृष्टिकोण, जर्नल ऑफ कंटेंपररी इंडियन इकॉनमी एंड एकेडमिक्स फॉर नेशन द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को बीकानेर के एमजीएसयू के इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ मेघना शर्मा ने संबोधित किया। उन्होंने माइग्रेशन के संवैधानिक अधिकारों का हवाला देने के साथ साथ, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए माइग्रेशन और वर्तमान में कोविड-19 के दौरान हुए माइग्रेशन का एक तुलनात्मक चित्रण प्रस्तुत किया। अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार का विषय माइग्रेशन एंड रिवर्स माइग्रेशन इन द एज ऑफ कोविड-19 – इश्यूज, चैलेंजिस एंड ऑपर्च्युनिटीज रहा।
उद्घाटन सत्र में भारतीय इतिहास शोध परिषद, नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रोफ़ेसर कुमार रत्नम, द यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स, कैनबरा (ऑस्ट्रेलिया) के प्रो .अशोक शर्मा, और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, नोएडा के कुलपति प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा अतिथि के रूप में मौजूद रहे। अलग अलग सत्रों में यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, इंग्लैंड के डॉ. विकास पांडे,  हीब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ येरूशलम, इजरायल के डॉ.अभिनव शर्मा, एप्लाइड मीडिया, हॉयर कॉलेजेज ऑफ टेक्नोलॉजी, दुबई (संयुक्त अरब अमीरात) की डॉ प्रियंका दासगुप्ता व साउथ एशिया इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ हीडिल्बर्ग, जर्मनी के प्रो. प्रलय कानूनगो आदि ने संबोधित किया।
20 और 21 जून को आयोजित वेबीनार के दूसरे दिन सातवें तकनीकी सत्र में डॉ. मेघना शर्मा ने महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर का प्रतिनिधित्व करते हुए माइग्रेशन के फायदे, नुकसान और सामाजिक प्रभावों पर आधारित अपने प्रस्तुतीकरण में कोविड-19 में बड़े स्तर पर हो रहे माइग्रेशन को नियंत्रित और सुरक्षित करने को समय की ज़रूरत बताया।  दो दिवसीय संगोष्ठी में विदेशी विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त देशभर के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के विद्वानों ने अपने विचार रखें जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, आई आई एम, बेंगलुरु इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, गोरखपुर विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय, कल्याणी विश्वविद्यालय, कोलकाता, जम्मू के केंद्रीय विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, गुजरातवके केंद्रीय विश्वविद्यालय, गांधीनगर, गुजरात, हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय, नारनौल, हरियाणा, राजस्थान के केंद्रीय विश्वविद्यालय, अजमेर, रांची और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार आदि के विद्वान शामिल रहे। 

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