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मिठाई की दुकानों में फिकी रह गई ग्राहकी

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– बड़ी संख्या में विवाह कैंसिल होना व समारोह में 50 आदमियों की लिमिट बनी मिठाई कारोबार में बड़ा ब्रेक
– 70 से 80 फीसदी टूटा कारोबार
बीकानेर। कोरोना वायरस जैसी महामारी ने बीकानेर के मिठाई कारोबार को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है। अचानक लाॅक डाउन लग जाने से दुकानदारों एवं उद्यमियों के सामने मिठाईयों को खपाने की बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी। कई फैक्ट्री मालिकों एवं दुकानदारों ने मार्च एवं अप्रेल के सावों के बड़े ऑर्डर तक ले रखे थे। इनमें से कईयों ने ऑर्डर के अनुरूप तैयारियां भी कर ली थी तो कईंयों की प्लानिंग धरी की धरी रह गई। समस्त ऑर्डर कैंसिल करना ही आखिरी विकल्प बचा था। अंत में हारकर कुछ मिठाईयों को कच्ची बस्तियों में वितरित करना पड़ा तथा कुछ बची मिठाईयों को सावधानी पूर्वक डेस्ट्राॅय करना मजबूरी हो गई। इतना ही नहीं देश के अनलाॅक होने के बाद भी इन मिठाई कारोबारियों को राहत नहीं मिल पा रही है। अभी तक भी ग्राहकी परवान नहीं चढ़ पा रही है। इसमें सामूहिक आयोजनों पर लगी बंदिषें सबसे बड़ा कारण बन कर सामने आ रही हैं। मिठाई कारोबारियों का कहना है कि अभी ग्राहक इस महामारी से इतना भयभीत है कि घर से बाहर ही नहीं निकल रहा है। दुकानों एवं फैक्ट्रीयों में सैनेटाइज करने संबंधी सारे उपाय किए जा रहे हैं इसके बावजूद चिंतित ग्राहक दुकान तक नहीं पहुंच पा रहा है। कारोबारियों ने बताया कि हजारों की संख्या में मैरिज कैसिंल होना और अनलाॅक के बाद 50 से ज्यादा लोगों को विवाह समारोह में शामिल नहीं होने की पाबंदी इस कारोबार की रफ्तार में बड़ा ब्रेक साबित हो रही है। इसके चलते 70 से 80 फीसदी बाजार टूट गया है। गौरतलब है कि बीकानेर में रसगुल्ला आदि मिठाई की करीब 40 फैक्ट्रीयां और लगभग 100 से 150 मिठाई के रिटेल काउंटर है। इसके हिसाब से टनों मिठाई लाॅकडाउन के चलते खराब हो गई और करोड़ों रूपए का नुकसान इस कारोबार को हुआ है।

घबराया हुआ है कारोबारी

कारोबारियों से जब मौजूदा स्टाॅक के बारे में जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि अब वे पहले के मुकाबले कम मात्रा में मिठाई का स्टाॅक रख रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना का कहर अभी जारी है। इसलिए कब कफ्र्यू लग जाए इस अनिश्चतिता में नुकसान से बचने के लिए सावधानी बरत रहे हैं। क्योंकि कुछ मिठाईयां तो ऐसी होती है जो फ्रिज में एक टाइम पीरियड तक रखने के बाद ही खराब होने लगती है। जब डिमांड अच्छी रहती है तब मिठाईयां निकल जाती है, लेकिन अभी डिमांड कम होने के कारण रिस्क नहीं ले सकते। इससे जाहिर है कि वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर अभी कारोबारी वर्ग घबराया हुआ है।

लैबर का पलायन बनी समस्या

कारोबारियों का कहना है कि उनके यहां यूपी एवं बिहार की लैबर काम करती है। लाॅकडाउन के एक पीरियड तक रूकी रही, लेकिन जैसे ही 25 मई के करीब श्रमिक रेल सेवा प्रारम्भ हुई लैबर ने पलायन करना स्टार्ट कर दिया। इनमें बिहार की लैबर तो यहीं रह गई, लेकिन यूपी की लैबर मन उचाट होने की बात कह कर चली गई। यही वजह है कि धीरे धीरे लैबर की समस्या भी आ रही है।

कोढ़ में खाज का काम कर रहा है भुगतान चुकाना

कारोबारियों ने बताया कि हमें राॅ मैटरियल उपलब्ध करवाने वाली पार्टियों को पेमेंट करना इस कोरोना काल में उपजी मंदी में कोढ़ में खाज का काम करने जैसा प्रतीत हो रही है। उन्होंने बताया कि जैसे पषुपालकों से हमने दुध एवं मावा कारोबारियों से मावा लिया और मिठाईयां तैयार कर कैटरिंग वालों को उपलब्ध करवाई, लेकिन लाॅक डाउन लगने के बाद कैटरिंग वालों के पास पेमेंट नहीं आ रहा है। इससे हमें पेमेंट नहीं मिल रहा और न ही हम आगे पषुपालकों व मावा वाले को भुगतान कर पा रहे हैं। नाम मात्र की ग्राहकी ने भी इस समस्या को बढ़ा दिया है। इधर लाॅक डाउन के दौरान बंद इकाईयों का बिजली का भारीभरकम बिल चुकाना चिंता कारण बना हुआ है। इसमें किसी प्रकार की कोई छूट तक नहीं मिल रही है।

इनका कहना है-

निर्जला एकादशी जैसे त्यौहार पर महज 15 प्रतिशत ग्राहकी रही है। लोग डर के मारे बाहर ही नहीं आ रहे हैं। बार-बार कफर्यू लगने से भी कारोबार पर असर पड़ रहा है। लाॅक डाउन लग जाने से राॅ मैटेरियल खराब हो गया था। छैने की मिठाई के आइटम, मावे के आइटम व बेसन खराब हो गया। जो मिठाई खराब हो गई उसे सावधानी बरतते हुए डेस्ट्राॅय  कर दिया। लाॅक डाउन अवधि में 12 से 15 पेटी का नुकसान हुआ। अभी हम लिमिट से माल बना रहे हैं क्योंकि पता नहीं कब क्या हो जाए। अब ऐसा होता भी तो एक दिन के माल का नुकसान मान कर चले रहे हैं। इस साल तो ऐसी ही ग्राहकी रहेगी। अब तो 2021 से ही उम्मीदे हैं।
– राजेन्द्र अग्रवाल, डायरेक्टर, रूपचंद मोहनलाल, जस्सूसर गेट

इस कोरोना वायरस ने हर प्रकार से नुकसान पहुंचाया है। अचानक लाॅक डाॅउन लगने से खीर चमचम, रसमलाई जैसी दूध की  मिठाईयां तो खराब हो गई और उन्हें जमीन में गाड़ना पड़ा जो क्वालिटी में सही बची थी उन्हें कच्ची बस्ती में बंटवा दिया। इस प्रकार 2 से 3 लाख का नुकसान मानकर चल रहे हैं। अभी भी हालात यह है कि ग्राहकी मुष्किल से 15 फीसदी ही रही है।
– मनु राठी, प्रमुख, श्री कृष्णा स्वीट्स, जस्सूसर गेट

इधर सीजन आया उधर लाॅक डाउन लग गया। आखातीज के सावे भी ऐसे ही निकल गए। कोरोना ने अर्थ व्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। लाॅक डाउन से पहले जहां एक रूपया ग्राहकी थी वो अभी घटकर महज 25 पैसे रह गई है। धीरे-धीरे सुधार होगा। हमें उम्मीद है कि जून के दूसरे सप्ताह के एंड तक स्थिति सुधर जाएगी।
– श्याम सुंदर पुरोहित, सागरमल भुजियावाला, जस्सूसर गेट

पिछले साल के मुकाबले इस निर्जला एकादशी को महज 20 फीसदी ही ग्राहकी रही। रूटिन में भी 10 फीसदी ग्राहकी ही रही है। विवाह आदि समारोह में 50 आदमी की लिमिट रखी है तो मिठाई नमकीन की खपत कैसे होगी। धार्मिक आयोजन बंद, पार्टिया बंद है। जहां मिठाई नमकीन की सर्वाधिक खपत होती है ये सब आयोजन बंद है। अनिश्चितता की स्थिति है। फैक्ट्री में स्टाॅक का नुकसान अधिक हुआ है। बीते 22 मार्च के सावे का काम ले रखा था जनता कफ्र्यू लगने से सब बेकार हो गया। रिटेल में दूध का आइटम बिना फ्रिज 4 घंटे में खराब हो जाता है। तब समझ सकते हैं काउंटर बंद होने की स्थिति में सिटी में कितना नुकसान हुआ होगा।
– अभिषेक सिंगोदिया, किशन स्वीट्स, जोशीवाड़ा

अभी 10 फीसदी काम ही है। लाॅक डाउन के चलते मिठाई कारोबारियों को डायरेक्ट इन डायरेक्ट नुकसान तो करोड़ों रूपयों का हुआ है। ऑर्डर आने के बाद टीन पैक माल पहले तैयार होता है और उसे महीने दो महीने पहले माल भेजना चालू कर दिया जाता है। आखातीज तक लोगों का माल बिक जाता है, लेकिन लाॅक डाउन लगने से करोड़ो रूपए का माल रह गया। इन डायरेक्ट रूप से ब्याज बट्टे, खाली बैठी लैबर का पेमेंट आदि का नुकसान हुआ। बिजली कम्पनियां बंद पड़ी इकाईयों का फिक्स चार्ज क्यों ले रहे हैं। जब फैक्ट्री चल ही नहीं तब चार्ज किस बात का। बिजली कम्पनियां 4 जून के बाद पैनेल्टी भी लगा रही है। जबकि इस आपादा के हालात में सरकार को दो माह का बिजली का बिल माफ करना चाहिए। केन्द्र सरकार कारोबारी व लैबर का तीन माह का पीएफ माफ किया है। अब काम तभी बढ़ेगा जब सरकार कारोबारियों को कुछ सुविधाएं देगी और जनता की जैब में पैसा आएगा।
– वेद प्रकाश अग्रवाल, प्रमुख, प्रेम मिष्ठान भंडार, रानीबाजार औद्योगिक क्षेत्र

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