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मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र कृषि विकास में बहुपयोगी- डॉ. अरुण कुमार

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बीकानेर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षण तंत्र योजना के अंतर्गत स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर में बुधवार को “कृषि में मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र के आयाम” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र ऑफलाइन तथा ऑनलाइन शिक्षण का सामंजस्य है जो कृषि विद्यार्थियों, वैज्ञानिकों एवं किसानों के लिए विश्व स्तर पर हो रहे कृषि शोध, नवाचारों एवं शिक्षकों द्वारा तैयार अध्ययन सामग्री को सुलभ कराने का एक प्लेटफार्म है। इसके प्रमुख घटकों में इन बिल्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, डिजिटल सफेद पट्ट, त्वरित समाचार प्रेषण, ई – लर्निंग, ऑनलाइन असेसमेंट टूल, यूट्यूब चैनल आदि सम्मिलित हैं।

कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कंप्यूटर अनुप्रयोग संभाग की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अंशु भारद्वाज ने अपने वर्चुअल संबोधन में कहा कि आईसीएआर ने देश के सभी 74 कृषि विश्वविद्यालयों में वर्चुअल क्लास रूम स्थापित करवाए हैं जो नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत डिजिटल तकनीकी को कृषि शिक्षा में समावेशित करने की दिशा में अच्छी पहल है। कृषि विश्वविद्यालयों के शिक्षकों द्वारा तैयार ऑनलाइन लेक्चर कृषि शिक्षा चैनल के माध्यम से विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में स्टार्ट-अप के लिए भी मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र उपयोगी है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय में आईसीएआर के नोडल अधिकारी डॉ. पी. के. यादव ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि इस कार्यशाला में आईसीएआर के संचार प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ कुमार गंधर्व कृषि वैज्ञानिकों, पी.जी. एवं पीएचडी के विद्यार्थियों को तकनीकी प्रशिक्षण देंगे। डॉ. सुशील खारिया को इस हेतु विश्वविद्यालय का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। कार्यशाला में सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता विमला ङूंकवाल ने कहा कि मिश्रित शिक्षण को हाइब्रिड लर्निंग से भी समझ सकते हैं।

अनुसंधान निदेशक डॉ.पी. एस.शेखावत ने कहा कि हमारे सामने उदाहरण है कि कृषि में हरित क्रांति हाइब्रिड़ों के समायोजन के कारण ही आई थी, शिक्षा में इसे लागू करके नए आयाम स्थापित किये जा सकते हैं। कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान के निदेशक डॉ.आई. पी. सिंह ने कहा कि कोविङ -19 के दौर में ऑनलाइन अध्यापन के दौरान हमने बहुत नई तकनीकें सीखी जिनकी प्रासंगिकता को देखते हुए आज डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

नई दिल्ली से आए कुमार गंधर्व ने कहा कि घरेलू कार्यों जैसे कि पैसा ट्रांसफर करना, ऑनलाइन सीट बुक करना, ऑनलाइन खरीद आदि में हम डिजिटल प्लेटफॉर्म अपना रहे हैं वैसे ही शिक्षा में भी इसकी लोकप्रियता बनाने की आवश्यकता है। निदेशक, मानव संसाधन विकास निदेशालय, डॉ.ए. के. शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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