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भारत में गो आधारित उद्यमिता पर नए औद्योगिक सेक्टर का हो रहा है विकास

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राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार समारोह 13 को

बीकानेर। राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार समारोह 13 जनवरी 2024 को बीकानेर में आयोजित होगा। यह पुरस्कार भंवर लाल कोठरी की स्मृति में डा बल्लभ भाई कथिरिया को दिया जाएगा। पुरस्कार समारोह के आयोजन को लेकर शुक्रवार को जिला उद्योग संघ में बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में आयोजन की व्यवस्था को लेकर समीक्षा की गई। इस समारोह में जीसीसीआइ के देश भर से प्रतिनिधि शिरकत करेंगे। आयोजन समिति और विभिन्न कार्यों की जिम्मेदारी निर्धारित की गई।

अजय पुरोहित की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में बताया गया कि राजस्थान गो सेवा परिषद देश में गो पालकों को गोबर और गोमूत्र का पैसा मिले, गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बने। इस एकमात्र उद्देश्य को लेकर 2016 से कार्य कर रहा है। इस मुद्दे पर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तरीय कई सम्मेलन करवाए। राज्य सरकारों, केंद्र सरकार, भारत सरकार के नीति आयोग और राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का ध्यान आकृष्ट किया। इस बात पर बल दिया कि विभिन्न स्तरों पर ऐसी नीतियां बने जिससे गो पालक को गोबर गोमूत्र का पैसा मिले और देश में गो उत्पाद आधारित उद्यमिता का नया सेक्टर विकसित हो। इसके लिए परिषद 13 राज्यों की 168 संस्थाओं के संपर्क में है।

गोबर और गोमूत्र से बनी खाद और कीट नियंत्रक रसायनिक खेती का विकल्प बने। मृदा रसायन से मुक्त हो। जैविक कृषि उत्पादों से मानव स्वास्थ्य सुरक्षित रहे। कृषि उत्पाद रसायनिक दुष्प्रभाव मुक्त रखे जाए। मिट्टी, पानी, हवा और पर्यावरण पर रासायनिक खेती के जीव जगत पर होने वाले घातक प्रभावों से मुक्ति मिले। अगर गोबर गोमूत्र का गो पालकों को पैसा मिलेगा तो गाय पालन और ज्यादा फायदे का धंधा हो सकेगा। देश में गो धन आधारित आर्थिक गतिविधियां बढ़ेगी। दूध का उत्पादन बढ़ेगा। फिर से भारत में दूध घी की नदियां बहेगी। यानि आर्थिक समृद्धि आएगी।

यही नहीं भारत ही दुनिया में ऐसा देश है जहां गो आधारित उद्यमिता ( नया औद्योगिक सेक्टर) का विकास हो रहा है। अभी गो आधारित 300 से अधिक उत्पादों का विपणन हो रहा है। इस उद्योग की इंडस्ट्री के लिए मशीनरी बन गई है। गो आधारित उद्यमिता का भविष्य में विकास होगा। इसी भावना से राजस्थान गो सेवा परिषद ने राष्ट्रीय गो उद्यमिता प्रोत्साहन पुरस्कार की घोषणा की है। पहला पुरस्कार राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री भारत सरकार और जी सी सी आई के अध्यक्ष डा बल्लभ भाई कथिरिया को दिया गया है।

राजस्थान गो सेवा परिषद का राजस्थान सरकार, विभिन्न प्रदेशों की सरकारें, नीति आयोग और भारत सरकार से अपील है कि ऐसी नीतियां बनाएं जिससे गोपालक को गोबर गोमूत्र का पैसा मिल सकें। यह प्रमाणित है कि गोबर गोमूत्र ऊर्जा का सतत स्त्रोत है। पृथ्वी का (मृदा) का पोषण है। गोबर गोमूत्र की महिमा हमारे पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है। वैज्ञानिक रूप से उपादेयता सिद्ध है। राजस्थान गो सेवा परिषद तो सबका ध्यान आकर्षित करने और इस मुद्दे पर पर काम करने का एक मंच है। इसमें राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान वि वि के एमओयू के तहत परिषद के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम रहा है। जीसीसीआई भी परिषद के इस उद्देश्य में नीतिगत रूप से सहयोगी है। आप सबके सहयोग से इस उद्देश्य को संबल मिलेगा।

राजस्थान गो सेवा परिषद की इस बैठक में हेम शर्मा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष अरविंद मिढ़ा, सचिव अजय पुरोहित, गजेंद्र सिंह सांखला, अनंत वीर जैन, राजेंद्र पच्चीसिया, मनोज सेवग , विजय कोचर, बी आर माली, बी एल गहलोत, कैलाश सोलंकी, शिव रतन पुरोहित रमेश जाजड़ा, नंद किशोर गालरिया समेत कई लोगों ने शिरकत की। आयोजन समिति में ये हैं : विधायक जेठानंद व्यास, हर्षवर्धन कोठरी, महेंद्र कोठरी, विजय कोचर व डा राजेश धुडिया शामिल है।

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