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स्वरोजगार के लिए मधुमक्खी पालन को अपनाएं : डॉ अरुण कुमार

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*मधुमक्खी पालन से शहद, रॉयल जेली वैक्स व मधुमक्खी विष आदि के विपणन से ले सकते अधिक लाभ*

बीकानेर 17 फरवरी। कीट विज्ञान विभाग कृषि महाविद्यालय बीकानेर द्वारा आज शुक्रवार को व्यावसायिक मधुमक्खी पालन में उद्यमिता विकास पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय कुलपति स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय डॉ अरुण कुमार रहे। डॉ अरुण कुमार ने बताया कि मधुमक्खी पालन को युवाओं को रोजगार की तरह अपनाना चाहिए।

मधुमक्खी पालन से मिलने वाले विभिन्न उत्पादों जैसे शहद, रॉयल जेली वैक्स व मधुमक्खी विष आदि के विपणन से अधिक लाभ ले सकते हैं और साथ ही मधुमक्खी से होने वाले परागण के माध्यम से विभिन्न फसलों की उपज में वृद्धि कर सकते हैं निदेशक अनुसंधान डॉ पी एस शेखावत ने बताया कि बीज उत्पादन में मधुमक्खी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और साथ ही फसल उत्पादन में भी बढ़ोतरी करती है अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉ आई पी सिंह ने बताया कि उनके शहद की मांग कोरोना के बाद निरंतर बढ़ रही है और विभिन्न औषधियों के निर्माण में इसका उपयोग किया जाता है।

मधुमक्खी पालन में सरकार द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न अनुदान के बारे में बताया प्रशिक्षण संयोजक तथा विभागाध्यक्ष डॉ एच एल देशवाल ने प्रशिक्षण की पूर्ण जानकारी प्रदान की व उन्होने बताया की प्रशिक्षण मे राज्य के विभिन्न जिलो के प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिकारी व कर्मचारियों के साथ साथ डॉ पी के यादव, डॉ एन एस दहिया, डॉ एस के यादव, डॉ बी एस मिठारवाल, डॉ मनमीत कौर व डॉ अमित कुमावत उपस्थित रहे।

प्रशिक्षण समन्वयक डॉ विजय शंकर आचार्य ने बताया की प्रशिक्षण के प्रथम दिन केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, इम्फाल मणिपुर के डॉ सरवन हलधर ने मधुमक्खी पालन का महत्व एवं मधुमक्खी प्रजातियां व मधुमक्खी पालन की आर्थिक जानकारी, शहद का मानकीकरण आदि की जानकारी दी।

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