BikanerEducationExclusiveHealth

आयुर्वेदिक औषधियों को आरजीएचएस से बाहर करना दुर्भाग्यपूर्ण -आचार्य

0
(0)

संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर RGHS के अंतर्गत आयुर्वेदिक दवाइयों को लेने व भुगतान करने की उठाई मांग

बीकानेर। आयुर्वेद भारत मे हजारों वर्षों से है और इसे बीमारियों के इलाज और एक स्वस्थ जीवन शैली जीने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक माना जाता रहा है । अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के महत्व के कारण आधुनिक दुनिया ने भी आयुर्वेद के सिद्धांतों और अवधारणाओं का उपयोग करना शुरू कर दिया है । ऐसे में परियोजना निदेशक , राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग जयपुर द्वारा आर . जी . एच . एस . के तहत आयुर्वेदिक औषधियों को नहीं लेने व भुगतान देय नही होने के आदेश जारी किये है जो दुर्भाग्यपूर्ण है ।

राजस्थान शिक्षक संघ ( राष्ट्रीय ) के प्रदेश महामंत्री अरविंद व्यास व अतिरिक्त महामंत्री रवि आचार्य ने बताया कि आयुर्वेद एवं योग द्वारा चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने पृथक से आयुष मंत्रालय भी खोल रखा है । वहीं आयुर्वेद को ( डब्ल्यू.एच.ओ ) विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1976 में मान्यता भी प्रदान की थी ।

संगठन के प्रदेशाध्यक्ष सम्पतसिंह ने बताया कि जब शिक्षको व कर्मचारियों के वेतन से आर.पी.एम.एफ. काटी जाती थी तब आयुर्वेदिक औषधियों के क्रय बिलो का पुनर्भरण किया जाता रहा । किंतु इसी कटौती को आर.जी.एच.एस. में रूपांतरित करने के बाद इसे आर.जी.एच.एस. से बाहर रखने व भुगतान देय नही होने के आदेश जारी किए गए है जो कि आयुर्वेदिक दवाइयों से स्वस्थ्य होने वाले रोगियों की आस्था व विश्वास के साथ धोखा करने जैसा है ।

संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री प्रहलाद शर्मा व जिलामंत्री नरेन्द्र आचार्य ने बताया कि संगठन ने राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर आयुर्वेदिक औषधियों को ऐलोपैथिक दवाइयों के समान ही आर.जी.एच.एस. के अंतर्गत लेते हुए उसके बिलों के भुगतान किए जाने के आदेश पारित करवाने की मांग की है ।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply