BikanerExclusiveSociety

कमल रंगा का साहित्य पौराणिक संदर्भों को नई व्याख्या प्रदान करता है-डॉ. चारण

0
(0)

बीकानेर। भारतीय ज्ञान परंपरा के कई महत्वपूर्ण छिपे हुए सूत्रों को केन्द्र में रखकर पौराणिक चरित्रों घटनाओं एवं प्रतिघटनाओं को केन्द्र में रखकर कमल रंगा की 11 राजस्थानी पुस्तकों का सृजन एक साहित्यिक विस्तार लिए हुए है। जिसके माध्यम से रंगा ने हमारी समृद्ध भारतीय परंपरा के पौराणिक संदर्भो को नव बोध, नई व्याख्या एवं अर्थवता के साथ सृजित किया है। यह सृजन उपक्रम महत्वपूर्ण है, क्योंकि समसामयिक विषयों की तुलना में हमारी ज्ञान परंपरा से कथ लेकर खासतौर से राजस्थानी की विभिन्न विधाओं के माध्यम से सृजन करना चुनौतिभरा कार्य होता है, जिसे कमल रंगा ने निवर्हन किया है।
यह उद्गार प्रज्ञालय संस्थान एवं सुषमा प्रकाशन ग्रुप द्वारा नागरी भण्डार में आयोजित राजस्थानी के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा की 5 विधाओं की 11 राजस्थानी पुस्तकों के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए देश के ख्यातनाम साहित्यकार आलोचक एवं एन.एस.डी नई दिल्ली के उपाध्यक्ष डॉ. अर्जुनदेव चारण ने व्यक्त किए।
डॉ चारण ने आगे कहा कि रंगा अपने गद्य एवं पद्य विधाओं की इन पुस्तकों के माध्यम से खासतौर से नई पीढ़ी एवं नव पाठकों को हमारी समृद्ध ज्ञान परंपरा और उसके अहम् चरित्रों आदि को वर्तमान संदर्भ में समझने एवं उनसे रूबरू होने का एक सार्थक प्रयास किया है।

समारोह में रंगा की 6 गद्य विधाओं पर सीकर से आए
हुए आलोचक डॉ महेन्द्र मील ने अपनी आलोचकीय टिप्पणी करते हुए कहा कि रंगा का नाटक, कहानी, व्यंग्य, एवं आलोचन आदि की पुस्तकें मानवीय मूल्यों की सशक्त पैरोकारी करती है। आपकी कहानियां कहन की कुशलता लिए हुए है वहीं तीखी धार के व्यंग्य एवं रंगमंचीय दृष्टि से समृद्ध नाटक महत्वपूर्ण कृतियां है। इसी क्रम में रंगा की 5 काव्य पुस्तकों पर अपनी आलोचकीय टिप्पणी करते हुए युवा कवि आलोचक संजय आचार्य वरूण ने बताया कि उत्तर आधुनिक युग में रंगा की कविताएं प्रयोगधर्मी एवं नवबोध के साथ अपना एक अलग मुकाम रखती है, क्योंकि उनके अधिकतर कथ हमारे पौराणिक चरित्रों को नए संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है।

समारोह के प्रारंभ मे बतौर स्वागाताध्यक्ष डॉ चारूलता रंगा ने सभी अतिथियों आदि का स्वागत करते हुए कहा कि आज राजस्थानी पुस्तक संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण दिवस है, क्योंकि एक साथ 11 पुस्तकों का लोकार्पण होना एक साहित्यिक ऐतिहासिक घटना है।
समारोह में कमल रंगा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि कमल रंगा का व्यक्तित्व और कृतित्व राजस्थानी भाषा-संस्कृति एवं साहित्य को समर्पित है।
समारोह के अतिथियों का लक्ष्मीनारायण रंगा, पुनीत, सुमीत रंगा अंकित-आशिष रंगा द्वारा माला, श्रीफल, प्रतीक चिह्न, सम्मान-पत्र एवं शॉल अर्पित कर अभिनन्दन किया गया।

इस ऐतिहासिक लोकार्पण समारोह में डॉ उमाकान्त गुप्त, डॉ बृजरतन जोशी, डॉ. फारूक चौहान, बुलाकी शर्मा, नीरज दैया, जाकिर अदीब, मुकेश व्यास, नंदकिशोर सोलंकी, गंगाबिशन बिश्नोई, गिरीराज पारीक, बुनियाद हुसैन, राजेन्द्र जोशी, अभयसिंह टॉक, डॉ अजय जोशी, चंद्रशेखर जोशी, एन.डी रंगा, सुधा आचार्य, मोनिका गौड, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, डॉ कृष्णा वर्मा, मधुरिमा सिंह, निर्मल शर्मा, बी.एल. नवीन, हनुमंत गौड, दामोदर तंवर, प्रेम नारायण व्यास, सागर सिद्की, चंद्रशेखर आचार्य, यशपाल आचार्य, डॉ. नमामी शंकर आचार्य, व्यास योगेश, राजाराम स्वर्णकार, डॉ. तुलछीराम मोदी, अमित आचार्य, नवनीत गोपाल पुरोहित, गिरीराज खेरीवाल, इरशाद, असद अली, जिया कादरी, कैलाश टॉक, वली गौरी, सुनील व्यास, मनमोहन व्यास, श्रीकांत व्यास, पुरूषोत्तम जोशी, मालकोश आचार्य, गिरधर किराडू़, चंपालाल गहलोत, खुशाल आचार्य, नरेन्द्र आचार्य, जुगल पुरोहित, शिवशंकर शर्मा, प्रशांत जैन, प्रदीप मारू, रामप्रसाद, अविनाश व्यास, घनश्याम साध, हारून, गोपाल, छगनसिंह सहित सैकड़ों नगर के गणमान्य एवं विभिन्न कला अनुशासनों से जुड़ी प्रतिभाएं इस समारोह की साक्षी बनी। कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ उद्घोषक ज्योति प्रकाश किया।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply