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लोकगायन आध्यात्मिक- मानवीय चेतना की समृद्ध परंपरा है – महाराज सरजूदास

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बीकानेर। हरजस वाणी एवं लोकगीत आदि लोकगायन हमारी आध्यात्मिक भावना एवं मानवीय परोपकार की चेतना की समृद्ध परंपरा है। इसके माध्यम से हम आने वाली नई पीढ़ी को अपनी विरासत से रूबरू कराते है। यह उद्गार आज बाबा सियाराम आश्रम रामझारोखा कैलाश धाम, गंगाशहर बीकानेर के पावन स्थली में कीर्तिशेष पंडित शिवशंकर भादाणी ‘झेणसा’ की स्मृति में आयोजित वरिष्ठ लोकगायक मदन जैरी के नेतृत्व में लोकगायन कार्यक्रम के तहत आश्रम के महंत महाराज श्री सरजूदास जी ने व्यक्त किए।

इस अवसर पर राजस्थानी साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि ऐसे आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर के उज्ज्वल पक्ष है। वाणी हरजस में हमारी आत्मा रची बसी रहती है। वहीं लोकगीतों के माध्यम से मानवीय जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण सरोकारों को समझा जा सकता है। इसी क्रम में एडवोकेट महावीर सांखला ने कहा कि पंडित शिवशंकर भादाणी की स्मृति में लोकगायन हमारी लोक परंपरा को जीवंत रखने का एक सार्थक प्रयास है। इसके लिए आश्रम के महाराज एवं सभी भक्तगण साधुवाद के पात्र है।
कार्यक्रम में प्रारंभ में भगवान शिव के महा प्रसाद के रूप में मंत्रोच्चारण के साथ भांग का छणाव कर भोग लगाया गया।

कार्यक्रम में वरिष्ठ लोकगायक मदन जैरी ने हरजस वाणी के साथ-साथ लोकप्रिय लोकगीतों का सस्वर वाचन कर वातावरण संगीतमय कर दिया। इस अवसर पर मदन जैरी ने कहा कि पंडित शिवशंकर भादाणी समर्पित संस्कृतिकर्मी थे।
प्रारंभ में सैकड़ों भक्तजनों परिजनों एवं गूणीजनों ने महाराज सरजूदास के सानिध्य में स्व. भादाणी के तेल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।

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