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राजस्थान में सबसे पहले इस मीठे फल के वृक्ष को महाराजा गंगा सिंह लाए थे

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– अब यह लगभग 1100 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जा रहा है

– “खजूर ऑफशूट उत्पादक एवं विक्रेता कृषक समन्वय में प्रशिक्षण व बैठक”

बीकानेर । स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में स्थित म्यूजियम में  सहायक निदेशक उद्यान बीकानेर के द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत प्रशिक्षण एवं समन्वय बैठक का आयोजन किया गया । मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आर.पी.सिंह ने  100 से भी अधिक किसानों को संबोधित करते हुए बताया की कृषि विश्वविद्यालय खजूर फॉर्म के नाम से ही जाना जाता है यहां 34 वैरायटी के वृक्ष उपलब्ध है।  यद्यपि खजूर में लगभग 4 साल बाद फल आते हैं लेकिन वर्तमान में इसका मूल्य भी अच्छा मिल रहा है और किसानो को इसका अच्छा लाभ मिलता है। इसकी उत्पत्ति इराक में मानी जाती है, खजूर को राजस्थान में सबसे पहले महाराजा गंगा सिंह लाए थे और आज इसकी प्रगति को देखते हुए लगभग 1100 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है। खजूर एक पूर्ण खुराक है और कुपोषण की लड़ाई  लड़ने में बहुत उपयोगी है। किसान दातार सिंह, शिवचरण और महावीर प्रसाद द्वारा पूछे गए सवालों पर भी संक्षिप्त चर्चा करते हुए कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की मोबाइल नंबर लेकर जाएं और तकनीकी समस्या का समाधान लें व संकोच ना करें। किसान पूरे क्षेत्र में वृक्ष ना लगा कर के भले ही मेढ पर लगाएं लेकिन खजूर के वृक्ष जरूर लगाएं। इसके फल एवं सकर भी आय का साधन है। इसके फल मात्र 2 महीने उपलब्ध रहते हैं लेकिन इसके मूल्य संवर्धित उत्पाद बेचे जाएं तो वर्ष भर आय का साधन उपलब्ध होता है कृषि विश्वविद्यालय में इसके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की गई है। इसके अलावा इसके अलावा राज्य सरकार से अगर सब्सिडी मिलती है तो दी जानी चाहिए ताकि किसानों को अधिक से अधिक लाभ हो और वह प्रगति के पथ पर आगे बढ़े है।

            अतिरिक्त निदेशक उद्यान जयपुर, डॉ. आर.पी. कुमावत  बताया की खजूर की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ रहा है। इसकी मांग में भी समय के साथ साथ वृद्धि हो रही है। खजूर की खेती में 2008 से 2012-13 तक ज्यादा प्रगति नहीं हुई। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत, सबसे पहले 3 जिलों में कार्य शुरू किया गया उसके पश्चात 18 जिलों में इसकी शुरुआत की गई । टिश्यू-कल्चर लंबी प्रक्रिया जैसी कुछ समस्याओं के रहते खजूर की खेती में वांछित प्रगति नहीं हुई। खजूर खेती को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री घोषणा के अंतर्गत इसे प्राथमिकता से शामिल किया गया है और वर्ष 2021- 22 में 60 हजार वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा गया है। खजूर के 20 हजार पौधे सकर माध्यम एवं शेष 40 हजार पौधे उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न प्रयास करने की आवश्यकता है ,इसमें राज्य सरकार स्तर पर मदद, जिलेवार संगोष्ठी, खरीदने वाले बेचने वालों के मध्य संवाद स्थापित किया जा रहा है जैसे कि आज जो यह समन्वय  बैठक है इसके अंतर्गत किसान जो पहले से खजूर की खेती कर रहे हैं और जो खेती करना चाहते हैं वे आपस में पौधों का लेन-देन कर सकते हैं।

             इस समन्वय बैठक व प्रशिक्षण में बीकानेर, चूरू, झुंझुनू व  सीकर जिले के 100 से अधिक, खजूर स्थापित बगीचे एवं नवीन बगीचा लगाने वाले किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान किसानों ने ऑफशूट  उत्पादन से अतिरिक्त आमदनी, स्थानीय वातावरण में तैयार होने से पौधे, स्थानीय स्तर पर अच्छी किस्म के पौधों की उपलब्धता परिवहन व्यय की बचत, रोजगार में वृद्धि, पौधों की उपलब्धता में वृद्धि ,कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाले पौधे उपलब्ध आदि पर विषय पर जानकारी जुटाई। कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर आर.के. नैनावत उप निदेशक उद्यान बीकानेर, डॉ. पी.एस कुशवाहा प्रभारी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खजूर फॉर्म जैसलमेर, अनुसंधान निदेशक डॉ पी एस शेखावत, निदेशक प्रसार डॉक्टर सुभाष चंद्र ,स्वामी विवेकानंद कृषि संग्रहालय के प्रभारी डॉ दीपाली धवन, डॉ आर एस शेखावत  उपस्थित रहे।

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