साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार के कविता संग्रह “हम अजेय अपराजेय हैं” का लोकार्पण
बीकानेर। शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार के कविता संग्रह “हम अजेय अपराजेय हैं” का लोकार्पण रविवार को किया गया । लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि कवि – कथाकार राजेन्द्र जोशी थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजेन्द्र जोशी ने कहा कि कवि राजाराम स्वर्णकार अजेय मनुष्यता के प्रतिनिधि कवि हैं, सामाजिक सरोकारों की विषय-वस्तु को अपनी रचनाओं के माध्यम से स्वर्णकार ने सांगोपांग प्रस्तुति दी है । जोशी ने कहा कि अपने चौथे कविता संग्रह की कविताओं में विस्तार मिलता है जब वे कोरोना काल की भयावहता में भी स्तरीय रचनाएँ पाठकों को परोसने में सफल हुऐ हैं । उन्होंने कहा कि स्वर्णकार मूल रूप से प्रयोगधर्मिता के कवि हैं इसलिए वे लोकधर्मी कविताएं लिखते हैं ।
जोशी ने कहा कि यह रचनाएँ पाठकों के मन से हताशा दूर करने के साथ-साथ उनमें हौसला अफजाई के साथ जागरूकता पैदा करती हैं उन्होंने कहा कि कवि राजाराम स्वर्णकार की पुस्तक में अनेक विषयों पर कविताएं पढ़ने को मिलती है, इस काव्य संग्रह का साहित्य जगत में जोरदार स्वागत होना चाहिए ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बुलाकी शर्मा ने कहा कि कवि राजाराम स्वर्णकार की कविताओं में अनुभव एवं समृद्ध कल्पनाऐं समाहित है । उन्होंने कहा कि कोविड से संघर्ष करने के लिए स्वर्णकार की कविताएं आमजन में हिम्मत प्रदान करने का काम करती है ।
शर्मा ने कहा कि कवि राजाराम स्वर्णकार आमजन की बात अपनी रचनाओं के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं ।
प्रारम्भ में युवा संगीतज्ञ डॉ कल्पना शर्मा ने राजाराम स्वर्णकार के व्यक्तित्व – कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि नयी पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत के रूप में पहचाने जाने वाले कवि राजाराम स्वर्णकार का यह चौथा काव्य संग्रह है तथा वे विगत चार दशक से साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं । उन्होंने बताया कि यह कविता संग्रह मरूनवकिरण प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया है ।
इस अवसर पर कवि राजाराम स्वर्णकार ने अपनी चुनिन्दा कविताओं क्रमशः ख़ुशनसीब है दर्द, कोविड नाइनटीन की ऐसी क्या औकात, साहित्य में हवाला, हम अजेय अपराजेय हैं, बाबाजी और लालाजी, फिर से बहार आएगी और बोल कोरोना बोल जैसी कविताओं का वाचन किया ।
अंत में डॉ अजय जोशी ने आभार प्रकट किया ।