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“मै” को “हम” में बदलें तो ‘कमजोरी’ भी ‘तंदुरुस्ती‘ में परिवर्तित होगी: सिस्टर शिवानी

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बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार को सिस्टर शिवानी ने किया सम्बोधित, बीटीयु कुलपति प्रो. चारण ने भी रखे विचार

बीकानेर। हमारी सोच, विचार और संकल्प जैसे होते हैं, हम वैसे ही बन जाते हैं। जिंदगी बहुत ही खूबसूरत है लेकिन हम इसे तनाव के बोझ से भारी और कठिन कर देते हैं। चंद बातों का ध्यान रखकर हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में भी करिश्मा कर सकते हैं। अगर कोई इंसान आपको गुस्सा दिलाने में सफल होता है तो इसका अर्थ है की आप उस व्यक्ति के हाथों की कठपुतली है। ये विचार बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता वर्ल्ड स्पिरिचुअल यूनिवर्सिटी की मोटिवेशनल स्पीकर सिस्टर शिवानी ने रखे l

सिस्टर शिवानी ने जीवन में खुश रहने और हर परिस्थिति का सामना हंसते-हंसते करने के बारे में बताया। उन्होंने बताया, किस तरह से हम संबधों और रिश्तों में रहकर भी उनसे बगैर उम्मीद किए भी खुश रह सकते हैं। शांति, सुख और प्यार ये हमारे अंदर ही है, फिर भी हम इसकी तलाश में भटकते रहते हैं। दूसरों से प्यार, शांति और सुख की उम्मीद करते हैं और नहीं मिलने पर दुखी हो जाते हैं। हमें अपने अहम को त्याग कर दूसरों को सहयोग देना सीखना होगा। यही नहीं, हर किसी को पॉजिटिव वाइव्रेशन देकर उसका सहयोग करना है। सिस्टर शिवानी ने बताया कुछ महीनों के लिए सात्विक भोजन करें। जैसा अन्न खाते हैं वैसा ही मन होता है, सात्विक भोजन करेंगे तो मन शांत रहेगा।
सिस्टर शिवानी ने सफल जीवन जीने के ये तरीके बताये :
अपनी इच्छा मत खत्म कीजिए: अक्सर लोग दूसरे की राय पर जिंदगी जीते हैं। किसी ने कह दिया कि तुम्हारे कपड़े अच्छे नहीं लग रहे तो तुरंत बदल देते हैं। फिर भले ही वह अपनी पसंद से खरीदकर लाए हों। इस तरह आप अपनी इच्छा खत्म कर देते हैं। फिर आपको गुस्सा आने लगता है, जिसका असर जीवन पर पड़ता है।
अपना कंट्रोल अपने पास रखें : लोगों की अपनी चॉइस हैं। इसलिए किसी एक की वजह से खुद पर संयम छोड़ना सही नहीं है। जो खुद को अच्छा लगे और मन को शांति दे, वही काम करना चाहिए। अपने दिमाग का इस्तेमाल अपने हिसाब से करें। इसका कंट्रोल दूसरे के हाथ में न जाने दें। इसके उलट अक्सर लोगों का दिमाग दूसरों के कहने पर ही चलता है। इसी कारण अधिकांश लोग खुश नहीं हैं।
बच्चों में भी स्ट्रेस प्रॉब्लम: आज के समय में स्टूडेंट्स और प्रफेसरों ने अपनी फील्ड में काफी मेहनत की है। 30 से 50 साल की उम्र के बाद सोचते हैं कि सब कुछ तो पा लिया, लेकिन जीवन में जितनी खुशी चाहिए, वह नहीं मिली। पहले 40 साल के बाद लोगों को स्ट्रेस प्रॉब्लम होती थी, अब स्टूडेंट्स लाइफ में ही यह दिखने लगी है। इसे विजुअलाइज करने की जरूरत है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीटीयु के कुलपति प्रो. एच. डी. चारण ने अथितियों का स्वागत करते हुए बताया की हमारे विचार ही हमे सबसे ज्यादा प्रेरित करते हैं l हम विचारों को अपनी सफलता का ज़रिया बना सकते हैं l इसकी शुरुआत हम खुद पर भरोसा रखकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाकर कर सकते हैं और फिर सफलतापूर्वक अपना लक्ष्य हासिल करने की कोशिश कर सकते हैं l हम अन्दर से जोश और अनिश्चितता से भरें हैं l हमारे अच्छे व प्रगतिशील विचार हमे आत्मसंयम व आत्मसंतुष्टि प्रदान कर सकते हैं l

समारोह के अंत में अतिथियों, विशषज्ञों, तथा प्रतिभागियों धन्यवाद ज्ञापन बीटीयु के अकादमिक निदेशक डॉ. यदुनाथ सिंह ने किया l

कार्यक्रम का सञ्चालन बीटीयु के मानवीय मूल्यों संकाय की अधिष्ठाता डॉ. अल्का स्वामी ने करते हुए बताया की इस वेबिनार में राजस्थान के लगभग 500 विद्यार्थी, अभिभावक, शिक्षक इत्यादि ने लाभार्जन लिया. इस अवसर पर बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के तथा एफिलिएटेड महाविद्यालयों के विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण एवं विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित थे.

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