BikanerEducation

वेकअप कार्यक्रम: अपनी ही परीक्षा लेने पर गुरुजी ने किया विरोध

0
(0)

बीकानेर। राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने कॉलेज शिक्षा विभाग द्वारा जारी वेकअप (wakeup) कार्यक्रम का उच्च शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजकर विरोध किया है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिग्विजय सिंह शेखावत ने बताया कि सौ अंको का प्रश्न पत्र भेजकर कॉलेज प्राध्यापकों का मूल्यांकन करवाना नियम विरुद्ध एवं भेदभावपूर्ण हैं । राज्यसेवा के स्तर के अधिकारियों का किसी विभाग में परीक्षा का प्रावधान नहीं है। महाविद्यालय शिक्षक पीएचडी तक उच्च योग्यता प्राप्त करने, राष्ट्रीय स्तर की नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने तथा लोक सेवा आयोग की कठिन प्रतियोगिता के बाद चयनित होकर सहायक आचार्य बनते हैं।
डॉ शेखावत ने कहा कि सेवा में आने के बाद प्रतिवर्ष वार्षिक कार्य प्रतिवेदन के आधार पर मूल्यांकन होता ही है, साथही वरिष्ठ/चयनित वेतनमान आदि की शर्तों को पूर्ण करने के लिए यूजीसी अनुमोदित जर्नल्स में शोध प्रकाशन के अलावा शोध कॉन्फ्रेंसेस, फैकल्टी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम्स आदि में भी महाविद्यालय शिक्षक नियमित रूप से भाग लेते हैं। उल्लेखनीय है कि ऐसा केवल उच्च शिक्षा में ही है कि वरिष्ठ और चयनित वेतनमान आदि प्राप्त करने के लिए शोध और प्रशिक्षण के न्यूनतम अंक अर्जित करने पड़ते हैं, राज्यसेवा के अन्य अधिकारियों के प्रमोशन पर इस तरह के कठोर शर्तें नहीं है।
प्रदेश महामंत्री डॉ नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि महाविद्यालय में शोध बढ़ाने तथा शैक्षणिक गुणवत्ता हेतु मूलभूत अवसंरचना विकसित करने, प्राचार्य, सहायक आचार्य, अशैक्षणिक स्टाफ नियुक्त करने के स्थान पर उच्च शिक्षा विभाग ने प्रतियोगी परीक्षाओं एवं अन्य नवाचारों पर ही अधिक ध्यान केंद्रित किया है। लगभग 2500 शिक्षकों, 90 प्रतिशत प्राचार्यों तथा बड़ी संख्या में अशैक्षणिक स्टाफ की कमी से जूझते अतिभारित तंत्र से ऐसी परिस्थिति में गुणवत्ता के बजाय प्राय: आँकड़े ही उत्पन्न किए जा सकते है । उच्च शिक्षा संस्थान मात्र प्रशिक्षण (Coaching) के केंद्र होने के बजाय सीखने (Learning) की जगह होते हैं । वर्तमान में लागू शिक्षा नीति 86/92 में और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के ड्राफ्ट में भी इसी विचार को दोहराया गया है ।

डा गुप्ता ने कहा कि WAKEUP कार्यक्रम में जो विषयानुसार प्रश्न पत्र दिए गए हैं, वे 16 से 20 पेज के हैं अर्थात् 4000 शिक्षकों के द्वारा लगभग 70 से 80 हजार पृष्ठ प्रिंट किए जाएंगे। एक ही प्रश्न पत्र को कई सौ शिक्षकों से हल करवा कर पर्यावरण को इतनी क्षति पहुंचाने से क्या प्राप्त होगा? यही नहीं उत्तरित प्रश्न पत्रों को प्रत्येक कॉलेज को व्यक्तिगत रूप से से आयुक्तालय में जमा कराने के लिए कहा गया है। यदि औसतन ₹1000 टी ए/डी ए का खर्च भी माने, तो 290 महाविद्यालयों से व्यक्तिश: प्रश्नपत्र मंगवाने पर लगभग ₹300000 खर्च होंगे। पहले से वित्तीय संकट से जूझ रही सरकार के लिए क्या इसका व्यापक हित में कोई लाभ होने वाला है ?

रुक्टा (राष्ट्रीय) द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री का ध्यान कांग्रेस के जन घोषणा पत्र के पृष्ठ संख्या 11 के बिंदु संख्या 21 की ओर दिलाया है जहां वादा किया गया है – “प्रदेश के महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों में भयमुक्त वातावरण स्थापित करते हुए उनकी अकादमिक स्वतंत्रता तथा स्वायत्तता को सुनिश्चित किया जाना।” इसके विपरीत उच्च शिक्षा विभाग निरंतर उच्च शिक्षा संस्थानों की अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता को क्षीण कर रहा है। प्रश्न पत्र निर्माण, पाठ्यक्रम एवं शैक्षणिक-सहशैक्षणिक गतिविधियों आदि के संबंध में योजना प्रक्रिया आयुक्तालय स्तर पर केंद्रित कर दी गई है। बहुत कनिष्ठ शिक्षकों को महाविद्यालयों के प्रभारी अधिकारी बना कर प्राचार्यगण के सामान्य निर्णय लेने की शक्तियों पर भी निगरानी और प्रतिबंध लगा दिया गया है। WAKEUP कार्यक्रम, जन घोषणा पत्र के वादे के विपरीत उच्च शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता को हरने का एक और कदम है।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply