बीकानेर स्थापना दिवस पर विभूतियों का हुआ भव्य सम्मान


538वां बीकानेर स्थापना दिवस हर्षोल्लास से मनाया गया, प्रच्छन इतिहास को उजागर करने का संकल्प
बीकानेर। भारतीय इतिहास संकलन समिति बीकानेर एवं रातीघाटी शोध एवं विकास समिति के संयुक्त तत्वावधान में बीकानेर का 538वां स्थापना दिवस समारोह धनिनाथ गिरिमठ पंच मंदिर परिसर में हर्षोल्लास और गरिमामय वातावरण में आयोजित किया गया।समारोह की अध्यक्षता नरेन्द्र सिंह बीका ने की, जबकि संत शिरोमणि प्रयागनारायण रामायणी का पावन सान्निध्य प्राप्त हुआ। कार्यक्रम में समाजसेवी राजेश चूरा, भंवर सिंह भेलू, मनमोहन यादव, जानकी नारायण श्रीमाली, डॉ. अशोक शर्मा एवं मेघराज बोथरा सहित अनेक विशिष्टजन मंचासीन रहे।
समिति के महामंत्री ओम नारायण श्रीमाली ने बताया कि समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली विभूतियों को अभिनंदन पत्र, श्रीफल, शॉल आदि भेंट कर सम्मानित किया गया। इनमें राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त मोहन सिंह, चिकित्सक डॉ. धनपत कोचर, डॉ. शिव शंकर पारीक, शिक्षाविद रतन सारस्वत, जीवन रक्षक तैराक विष्णुदत्त छंगाणी (नू पहलवान), शिक्षाविद एवं साहित्यकार डॉ. इंद्रसिंह राजपुरोहित, दंत चिकित्सक डॉ. योगेंद्र सचदेवा एवं डॉ. मोहन लाल जाजड़ा शामिल रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. अशोक शर्मा द्वारा भारतीय इतिहास संकलन समिति के परिचय से हुआ। इस अवसर पर डॉ. राजेन्द्र स्वर्णकार ने वीर रस से ओतप्रोत कविता एवं बीकानेर की संस्कृति से सराबोर गीत की प्रस्तुति दी।मुख्य अतिथि डॉ. मनमोहन सिंह यादव ने बीठू सूजा की ऐतिहासिक कृति का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका सरल भाष्य हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए, क्योंकि यह बलिदानी इतिहास से साक्षात्कार कराता है।
जानकी नारायण श्रीमाली ने अपने वक्तव्य में कहा कि रातीघाटी शोध एवं विकास समिति द्वारा प्रच्छन इतिहास को अनावृत कर प्रामाणिक शोध कार्य लगातार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभूतियों का सम्मान हमारी सांस्कृतिक परंपरा का अंग है और समिति इस कार्य को निरंतर जारी रखेगी।
इस गरिमामय आयोजन में डॉ. कुलदीप बिठू, शिवशंकर चौधरी, विजय कोचर, महावीर सिंह पंवार, पुरुषोत्तम सेवग, पं. घनश्याम आचार्य, जतन संचेती, विजय शंकर आचार्य सहित अनेक गणमान्यजन एवं बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।सम्मानित अतिथियों का परिचय डॉ. निर्मल कुमार रांकावत ने प्रस्तुत किया एवं अभिनंदन पत्र का वाचन आनंद स्वामी ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजशेखर द्वारा किया गया।