प्रेक्षा ध्यान आत्म साक्षात्कार और आत्म सुधार की दिशा में अग्रसर करता है – मुनि श्री कमलकुमार
बीकानेर। आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान, नैतिकता का शक्तिपीठ द्वारा आयोजित एक दिवसीय प्रेक्षा ध्यान शिविर में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमार जी ने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि “प्रेक्षा ध्यान का अभ्यास हमें आत्म साक्षात्कार और आत्म सुधार की ओर ले जाता है।” उन्होंने बताया कि यह ध्यान की ऐसी तकनीक है, जो जैन दर्शन पर आधारित है और जिसका उद्देश्य मन को शुद्ध करना, स्वयं को जानना तथा आत्म साक्षात्कार करना है।


मुनिश्री ने फरमाया कि ध्यान के माध्यम से हम नकारात्मक विचारों और भावनाओं से मुक्त होकर मन की शुद्धि कर सकते हैं। व्यक्ति को प्रतिक्रियाओं से बचना चाहिए और शुभ भावों के साथ अपनी दिनचर्या में ध्यान का अभ्यास बढ़ाना चाहिए।यह शिविर मुनिश्री कमलकुमार जी और मुनिश्री श्रेयांशकुमार जी के सानिध्य में प्रातः 5:15 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक आयोजित हुआ। इसमें सामायिक, अर्हत वंदना, प्रार्थना, वृहद मंगल पाठ के साथ-साथ योगाभ्यास, आसन, प्राणायाम, ध्यान, कायोत्सर्ग एवं अनुप्रेक्षा का अभ्यास करवाया गया।
प्रेक्षा ध्यान के प्रशिक्षक धीरेंद्र बोथरा एवं श्रीमती संजू लालानी द्वारा विविध सत्र आयोजित किए गए। महिला साधकों को योगाभ्यास श्रीमती मुक्ता सेठिया ने करवाया। इस शिविर में कुल 61 साधकों ने भाग लिया और सभी ने मिलकर 400 से अधिक सामायिक साधनाएँ कीं, जिनमें पाँच उपवास और एक एकासन तप शामिल रहा।शिविर में जिज्ञासा समाधान सत्र भी रखा गया, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए। ताराचंद मरोठी ने 12 सामायिक साधनाएँ कीं।
इंदरचंद सेठिया ने कहा कि प्रेक्षा ध्यान विचारों और चेतना की शुद्धि का माध्यम है। सुंदरलाल छाजेड़ ने शिविर की निरंतरता और अनुशासन की प्रशंसा की। किरणचंद लूनिया ने कायोत्सर्ग व अभय की अनुप्रेक्षा की अनुभूति साझा की।
अभिषेक पुरोहित ने इसे अलौकिक अनुभव बताते हुए कहा कि पहली बार शिविर में भाग लेने का सौभाग्य मिला और आत्मा से साक्षात्कार जैसा अनुभव हुआ। मोबाइल से दूरी और सात्विक भोजन ने नई ऊर्जा दी।वहीं, ज्योति चौधरी ने डिप्रेशन से बचाव पर व्याख्यान देते हुए मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का संदेश दिया।यह एक दिवसीय शिविर साधकों के लिए आत्मिक और मानसिक उन्नयन का सशक्त माध्यम बना।