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खेत में पानी या उर्वरक की कहां जरुरत है घर बैठे ही जान जाएंगे किसान

भविष्य में एआई की मदद से होगा संभव

ड्रोन आधारित कृषि की ट्रेनिंग जल्द शुरू करेगा बीकानेर का कृषि विश्वविद्यालय



बीकानेर। कृषि में नई तकनीकों का उपयोग किसानों की आय और उत्पादकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है। इसी दिशा में स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर जल्द ही ड्रोन आधारित कृषि की ट्रेनिंग शुरू करने जा रहा है। इस ट्रेनिंग में हिस्सा लेने वाले किसान ड्रोन के मास्टर ट्रेनर बनकर अन्य किसानों को भी प्रशिक्षित कर सकेंगे।



यह घोषणा केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान बीकानेर के निदेशक डॉ. जगदीश राणे ने विश्वविद्यालय में आयोजित “सुनियोजित कृषि तकनीकें” विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में की। उन्होंने कहा कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से किसान घर बैठे ही जान पाएंगे कि खेत के किस हिस्से में पानी या उर्वरक की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पानी और उर्वरकों का सटीक उपयोग ही उन्नत और टिकाऊ खेती का भविष्य है।



नई तकनीक अपनाने पर जोर
समापन समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलसचिव डॉ. देवा राम सैनी ने किसानों को गुणवत्तापूर्ण फसल उत्पादन पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती छोड़कर नई तकनीकों को अपनाने से ही किसानों की आय बढ़ सकती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रशिक्षित किसान अपनी तकनीकों को आसपास के किसानों तक पहुंचाएं।
अनुसंधान निदेशक डॉ. विजय प्रकाश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “मोर क्रॉप, पर ड्रॉप” के ध्येय वाक्य का उल्लेख करते हुए कम लागत में अधिक उत्पादन का मंत्र दिया।



किसानों ने साझा किए अनुभव
सात दिवसीय इस कार्यक्रम में 30 किसानों ने हिस्सा लिया। किसानों को हाइड्रोपोनिक जैसी नई तकनीकों के अलावा वर्टिकल फार्मिंग, सुनियोजित उर्वरक उपयोग और जल प्रबंधन की जानकारी दी गई। किसानों ने सुझाव दिया कि खेती के साथ-साथ नर्सरी लगाने की ट्रेनिंग भी दी जाए ताकि उनकी आय बढ़ सके।



अतिथियों ने की पहल का स्वागत
समापन समारोह में हाइड्रोपोनिक तकनीक के वर्टिकल टावर का उद्घाटन किया गया और प्रशिक्षण पूरा करने वाले किसानों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर एनसीपीएएच, नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक के.के. कौशल ने किसानों को सिखाई गई तकनीकों को अपने खेतों में लागू करने का आह्वान किया।



कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुशील कुमार ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जे.के. तिवाड़ी ने दिया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. पी.के. यादव, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान डॉ. एच.एल. देशवाल सहित अनेक कृषि वैज्ञानिक, डीन और किसान उपस्थित रहे।

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