वर्तमान में सबसे बड़ा प्रदूषण विचारों का प्रदूषण है- मुनि चैतन्य कुमार
अणुव्रत व्याख्यान माला -4 का आयोजन


बीकानेर । अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वावधान में अणुव्रत समिति, गंगाशहर द्वारा नैतिकता के शक्तिपीठ के पावन प्रांगण में चतुर्थ अणुव्रत व्याख्यान माला का आयोजन 27 फरवरी को किया गया।
समिति अध्यक्ष भंवर लाल सेठिया ने बताया कि इस श्रृंखला की चतुर्थ कड़ी के रूप में आयोजित यह व्याख्यान माला मुनि श्रेयांस कुमार और मुनि चैतन्य कुमार “अमन” के सानिध्य में आयोजित हुई, जिसका विषय था,“अणुव्रत आचरण और पर्यावरण संतुलन”। कार्यक्रम की मुख्यवक्ता डॉ. कृष्णा आचार्य थी।
कार्यक्रम प्रभारी संतोष बोथरा ने बताया कि मंगलाचरण प्रस्तुति राजेंद्र बोथरा ने दी एवं निर्मल बैद ने गीतिका प्रस्तुत की।
मुनि श्रेयांस कुमार ने पर्यावरण विषय पर एक प्रेरक गीतिका का संगान किया, मुनि चैतन्य कुमार ” अमन ” ने अपने पाथेय में कहा कि वर्तमान में सबसे बड़ा प्रदूषण विचारों का प्रदूषण है, अणुव्रत के माध्यम से शुद्ध आचरण द्वारा हर समस्या का समाधान संभव है।
कार्यक्रम प्रभारी अनुपम सेठिया ने बताया कि कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ. कृष्णा आचार्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि पंच तत्वों का संतुलन धरती और व्यक्ति की हर समस्या का समाधान है, इस दृष्टि से गुरुदेव तुलसी का अवदान अणुव्रत हमेशा प्रासंगिक है। पर्यावरण की समस्या का समाधान इसमें निहित है।
उपासक निर्मल नवलखा ने अपनी विचारभिव्यक्ति के दौरान कहा कि अणुव्रत का पालन संयम और अनुशासन की साधना है, जिससे पर्यावरण संतुलन सहज हो सकता है।
आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष हंसराज डागा ने भी विषय पर विचार व्यक्त किए। मंत्री मनीष बाफना ने बताया कि कार्यक्रम के अंतिम चरण में मुख्य वक्ता का साहित्य और अणुव्रत पताका पहनाकर सम्मान संतोष बोथरा, अनुपम सेठिया और उषा डाकलिया ने किया।
इस अवसर पर अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा निर्देशित इक्को फ्रेंडली अभियान के बेनर का लोकार्पण हंसराज डागा, डॉ. कृष्णा आचार्य ,जतन दुगड़, दीपक आंचलिया, संजू लालाणी, जेठमल नाहटा ने किया।
आभार ज्ञापन मंत्री मनीष बाफना ने किया। कुशल संचालन प्रभारी संतोष बोथरा ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में किशन बैद, अनिल बैद ,मांगीलाल बोथरा, कुशल बाफना आदि का योगदान रहा।