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बच्चों को साहित्य से जोड़ना ज़रूरी है : कमल रंगा

बीकानेर 15 नवंबर । अदब सराय बीकानेर द्वारा बीकानेर के जाने-माने वरिष्ठ शायर लेखक वली मोहम्मद ग़ौरी रज़वी ‘वली’ के पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी एवं साहित्यगार प्रकाशन जयपुर की तरफ से प्रकाशित पहले बाल कविता संग्रह ‘मुझे याद आता है बचपन सुहाना’ का लोकार्पण समारोह बाल दिवस के अवसर पर स्थानीय महारानी सुदर्शन आर्ट गैलरी नागरी भण्डार में नगर के साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति में सफलता के साथ संपन्न हुआ।

लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने बाल पुस्तकों के लुप्त होने पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि बच्चों को साहित्य से जोड़ना बहुत ज़रूरी है इसलिए नगर के प्रत्येक रचनाकार को निरंतर बाल साहित्य की पुस्तक अवश्य लिखनी चाहिए। साथ ही आपने बाल साहित्य के इतिहास पर भी संक्षेप में रोशनी डाली। इस अवसर पर रंगा ने लोकार्पित कृति के शीर्षकों पर आधारित अपनी कविता का भावानुवाद पेश करके श्रोताओं से भरपूर वाह वाही लूटी। आपने कहा कि बाल दिवस पर बाल पोथी का लोकार्पण होना बीकानेर के साहित्य जगत में एक यादगार घटना है। वली ग़ौरी की बाल साहित्य की पुस्तक बाल मनोविज्ञान की दृष्टि से खरी है।

समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि समालोचक डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि बच्चों की किताबें बच्चों के साथ-साथ मां-बाप के लिए ज़ियादा उपयोगी होती है।आज के दौर में बाज़ारवाद से बचना हम सबके लिए एक चुनौती है। आपने अपनी बात को आगे बढ़ते हुए कहा कि बच्चों के लिए न सिर्फ अच्छा साहित्य लिखा जाए बल्कि उसे पढ़ा भी जाए। आज लोकार्पित हुई बाल कविता संग्रह के लेखक वली ग़ौरी ने इस पुस्तक के माध्यम से मूल्यों की शिक्षा दी है, जिससे बाल साहित्य एवं पुस्तक संस्कृति को बल मिलेगा।

लोकार्पण समारोह के विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य वक्ता वरिष्ठ शाइर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि संग्रह की कविताएं बच्चों को संस्कारित करती है और उन्हें एक अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा देती है। आपने कहा कि बाल साहित्य की पुस्तकें बच्चों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए जिससे उन्हें शिक्षा हासिल करने और एक अच्छा इंसान बनने में मदद मिल सके। वली मोहम्मद ग़ौरी ने इस पुस्तक के माध्यम से बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण किया है। लोकार्पित कृति के माध्यम से बाल साहित्य की प्रासंगिकता को बढ़ावा मिला है।

युवा साहित्यकार संजय आचार्य ‘वरुण’ ने लोकार्पित कृति पर पत्र वाचन करते हुए कहा कि संग्रह की कविताएं सहज, सरल एवं ज्ञान से भरपूर कविताएं हैं जो बच्चों का मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान में भी वृद्धि करती है। वली ग़ौरी की ये छोटी-छोटी कविताएं दिल को छू जाती है एवं बाल मन पर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ती है। संग्रह बच्चों को भरपूर पसंद आएगा। आपने मुझे याद आता है बचपन सुहाना नज़्म के ज़रिए बचपन का बहुत सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया है।
आगंतुकों का स्वागत करते हुए संस्कृति कर्मी शिक्षाविद् संजय सांखला ने कहा कि संग्रह पठनीय एवं उपयोगी है। संग्रह की कविताओं को शाला की प्रार्थना सभा में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

इस अवसर पर वली मोहम्मद ग़ौरी ने लोकार्पित संग्रह की कुछ चुनिंदा रचनाओं का वाचन करके श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। जिन्हें उपस्थित श्रोताओं ने भरपूर पसंद किया। साथ ही दो नन्हीं बच्चियों शाइस्ता हुसैन और सुहाना चौहान ने संग्रह की कविताओं को पेश करके सभी से भरपूर दुआएं पाई।

अदब सराय संस्था की तरफ से शाइर लेखक वली मोहम्मद ग़ौरी को शॉल,साफ़ा,माल्यार्पण एवं साहित्यिक कृति भेंट करके अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। नागरी भण्डार पाठक मंच, अज़ीज़ आज़ाद लिटरेरी सोसायटी एवं राष्ट्रीय कवि चौपाल बीकानेर द्वारा भी वली मोहम्मद ग़ौरी को शॉल,माल्यार्पण एवं उपहार भेंट करके सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने संग्रह के शीर्षकों पर लिखी अपनी भावप्रद कविता वली मोहम्मद ग़ौरी को भेंट की।
अदब सराय संस्था ने नवाचार करते हुए समारोह में मौजूद नन्हें बालकों इमरोज़ ग़ौरी, ज़िया मोहम्मद बीकानेरी, सय्यद इमरान अली, अज़्मा कौसर, शाइस्ता हुसैन, सुहाना चौहान और अमान को लेखक एवं अतिथियों के हाथों से लोकार्पित कृति भेंट करवाके अनुकरणीय पहल की।

लोकार्पण समारोह में अनेक प्रबुद्धजनों ने भागीदारी निभाई। जिनमें वरिष्ठ शाइर ज़ाकिर अदीब, बुनियाद ज़हीन, मुफ़्ती अशफ़ाक़ उल्लाह ग़ौरी, डॉ. अजय जोशी, सरदार अली पड़िहार,डॉ. कृष्णा आचार्य, नेमचंद गहलोत,मोहम्मद मोईनुद्दीन मुईन,आत्माराम भाटी, गुलज़ार हुसैन,गुलफ़ाम हुसैन आही, कवयित्री इंद्रा व्यास, उर्दू व्याख्याता सईद अहमद,माजिद ख़ान ग़ौरी, ऑल इंडिया रेडियो के महेश उपाध्याय,शाइर इमदादुल्लाह बासित, जुगल किशोर पुरोहित, शमीम अहमद शमीम,राजाराम स्वर्णकार, किशन नाथ खरपतवार,हरिकृष्ण व्यास,एडवोकेट शमशाद अली, सागर सिद्दीक़ी, असद अली असद,अनीस अहमद, शिव दाधीच,अब्दुल शकूर बीकाणवी, हाजी सय्यद अख़्तर अली, साबिर गोल्डी, अब्दुल जब्बार जज़्बी,मोहम्मद आबिद ग़ौरी, ज़ाहिर हसन, मोहम्मद असलम एडवोकेट, मोहम्मद इरफ़ान रज़वी, सय्यद मोहम्मद जावेद, अब्दुल क़ादिर, रमीज ख़ान, सय्यद इरशाद अली, मोहम्मद अफ़ज़ल, मोहम्मद दानिश, साजिद हुसैन एवं वली मोहम्मद ग़ौरी के अनेक परिजन एवं दोस्त अहबाब मौजूद थे।
लोकार्पण समारोह का शानदार एवं सरस संचालन कवि-पत्रकार गिरिराज पारीक ने किया। सभी का शुक्रिया वरिष्ठ शायर इरशाद अज़ीज़ ने ज्ञापित किया।

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