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जरूरी मुद्दा : गाय, गौशाला, गोपालन व गोचर, ओरण को मिलें उचित संरक्षण

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*गाय को राज्य व राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करने के लिए राजनीतिक दल चुनावी घोषणा पत्र में सुझाव शामिल करने की घोषणा करें*

*केंद्रीय मंत्री मेघवाल से मिले गौ ग्राम सेवा संघ राजस्थान के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नीमराना*

बीकानेर । गौ ग्राम सेवा संघ राजस्थान, गोचर ओरण संरक्षण संघ व राष्ट्रीय गाय आंदोलन राजस्थान ने राजस्थान की प्रमुख दोनों राजनीतिक पार्टी यथा भाजपा और कांग्रेस के घोषणा पत्र समिति के अध्यक्षों के पास प्रस्तुत होकर उन्हें गाय गोचर पशुपालक और गौशाला के संदर्भ में घोषणा पत्र में सुझाव डलवाने के लिए अभ्यावेदन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर संगठन के सूरजमाल सिंह नीमराना के नेतृत्व में पार्षद अनूप गहलोत, प्रेम सिंह घुमान्दा ,एडवोकेट जलज सिंह, महेंद्र सिंह लखासर ने मिलकर अपनी बात कांग्रेस घोषणा पत्र समिति व भाजपा संकल्प पत्र समिति के समक्ष प्रस्तुत किया।

संगठन के सूरजमालसिंह नीमराना ने बताया कि भारतीय देशी गोवंश हमारे राष्ट्र की धरोहर है और सनातन काल से यह सनातन धर्म का आस्था का केंद्र रही है। वैज्ञानिक आधार पर यह स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि की अधिष्ठात्री रही है। गाय के कारण से भारतीय कृषि, भारत का स्वास्थ्य आज तक अक्षुण बना रहा है। इन्हीं धार्मिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए गाय को राष्ट्रीय मान्यता प्रदान करें। इसलिए राजनीतिक दलों से आग्रह है कि गाय, गोचर, ओरण के प्रति जन भावनाओं को अपने चुनावी घोषणा पत्र में सम्मिलित कर भारतीय समाज की भावना का आदर करें।

संगठन के अनूप गहलोत ने बताया कि हमने कांग्रेस घोषणा पत्र समिति व बीजेपी घोषणा पत्र संकल्प समिति के समक्ष भी प्रस्ताव प्रस्तुत किया। बीजेपी संकल्प समिति के अध्यक्ष अर्जुन राम मेघवाल से हुई वार्ता के अनुसार उन्होंने कहा कि हमारी पूरी चेष्टा रहेगी, हम गाय गोचर गोपालक और गौशाला से संबंधित बिंदु घोषणा पत्र में लें और उस पर सरकार बनने पर आगे काम करें। भाजपा के संकल्प पत्र समिति के सदस्यों को अभ्यावेदन दिया यथा सह- संयोजक सुभाष महरिया,घनश्याम तिवारी,अलका गुर्जर,करोड़ी लाल मीणा,राव राजेंद्र सिंह, राखी राठौड़,मनन चतुर्वेदी, एडवोकेट अशोक वर्मा,मोहनलाल नाई, हिमांशु शर्मा,सरदार जसवीर सिंह,ममता शर्मा, श्याम सिंह चौहान,डा. एस एस अग्रवाल,सी एम मीणा, कांग्रेस घोषणा पत्र समिति के किसी भी सदस्य से प्रत्यक्ष बात नहीं हो पाई उन्हें मेल और उनके कार्यालय में अभ्यावेदन प्रस्तुत करके संतोष करना पड़ा।
संगठन की प्रेम सिंह घुमान्दा ने बताया कि हमने निम्न बिंदु घोषणा पत्र में डलवाने के लिए अभ्यावेदन प्रस्तुत किया।

1.*भारतीय देशी गोवंश की समस्त श्रेणी, प्रजाति को राज्य व राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जावे।* धरोहर बनाने के लिए तीन बिंदु की आवश्यकता पड़ती है, प्रथम- उस वस्तु, व्यक्ति, जीव, जिसका सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरण, धार्मिक, आध्यात्मिक, महत्व हो। दूसरा- जो मानव जीवन के लिए बहुत उपयोगी हो, तीसरा- जिसकी नस्ल, प्रजाति समाप्त होने के समीप (कगार) पर हो। यह तीनों ही बातें भारतीय देशी गोवंश के संदर्भ में सटीक उतरती है। भारतीय देशी गोवंश की बहुत सी नस्लें समाप्ति के समीप है और यह मानव जीवन, मानव स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण, आर्थिक प्रबंधन, आदि के लिए भी बहुत उपयोगी है। अतः इसे धरोहर घोषित करके गौमाता को सम्मान प्रदान करें।

2.*भारतीय देशी गोवंश की समस्त प्रजाति को उसके अनुवांशिक नाम “गाय” या “गौवंश” से पुकारा जाए ना कि कैटल (मवेशी) शब्द से।* सरकारी शब्दावली में गोवंश को उसके वास्तविक नाम से पुकारा जाए जैसे- गाय, बछड़ा, बछड़ी, बैल, नंदी, सांड आदि आदि और अंग्रेजी में काऊ,बुल,काफ,ओक्स आदि।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 में भी गाय को गाय ही कहा गया है और उसके बाद ढोर,पशु, कैटल शब्द आया है इसलिए गाय को गाय ही कहा जाए ना कि कैटल।

3.*”राज्य गाय दिवस” की घोषणा करें।* किसी भी दिवस की घोषणा उस वस्तु,धरोहर,मान्यता,गुण,उपयोगिता, मानव जीवन पर प्रभाव, पर्यावरण, स्वास्थ्य, आदि पर प्रभाव, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, उन्नति पर प्रभाव अथवा वह प्रजाति विलुप्त्ति के समीप हो अथवा उसका बहुत ज्यादा ह्रास हो रहा हो आदि को देखकर उस जीव,प्राणी, व्यक्ति, वस्तु आदि के नाम से दिवस की घोषणा की जाती है। जो कि हमारी गाय पर सभी बिंदु सटीक बैठते हैं। इसलिए हमारी भारतीय प्रजाति की देसी गाय,के नाम से *गाय दिवस* या *गौ दिवस* या *गौवंश दिवस* घोषित होने के योग्य है। जिस प्रकार राज्य, राष्ट्रीय वह विश्व दिवस घोषित होते हैं। उस प्रकार गाय दिवस भी घोषित किया जाए।
क्योंकि राजस्थान उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक गोवंश पालने वाला राज्य है। यहां के किसान और गोपालक की आय गोवंश पर निर्भर है और राजस्थान में श्रेष्ठ नस्ल पाई जाती है।गोवंश के कारण ही राजस्थान भारत का दूध उत्पादन में प्रथम राज्य है। इसलिए भी गाय का सम्मान करते हुए राज्य गाय दिवस घोषित करें।

4.*गोचर हो गाय के नाम व ओरण हो देवता के नाम*
भारतीय पर्यावरण मान्यताओं,गोवंश के शून्य आधारित गोपालन व्यवस्था के लिए, हमारे पूर्वजों द्वारा धारित मान्यताओं पर संरक्षित संपत्ति के रूप में गोचर, ओरण का विचार, गाय के स्वस्थ और संवर्धन के लिए अतिउत्तम विचार था। उसे प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक राजा, महाराजाओं, सेठ, साहूकारों, दानदाताओं ने स्वयं पैसे देकर तत्कालीन सरकारों से भूमि खरीदकर उसे गोचर, ओरण के रूप में विकसित किया।
हमारा राजनीतिक दलों से निवेदन है कि वर्तमान में गोचर का नामांतरण राज्य सरकार के पास होता है, सरकार इस नामांतरण को “गाय” व ओरण को “देवता ” नाम से करके, इसे पूर्ण रूप से सुरक्षित करें। भविष्य में गोचर की मालिक गाय हो और ओरण का मालिक देवता हो अतः इसे सरकारी रिकॉर्ड में “मालिक गाय” व देवता दर्ज किया जाए , जिस प्रकार राजस्थान की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने मंदिर माफी की भूमि, डोली की भूमि को “ठाकुर जी” के नाम कर दिया था और वह आज ठाकुर जी के नाम लिखी जाती है। इसी प्रकार गोचर की “मालिक गाय” वह ओरण का “मालिक देवता” को बनाकर उसके नाम जमीन का नामांतरण किया जाए ।

5.*गोचर ओरण को राज्य धरोहर घोषित करे।* गोचर और ओरण का जो विचार हमारे मनीषियों, राजाओं, महाराजाओं सेठ ,साहूकारो ,हमारे पूर्वजों में था, उसे विचार को अक्षुण्ण बनाने के लिए राज्य सरकार *गोचर ओरण को राज्य धरोहर घोषित* करें। गोचर ओरण, आगौर आदि भूमि जीव सुरक्षा, जैव विविधता, पशुपालन, गोपालन,पर्यावरण रक्षा के लिए एक विचार और योजना थी। यह हमारे पूर्वजों का हजारों साल का अनुसंधान था, किस प्रकार शून्य आधारित पशुपालन किया जाए और जीव मात्र को कैसे बचाया जा सके, इस संदर्भ में इस विचार को गोचर ओरण आदि भूमि के रूप में विकसित व क्रियान्वित किया गया। अतः हमारे पूर्वजों के द्वारा विकसित की गई यह विचार और प्रणाली हमेशा हमारी धरोहर है। इसलिए राज्य सरकार गोचर ओरण को धरोहर घोषित करें।

6.*गोचर ओरण संरक्षण के लिए गोचर ओरण विकास निधि का हो गठन* जिस प्रकार पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने गौशालाओं व गोपालन हेतु गोवंश संरक्षण संवर्धन निधि 2016 का गठन किया था। उसे निधि में गौ सेस के रूप में स्टांप ड्यूटी व आबकारी पर 20% सेस लगाकर, यह राशि गौशाला व गोपालक के संदर्भ में खर्च की जाती है। उसी प्रकार राज्य सरकार गोचर ओरण संरक्षण के लिए अलग से निधि का गठन करें । ताकि गोचर ओरण का भी समुचित विकास करके गोपालन को सरल बनाया जा सके और जीव मात्र को बचाया जा सके।

7.*गोचर ओरण संरक्षण दिवस* हो घोषित वह *गोचर ओरण विकास बोर्ड* का हो गठन सरकारे गोचर ओरण आदि भूमि के समुचित विकास के लिए *गोचर ओरण विकास बोर्ड* का गठन करें। वह गोचर ओरण वह उसकी मेहता को प्रलक्षित करने के लिए *गोचर ओरण दिवस* की भी घोषणा करें।

8.*संपूर्ण गौ हत्याबंदी हो लागू*, *गौ हत्या पर मिले फांसी की सजा* भारतीय संविधान में गौ माता को अभय प्राप्त है, शास्त्रों में भी इसे अधन्य कहा गया है, भारतीय संविधान लिखने वालों ने उस समय कहा था कि भारत की आजादी से भी बड़ा प्रश्न संपूर्ण गोहत्या बंदी है, परंतु आज 75 वर्ष बीत जाने के बाद संपूर्ण गौ हत्याबंदी नहीं होना एक दुर्भाग्य है राजनीतिक दल राजस्थान में संपूर्ण गो हत्याबंदी लागू करें।

9.*7 नवंबर 1966 को *गौ भक्त बलिदान दिवस*”” घोषित किया जाए। व जिस स्थान पर गौ भक्तों का बलिदान हुआ उस जंतर मंतर दिल्ली को *गोभक्त बलिदान स्मारक* के रूप में विकसित किया जाए। स्वतंत्र भारत में संपूर्ण गौ हत्याबंदी के लिए शांतिपूर्वक आंदोलन करने वाले गो भक्तों का बलिदान लिया गया। ऐसे बलिदान को चिरस्थाई बनाने के लिए गौभक्त बलिदान दिवस घोषित किया जाए। जिस प्रकार पूर्व में हमारे पूर्वजों ने गाय के लिए बलिदान होने वालों को भोमिया जी, वह देवता की उपाधि देते थे। उसी प्रकार सरकार 7 नवंबर को गौ वक्त बलिदान दिवस घोषित करें।

10 *गौशाला व गोपालक को मिले सस्ता चारा,व चारा मिलेगा यह वचन (गारंटी) देवे सरकार* गोशालाओं व गोपालक को चारा *खाद्य सुरक्षा अधिनियम* व *आवश्यक वस्तु अधिनियम* के अंतर्गत लेकर वितरित किया जाए । ताकि इसकी कालाबाजारी,भंडारण आदि ना हो सके और मूल्यवृद्धि भी ना हो सके। क्योंकि मानव की तरह पशुओं के लिए भी उनके आहार चारे के सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए।

11 *देशी गोवंश के दूध का मूल्य हो गुणवत्ता पर आधारित* भारतीय देशी गोवंश के दूध का *मुल्य फैट* के आधार पर नहीं गुणवत्ता के आधार पर तय किया जाए। ताकि उसके गुणवत्ता का उचित मूल्य मिल सके। आज भारतीय देसी गौ वंश का दूध A2 मिल्क है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा लाभकारी है और अन्य दूध जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है उनके बराबर ही गोवंश के दूध का मूल्य तय किया जा रहा है जो सरासर गलत है। इसलिए फैट आधारित व्यवस्था नहीं गुणवत्ता आधारित मूल्य तय होना चाहिए।

12.*भारतीय देशी गोवंश पालने वाले को मिले अनुदान व प्रोत्साहन* 2 से अधिक देशी गोवंश पालने वाले प्रत्येक गोपालक को 2000 रुपए प्रतिमाह अनुदान दिया जाए। देशी गोवंश रखने वाले व्यक्ति को गोवंश की संख्या के अनुरूप प्रोत्साहन राशि और राज्य व जिला स्तर पर सम्मानित किया जाए।

13 *गौशालाओं को मिले 12 महीने का अनुदान अनुदान राशि में हो बढ़ोतरी* राजस्थान की गौशालाओं को अनुदान 12 महीने का मिले, वह अनुदान की राशि प्रति गोवंश प्रतिदिन 50 व ₹100 की जाए ।

14.*चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाली गौशाला को मिले अतिरिक्त सुविधा* चिकित्सा ट्रोमो सेंटर चलाने वाली गौशाला को 12 महीने अनुदान मिले वह निशुल्क दवाई और मेडिकल इक्विपमेंट, चिकित्सक व पशुधन सहायक उपलब्ध करवाए जाए।

15.*गोचर ओरण अधिग्रहण के कानून में हो बदलाव* गोचर ओरण को सार्वजनिक हित में अधिग्रहण करने के कानून को पूर्णत: हटाया जाए । इस कानून को हटाने के लिए सरकार बनने के 100 दिन के एजेंडे में प्राथमिकता से लेकर गोचर ओरण को संरक्षित किया जाए ।

16.*गौशाला को भूमि का हो आवंटन*- गौशाला को गौशाला संचालन के लिए निशुल्क भूमिका आवंटन किया जाए , जो गौशाला वर्तमान में जिस भूमि पर चल रही है, उस भूमि को या तो लीज पर देवें या नियमित किया जावे। गौशाला को भूमि आवंटन अनिवार्य रूप से किया जाए। नई सरकार के प्रथम 100 दिन के कार्य योजना में इसे लिया जाए ।

17.*गौशाला को पेयजल की मिले सुविधा*- प्रत्येक गौशाला में पी एच ई डी के पानी कनेक्शन के नियम चेंज करके गौशाला को पी एच ई डी से पानी कनेक्शन दिलवाया जाए । वर्तमान में पीएचईडी में गौशाला को पानी का कनेक्शन देने का नियम नहीं है, इस नियम में संशोधन करके गौशालाओं को पीएचईडी द्वारा पानी कनेक्शन देने की पहल करनी चाहिए।

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