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रंगमंच की दृष्टि से सफल बाल नाटक है ’मुगती’- डॉ जोशी

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नई अर्थवता एवं अनुभव की कलात्मक अभिव्यक्ति है ‘मुगती नाटक‘-छंगाणी

बीकानेर। प्रज्ञालय संस्थान द्वारा अपने साहित्यिक नवाचारों एवं पुस्तक संस्कृति के संवर्द्धन के तहत संस्थान के संस्थापक हिन्दी-राजस्थानी के महान् पुरोधा कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा को समर्पित ’दो दिवस’-‘दो पुस्तक लोकार्पण’ समारोह के क्रम में आज प्रातः 11 बजे सृजन सदन में राजस्थानी के युवा कवि-कथाकार पुनीत कुमार रंगा की नई राजस्थानी बाल नाटक की कृति ’मुगती’ का लोकार्पण हुआ।

लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं सस्कृति अकादमी के अध्यक्ष एवं ख्यातनाम साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने कहा कि युवा साहित्यकार पुनीत कुमार रंगा ने ‘मुगती‘ नाटक में अपने शिल्प कौशल से अपने अनुभव को कलात्मक अभिव्यक्ति देते हुए नाटक को नई अर्थवता प्रदान की हैं जो महत्वपूर्ण है,। राजस्थानी बाल नाटकों में अच्छे एवं स्तरीय नाटकों की आज भी जरूरत है। इसी संदर्भ में युवा कवि-कथाकार पुनीत कुमार रंगा ने ’मुगती’ नाटक के माध्यम से बाल उपयोगी कथ्य-शिक्षण के साथ मानवीय संवेदना, सामाजिक विडंबना एवं समस्या आदि के यथार्थ एवं समय के सच को प्रगट करने का सफल सृजनात्मक उपक्रम किया है। इसके लिए नाटककार रंगा साधुवाद के पात्र है।

समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय साहित्य अकादेमी नई दिल्ली मे हिन्दी भाषा परामर्श मण्डल के सदस्य एवं ख्यातनाम कवि-आलोचक डॉ. ब्रजरतन जोशी ने कहा कि नाटक सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विधा है। ऐसे में ‘मुगती‘ जैसे राजस्थानी बाल नाटक का सृजन होना सुखद है। नाटककार पुनीत कुमार रंगा ने दहेज जैसी स्थायी सामाजिक बुराई को केन्द्र में रखकर कथ्य के साथ सही निवर्हन करते हुए अच्छे ट्रीटमेंट, एवं कसे हुए संवादों के माध्यम से समस्या को मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक विचलित हो जाता है। ‘मुगती‘ बाल नाटक रंगमंच की दृष्टि से भी सफल है।
समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि अपनेे विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ गायक एवं संपादक सुशील छंगाणी ने कहा कि युवा पीढी का अपनी मातृभाषा में सृजन करना एक अच्छी एवं सकारात्मक पहल है। जिससे राजस्थानी मान्यता को बल मिलेगा। युवा साहित्यकार पुनीत कुमार रंगा इस बाल नाटक के माध्यम से सामाजिक विडंबना को अच्छे ढंग से प्रस्तुत करने में सफल रहे है।

प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने कहा कि प्रज्ञालय संस्थान गत कई दशकों से साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार एवं नव पहल करता आया है। इसी कड़ी में ‘दो दिवस-दो पुस्तक लोकार्पण‘ का आयोजन हो रहा है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवा कवि-कथाकार गिरिराज पारीक ने कवि कथाकार पुनीत कुमार रंगा के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रंगा हिन्दी, राजस्थानी और अंग्रेजी में सृजनरत है। आपकी आज तक तीन राजस्थानी एवं एक हिन्दी की पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है।
सभी का आभार प्रज्ञालय संस्थान के हरिनारायण आचार्य ने ज्ञापित किया।

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