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प्रथम पूज्य गणपति पूजन से पहले करें सूर्य पूजन

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*यह रहेगा गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त*

*व्यापार में बाधा या आर्थिक समस्या हो तो ये करें उपाय*

बीकानेर । पंडित गिरधारी सूरा के अनुसार सनातन धर्म के उपास्य देवो में श्री गणपति भगवान का स्थान सर्वोपरि है वे विघ्नों को हरने वाले और अग्रपूज्य है।  गणेश चतुर्थी इस बार 31 अगस्त 2022 को है और अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन होता है। गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। इस दिन घरों में ,व्यापार में , बड़ी जगहों और हर घर के मुख्य दरवाजों पर गणेश जी का पूजन होता है। गणेश जी की उपासना करने से घर मे संपन्नता, समृद्धि, सौभाग्य और धन का समावेश होता है। शास्त्रो में इस किए गए व्रत और पूजन का विशेष महत्व बतलाया गया है किसी भी नए या अच्छे काम की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाना शुभ माना जाता है। वैसे तो तो सभी जगह यह त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाते है लेकिन महाराष्ट्र में यह बहुत प्रचलित है वहां इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते है।
       

पंडित गिरधारी सूरा के अनुसार सभी पार्थिव गणेश जी की प्रतिमा को लाकर पूजन करते है, लेकिन शास्त्रो में कई प्रकार से बने गणपति का उल्लेख मिलता है जिसमे गुड़ की प्रतिमा , हरिद्रा की प्रतिमा, गोधूमान्न और अन्य। कुछ लोग गणेश चतुर्थी के अगले दिन गणेश की प्रतिमा का विसर्जन करते है और कुछ गणेश चतुर्थी के बाद 3,5,7,10 वें दिन और 11 वें दिन पर गणपति विसर्जन करते है।

गणेश चतुर्थी पूजा शुभ मुहूर्त व समय:-
वैसे तो दिनभर ही शुभ मुहूर्त है फिर भी, गणेश पूजन का श्रेष्ठ समय मध्याह्नकाल माना गया है। गणेश पूजन का श्रेष्ठ समय दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से दोपहर 2 बजकर 25 मिनट तक सर्व श्रेष्ठ रहेगा।

ऐसे करें भगवान गणपति का पूजन
पंडित गिरधारी सूरा के अनुसार जो श्रद्धालु गणेश जी की मूर्ति को घर में या कहीं पर भी लेकर आते है तो सबसे पहले मूर्ति को कपड़े से ढककर लाना चाहिए। गणपति पूजन से पहले सूर्य भगवान का पूजन करना चाहिए। हमने देखा है कि सनातन धर्म किसी भी देवी देवताओं का पूजन हो तो सर्वप्रथम भगवान गणपति का पूजन करते है लेकिन पूजन में भगवान गणेश जी अगर प्रधान देवता हो तो उनसे पहले सूर्य भगवान का पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। विद्वान ब्राह्मण द्वारा विधि विधान से भगवान गणपति की प्राण प्रतिष्ठा कर, स्नान व पृथक पृथक द्रव्यों से अभिषेक आदि कर वस्त्र पहनाए, षोड्षोपचार पूजन करके साथ में पात्र पूजन आवरण सहित अङ्गों का पूजन अर्चन करे। नैवेद्य में विशेष रूप से मोदक, चूरमा, कवीठ, लाजा का भोग लगाएं। साथ में पान, सुपारी , फल , दक्षिणा लगाकर आरती और पुष्पांजलि करें।

इन उपायों से गणपति को करें प्रसन्न पंडित गिरधारी के अनुसार जिनकी कुंडली में किसी प्रकार का दोष , व्यापार में बाधा या आर्थिक समस्या हो तो भगवान गणपति को इन उपायों से प्रसन्न करें :–

1. सर्व मनोकामना हेतु पार्थिव गणपति का पूजन व अभिषेक करें। साथ ही शुद्ध घी का अखंड दीपक करे ।
2. चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति के लिए गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करे। गणेश जी को मीठा पान चढ़ाए ।
3. गणपति सहस्त्रार्चन करने से भगवान गणेश की कृपा पूर्ण रूप से बनी रहती है। गुलाब के पुष्प अर्पित करे ।
4.समस्त प्रकार के संकट दूर करने के लिए संकटनाशन स्तोत्रं और भालचंद्र का पाठ करे। साथ ही गणेश जी को सिंदूर चढ़ाए ।
5.शोक निवारण व रोगोपद्रव को शांत करने के लिए मयूरेश स्तोत्रं का पाठ और साथ में मधुत्रय व लाजा से हवन करें। गणेश जी को गुड़ चढ़ाए ।
6.आर्थिक संकट का भार हो तो ऋणहर्ता गणपति अनुष्ठान करे। गणपति को दूर्वा चढ़ाए।
7.संतान प्राप्ति के लिए सन्तान गणपति स्तोत्रम का पाठ करें और चावल की खील ( लाजा ) अर्पित करे ।
8.विवाह दोष दूर करने के लिए त्रैलोकयमोहन गणेश का अनुष्ठान करे और मोदक ( लड्डू ) का भोग लगाए ।

पंडित गिरधारी सूरा ( पुरोहित )
बारह गुवाड़ का चौक ,सूरदासानियों की गली भैरव निवास बीकानेर (राज.)
09950215052
[email protected]

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