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गैस सिलेंडर के भावों में आग, काम नहीं आ रहा है कांग्रेस का विरोध

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बीकानेर। घरेलू गैस सिलेंडर के भावों में लगातार बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। बढ़ते दामों ने भाजपा व कांग्रेस दोनों पक्षों से उपभोक्ताओं को बुरी तरह से प्रभावित किया हैं। भाजपा के पक्षधर उपभोक्ताओं की मजबूरी यह है कि वे अपना दर्द बयां नहीं कर सकते क्योंकि केंद्र में उनकी ही चुनी हुई सरकार है। इसलिए खुलकर विरोध नहीं कर सकते। वहीं विपक्षी कांग्रेस के पक्षधर उपभोक्ता विरोध तो खुलकर दर्ज कर रहे हैं, लेकिन विरोध प्रदर्शन में इतनी ताकत नहीं कि वे केंद्रीय सरकार को भाव कम करने के लिए विवश कर दें। यानि कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन महज औपचारिकता पूरी करते नज़र आ रहे हैं। पिछले सालों में कई बार भाव बढ़े और कांग्रेस ने एक दिवसीय प्रदर्शन कर इतिश्री कर ली। प्रदर्शन का आउटपुट कुछ नहीं रहा। यही वजह है कि विशाल पीड़ित तबका उनके साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा है। जनता की मजबूरी यह है कि उसे सुबह से शाम तक के पेट भरने के जुगाड़ से फुर्सत नहीं मिल पा रही है तब कैसे इन प्रदर्शनों के लिए वक्त निकालें। यदि एक दिन के लिए वक्त निकाल भी लें और सिलेंडर के भाव कम नहीं हो तो उस दिन की मजदूरी से हाथ धो बैठने का मलाल कई कई दिनों तक पीड़ा देता है। जनता की इसी मजबूरी का फायदा सियासी पार्टियां उठाती रहीं हैं। एक बार पूर्व सिंचाई मंत्री देवीसिंह भाटी की प्रेस कांफ्रेंस में जाने का मौका मिला। कान्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि जनता जरूरत से ज्यादा सहनशील हो गई है। वरना एक जमाना था जब 50 पैसे की भी बढ़ोतरी हो जाती तो जनता सड़कों पर बिछ जाती थी और आज 50 रुपया भी बढ़ जाता है तो विरोध नहीं जताते। नई पीढ़ी सोशल मीडिया पर जरूर विरोध दर्ज कराती, लेकिन उसका बटता क्या है। भाटी की बात के अलग अलग मायने निकाले जा सकते हैं, लेकिन इतना तय है कि जनता या तो सहनशील हो गई हैं या फिर उसकी विवशताओं ने ही विवश कर रखा हो। जहां तक विपक्ष का सवाल है तो उसकी नियत साफ नहीं है। क्योंकि वह जब सड़क पर उतरती है तो उस पानी के बुलबुले की तरह आती है जो क्षणभर में फुस्स हो जाता है। होना तो यह चाहिए कि जब तक परिणाम तक नहीं पहुंच जाए तब तक डटे रहे, लेकिन इतनी क्षमता वर्तमान कांग्रेस पार्टी में नहीं है। दूसरा कांग्रेस सड़क पर महंगाई का कम और मोदी का विरोध ज्यादा करती हैं। सही मायने में महंगाई का विरोध हो तो जनता का भी समर्थन मिल जाए।

राजस्थान की जनसंख्या वृद्धि की बात करें तो गठन के बाद से बीते 7 दशकों में राजस्थान की आबादी 426% तक बढ़ी है। जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान की कुल आबादी 6,85,48,437 आंकी गई। वहीं, मार्च 2021 में यह आबादी अनुमानित 8,01,29,740 मानी जा रही है। इसी आंकड़े को आधार माने तो 8 करोड़ की जनसंख्या में से कांग्रेस महज 76 लाख की आबादी को 500 रूपये सिलेंडर दे रही है। तो बाकी सवा सात करोड़ की आबादी को कहां राहत मिल रही हैं। वोट तो 8 करोड़ राजस्थानियों के चाहिए तो राहत महज 76 लाख राजस्थानियों के लिए कैसे? इसलिए जनता को इन राजनेताओं की नीति और नियत को समझना होगा और इसी आधार पर पार्टियों को महत्व दें एवं व्यवहार करें।

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घरेलू गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों के विरोध में शहर जिला कांग्रेस द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रधान मंत्री मोदी ने गैस सिलेंडर पर 50 रुपए बढ़ाकर चार दिन बाद आने वाले महिला दिवस पर देश की महिलाओं को महंगाई का एक और तोहफा दिया है। आए दिन पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। जिसके चलते सब्जियों, दालों और तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। देश की जनता को दो वक्त का खाना तक नसीब नहीं हो रहा है। बढ़ती महंगाई के कारण महिलाओं का रसोई बजट बिगाड़ के रख दिया है। महिलाओं को घर परिवार चलाने में दिक्कतें उठानी पड़ रही है।

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