बीकानेर बना मूंगफली व्यापार पर मंथन का केन्द्र, इंडियन पी-नट ब्रोकर्स एसोसिएशन की बैठक संपन्न
बीकानेर। होटल पार्क पैराडाइज में इंडियन पी-नट ब्रोकर्स एसोसिएशन (IPBA) की राष्ट्रीय स्तर की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना, हैदराबाद, तमिलनाडु और पंजाब सहित विभिन्न राज्यों से जुड़े मूंगफली दाना कारोबारियों व ब्रोकरों ने भाग लिया। बैठक में बायर्स और सेलर्स दोनों ने अपनी समस्याओं और सुझावों को सामने रखा। बैठक में विनोद एग्रो इंडस्ट्रीज के प्रमुख विनोद बाफना, अंकित बाफना, जिंदल इंडस्ट्रीज के प्रमुख राजेश जिंदल, बीकानेर मूंगफली दाना मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष भंवरलाल गोरछिया आदि उद्यमी शामिल हुए।



एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेश नथवाणी ने बताया कि इस बैठक का प्रमुख उद्देश्य मूंगफली दाना व्यापार में आ रही परेशानियों के समाधान के लिए सामूहिक मार्ग ढूँढना है। उन्होंने कहा कि ट्रेड में फिलहाल सबसे बड़ी समस्याएँ लेट पेमेंट और जीएसटी के अनुपालन से जुड़ी हैं, जिनका समाधान निकालना जरूरी है।
उन्होंने आगे बताया कि बीकानेर को इस बैठक के लिए चुनने के पीछे विशेष कारण हैं। बीकानेर और इसके आसपास के इलाके मूंगफली दाना उत्पादन और प्रसंस्करण के बड़े केन्द्र हैं। जयपुर और जोधपुर जैसे बड़े बाजार भी बीकानेर के नजदीक हैं। राजस्थान में 500 से 600 मूंगफली दाने की फैक्ट्रियाँ कार्यरत हैं, जबकि केवल गुजरात में ही करीब 2000 फैक्ट्रियाँ सक्रिय हैं। इतने बड़े उद्योग जगत को एकजुट करना आसान नहीं है, लेकिन IPBA के माध्यम से इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
नथवाणी ने कहा कि पूरे भारत के फैक्ट्री ओनर्स को एक प्लेटफॉर्म पर लाना संभव नहीं है, लेकिन फिर भी संगठन राज्य-स्तर पर उद्योग जगत को अधिकतम एकजुट करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने यह भी माना कि छोटे-मोटे मुद्दों का समाधान करके मूंगफली व्यापार को नई दिशा दी जा सकती है।
एक्सपोर्ट में आ रही चुनौतियाँ
बैठक में मूंगफली निर्यात से जुड़ी प्रमुख समस्याओं पर भी विचार-विमर्श किया गया। नथवाणी ने बताया कि एक्सपोर्ट ट्रेड में मोइश्चर, टिक्की की समस्या और दाने में स्पॉट जैसी दिक्कतें अक्सर आती हैं। ये चुनौतियाँ भारतीय मूंगफली की क्वालिटी पर असर डालती हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो जाता है।
भारत से मूंगफली और उसके तेल का सबसे बड़ा निर्यात इंडोनेशिया और चीन को होता है। पहले चीन मूंगफली दाना अधिक आयात करता था, लेकिन अब वहाँ तेल की मांग अधिक हो गई है। इसके अलावा गल्फ देशों, रूस और यूक्रेन में भी भारत की मूंगफली की अच्छी खपत है।
बीकानेर एसोसिएशन का योगदान
इस बैठक के आयोजन में बीकानेर एसोसिएशन अध्यक्ष भंवरलाल गौरछिया और उनके संगठन का विशेष सहयोग रहा। नथवाणी ने कहा कि बीकानेर के कारोबारियों ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे राजस्थान के व्यापारियों की ओर से भी सराहनीय सुझाव दिए।
अध्यक्ष ने कहा कि कुछ समस्याओं का समाधान सीधे ब्रोकर्स स्तर पर किया जा सकता है, लेकिन अन्य मामलों में बायर्स और सेलर्स दोनों को साथ बैठकर बातचीत करनी होगी। सेलर्स ने अपनी दिक्कतें स्पष्ट की हैं और अब इन्हें बायर्स के सामने रखा जाएगा ताकि व्यवहारिक समाधान निकले।
अंत में नथवाणी ने आशा जताई कि इस बैठक से निकले निष्कर्ष और सुझाव मूंगफली दाना व्यापार को मजबूती देंगे और छोटे-मोटे मुद्दों का समाधान बहुत जल्द किया जाएगा।
व्यापार हितों को लेकर मूंगफली दाना मिल एसोसिएशन ने रखी मांगें
बीकानेर। इंडियन पीनट ब्रोकर एसोसिएशन (आईपीबीए) के समक्ष मूंगफली दाना मिल एसोसिएशन, बीकानेर ने व्यापार हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दे रखे हैं। एसोसिएशन अध्यक्ष भंवर लाल गोरछिया ने कहा कि व्यापार में पारदर्शिता और समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने जरूरी हैं। गोरछिया ने कहा कि इन नियमों को लागू करने से व्यापारिक अनुशासन बनेगा और खरीदार, विक्रेता व दलाल तीनों के हित सुरक्षित होंगे।
एसोसिएशन ने आईपीबीए को दिए पत्र में मुख्य बिंदु इस प्रकार रखे—
1. मूंगफली और मूंगफली दाने का भुगतान गाड़ी उतरने के दूसरे दिन ही किया जाए।
2. जीएसटी का भुगतान, लेन-देन के साथ ही हो।
3. भुगतान की संपूर्ण जिम्मेदारी दलाल की होगी।
4. दलाली का भुगतान वर्षांत (मार्च-टू-मार्च) में किया जाए और इसकी दर निश्चित हो।
5. नाजायज क्लेम करने वाली पार्टियों और अनुचित व्यवहार करने वाले दलालों का एसोसिएशन और आईपीबीए मिलकर बहिष्कार करेंगे।
6. माल की डिलेवरी में किसी प्रकार का अतिरिक्त खर्च नहीं काटा जाएगा।
7. पासिंग फैक्ट्री में ही हो तथा पासिंग चार्ज फैक्ट्री मालिक वहन करें, जैसा कि गुजरात में व्यवस्था है।
8. गाड़ी का धर्मकांटा सैंपलिंग से पहले हो और वजन के बाद जिम्मेदारी खरीददार पार्टी की होगी।
9. माल बेचने के बाद तेजी-मंदी के कारण भाव फर्क का विवाद होने पर, लेवाल और बिकवाल दोनों को बाजार भाव से समायोजन करना होगा।