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मकर संक्रांति को ऐसा करने पर रुके काम बनेंगे, व्यापार में होगा लाभ

बीकानेर । मकर संक्रांति को अलग-अलग प्रकार से दान करने पर रुके काम बनेंगे, व्यापार में भी लाभ होगा। इस बारे में बारह गुवाड़ का चौक स्थित सूरदासानी गली निवासी पंडित गिरधारी सूरा ( पुरोहित) दे रहे हैं पूरी जानकारी। सबसे पहले पुरोहित से जानते हैं कि संक्रांति किसे कहते हैं-
पंडित पुरोहित बताते हैं कि प्रति वर्ष मकर संक्रांति अलग-अलग वाहनों पर, विभिन्न प्रकार के वस्त्र पहन कर, विविध शस्त्र, भोज्य पदार्थ एवं अन्य पदार्थों के साथ आती है। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने को संक्रांति कहते हैं। एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति की अवधि ही सौरमास है। वैसे तो सूर्य संक्रांति 12 हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण हैं, जिनमें मेष, कर्क, तुला, मकर संक्रांति हैं।
प्रति माह होने वाला सूर्य का निरयण यानी राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाता है। सामान्यतया आमजन को सूर्य की मकर संक्रांति का पता है, क्योंकि इस दिन दान-पुण्य किया जाता है। इसी दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इस संक्रांति को सजीव माना गया है।

दक्षिण भारत में इस पर्व को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। पंडित गिरधारी सूरा (पुरोहित ) ने बताया कि मकर संक्राति पर सू्‌र्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद ही पुण्यकारी फल मिलता है। मकर संक्रांति पर मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के साथ ही शादी, गृह प्रवेश, घर बनाना, घर खरीदना और मुंडन आदि जैसे हर प्रत्येक शुभ कार्य शुरू कर दिए जाते हैं.
इस दिन पवित्र नदियों में तिल से स्नान, तिल से बनी हुई वस्तुओं का दान एवं सेवन, जप,तप, पूजा पाठ विशेष फलदायी व पुण्यकारी होता है।
वहीं इस पर्व को पंजाब में लोहड़ी, दक्षिण भारत में पोंगल, यूपी व बिहार में खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।पंडित गिरधारी सूरा के अनुसार. इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी. मकर संक्रांति की शुरुआत 14 जनवरी 2023 को रात 08 बजकर 43 मिनट पर होगी. मकर संक्रांति का पुण्य काल मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा और इसका समापन शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगा. वहीं महापुण्य काल सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा. इसलिए पुरा दिन ही शुभ है . उदयातिथि के अनुसार, पुण्यकाल और महापुण्यकाल में स्नान-दान करना शुभ होता है

संक्रांति का वाहन व्याघ्र है तथा उपवाहन अश्व है। और सक्रांति इस बार  माली के घर में है जो जनता के लिए सुख समृद्धिकारक व लक्ष्मीकारक है।पीला वस्त्र पहने हैं तथा गदा ले रखा है। हाथ में चांदी का पात्र है। पायस ( खीर ) का सेवन कर रही है। शरीर पर कुमकुम का लेप है। जातिपुष्प का मुकुट है।  कुमार्यावस्था में है पर्ण कंचुकी पहन रखी है। 
इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध तथा अनुष्ठान का बहुत महत्व है। कहते हैं कि इस मौके पर किया गया दान सौ गुना होकर वापस फलीभूत होता है। मकर संक्रान्ति के दिन मिट्टी का पालसिया ,गुड़ घी-तिल-कंबल-खिचड़ी दान का खास महत्व है।

इस दिन इन उपायों को करने से ग्रह होंगे और मजबूत
मिट्टी का पालसिया दान करने से मंगल दोष दूर होता है साथ में मकान ,जमीन लेने या देने में समस्या आ रही हो तो वो दूर होती है
खिचड़ी दान करने से शनि , बुध् और गुरु ग्रह के दोष दूर होते है और रुके हुवे काम बनते है !! व्यापार में भी सफलता मिलती है !
काले तिल का दान करने से शनि ग्रह का दोष भी दूर होता है साथ में धन धान्य में वृद्धि होती है !
गुड़ और घी का दान करने से सूर्य और गुरु ग्रह का दोष दूर होता है साथ में बड़ी से बड़ी बीमारी या संकट दूर होते है और मान सम्मान भी मिलता है !
कम्बल और जूते चप्पल का दान करने से शनि राहु और केतु ग्रह के दोष दूर होते है साथ में मानसिक शान्ति मिलती है ।

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