मौसम विभाग ने बताया बीकानेर में अगले पांच दिन का बारिश का पूर्वानुमान
बीकानेर । बीछवाल स्थित मौसम केंद्र के अनुसार आने वाले दिनों में बीकानेर में आने वाले दिनों में दिन व रात के तापमान में कमी होने, मध्यम आपेक्षिक आर्द्रता के साथ तेज गति की हवाएँ चलने और घने बादल छाए रहने के साथ वर्षा होने की संभावना है। मौसम केन्द्र के अनुसार बीकानेर में आज बारिश नहीं होगी। वहीं 3 अगस्त को 4 एम एम, 4 को 20 एम एम, 5 को 7 एम एम तथा 6 अगस्त को 12 एम एम बारिश होने की संभावना है। बीकानेर में आज मंगलवार को अधिकतम तापमान 37 डिग्री व न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। वहीं हवा 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली। 👇
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, कृषि अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर द्वारा उपरोक्त मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर बीकानेर जिले के किसान भाइयों को निम्नाकित सलाह दी जाती है।
खरपतवार एवं कीट व्याधियों के प्रकोप के लिए नियमित रूप से खेत का भ्रमण करते रहे।
मौसम के साफ होते ही (धूप निकलते ही) खेतो में निराई-गुड़ाई करें जिससे पौधों की जड़ों तक वायु परिसंचरण हो सके।
वर्तमान और आने वाले दिनो की मौसम की परिस्थितियों के कारण मूँगफली की फसल में सफ़ेद लट के प्रकोप की संभावना है। अतः किसान भाई सफ़ेद लट विशेषकर वयस्क / भृंगों के नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैपए प्रकाश पाश आदि का प्रयोग करें।
. अगेती बुवाई वाली ग्वार की फसल में वर्तमान और आने वाले दिनो की मौसम की परिस्थितियों के कारण रस चुसने वाले कीड़ो जैसे हरा तेलाए थ्रिप्स आदि का प्रकोप बढ़ सकता है। अगर इन कीटो का आक्रमण हो तो इनकी रोकथाम के लिए किसान भाई आसमान साफ होने पर इमिडाक्लोप्रिड का 300 एम एल प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करे।
मूँगफली की खड़ी फसल में दीमक की रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफोस नामक दवा को 2.5 ली/ है की दर से वर्षा होने के साथ या सिंचाई पानी के साथ मिट्टी में मिलकर खेत में भुरकें ।
मूँगफली की खड़ी फसल में जड़ गल्न रोग की रोकथाम के लिए कार्बेण्डिज्म नामक दवा को 2 किग्रा / है की दर से वर्षा होने के साथ या सिंचाई पानी के साथ मिट्टी में मिलकर खेत में भुरकें
वर्षा होने पर चारे वाली फसलो मे यूरिया का छिड़काव करे।
आने वाले दिनों में वर्षा होने की संभावना है अतः मूँगफली की फसल में सिंचाई को कुछ समय के लिए स्थगित करे तथा खड़ी फसल (मूँगफली व चारे वाली फसल) मे किसी भी प्रकार के रसायनो का छिड़काव न करें।
अधिक बरसात होने की स्थिति में बुवाई किये हुए मूँगफली एवं बाजरा के खेतो में उचित जल निकास की व्यवस्था करे । बारिश के मौसम में संतुलित हरे चारे के लिए बाजरा व ज्वार के साथ लोबिया व ग्वार के साथ मिलकर बुवाई करें।