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शादी के बाद विदाई से पहले सजी-धजी दुल्हन यहां पहुंची तो सब हुए हैरान

बीकानेर। बिनानी कन्या महाविद्यालय के शिक्षक व छात्राएं उस समय ताज्जुब में पड़ गए जब सज्जी-धज्जी दुल्हन परीक्षा देने पहुंची। वह परीक्षा देने के अपने दूल्हे के साथ विवाह स्थल से सीधे कॉलेज आयी थी। दरअसल,श्रीकोलायत उपरला बास निवासी झमण लाल पंचारिया के पुत्र श्रीराम पंचारिया की शादी बीकानेर के जवाहर नगर निवासी मनमोहन जाजड़ा की पुत्री कुसुम से बीती रात तीन जुलाई को संपन्न हुई और विदाई के दिन दुल्हन कुसुम की परीक्षा थी। तो ऐसे में तय हुआ कि विदाई से पहले कुसुम एग्जाम देने जाएगी और उसके बाद ही विदाई की रस्म अदा की जाएगी।

दुल्हन के चाचा भाजपा के युवा नेता मनोज जाजड़ा ने बताया कि कुसुम बीए तृतीय वर्ष की छात्रा है। शिक्षा को बढ़ावा देने और सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढाओ के विजन को उनकी भतीजी ने साकार करते हुए शादी के मंडप के बाद विदाई लेने से पहले बीए की परीक्षा देने परीक्षा केंद्र जा पहुंची । दुल्हन कुसुम के इस निर्णय पर परिजनों व ससुराल पक्ष से खूब सहयोग मिला ।

पेशे से बतौर शिक्षक झमण लाल पंचारिया जो कि दुल्हन कुसुम के सुसर है,उन्होंने बताया कि शादी की तिथि निर्धारित करने के दौरान ही वधु पक्ष के साथ यह तय हो गया था कि वे विदाई से पहले अपनी बहू को बीए की परीक्षा दिलवाएंगे उसके बाद ही विदाई लेंगे। क्योंकि अगर परीक्षा छूट गयी तो उसकी पूरे साल की मेहनत बर्बाद हो जाएगी। उन्होंने बताया कि रात भर विवाह का कार्यक्रम चला और सुबह होने पर वह छात्रा दुल्हन के पहनावे में ही परीक्षा देने के लिए कार से कॉलेज पहुंच गयी। यह नजारा देखकर कॉलेज में शिक्षक और परीक्षार्थी हैरान रह गये। यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

गौरतलब है,दूल्हा श्रीराम पंचारिया श्रीकोलायत के भूतपूर्व उपसरपंच व प्रशासनिक अधिकारी और पटवारी के नाम से जाने वाले स्वर्गीय उमाराम पंचारिया का सुपौत्र है। पटवारी परिवार व समाज के लिए वे एक आदर्श पुरूष थे,जिन्होंने ताउम्र ईमानदारी व सच्चाई का पाठ पढ़ाया, उनकी कही हुई बातों में इतना वजन होता था कि श्रीकोलायत व आसपास के गाँवो सहित समाज की पंचायत में उनकी सलाह मशविरा के बिना कोई कार्य नही होता था। वे हमेशा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के पक्षधर थे,ओर हर किसी शादी समारोह अन्य आयोजन में इसके बारे में संदेश देते थे। दूल्हे श्रीराम पंचारिया ने बताया कि स्वर्गीय दादाजी के सन्देश को आज पूरा करने का अवसर मिला है ।

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