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अभी मार्केट पूरा स्टैण्डबाई मोड में है

बीकानेर की करणी औद्योगिक क्षेत्र स्थित पवन झाडू इंडस्ट्रीज के युवा डायरेक्टर मुकेश चौधरी कहते हैं कि  वैश्विक  महामारी के चलते लाॅकडाउन-1 में इंडस्ट्रीज बंद रही। यहां तक की झाड़ू इंडस्ट्री में काम आने वाला रॉ मैटेरियल भी लॉकडाउन के कारण आना बंद हो गया। यह रॉ मैटेरियल इंडोनेशिया, मलेशिया व नेपाल से आता है, लेकिन लॉकडाउन के कारण इस पर रोक लग गई और यहां की इंडस्ट्री को जो स्टॉक बचा था उसी से काम चलाना पड़ा।  एक वैरायटी तो शाॅर्ट ही हो गई। बाद में माल भी शाॅर्ट हो गया लैबर भी शाॅर्ट हो गई तब बाजार खराब ही हुआ।  फिर लाॅकडाउन-2 में अनुमति मिली, लेकिन ट्रेन्स चालु हो गई तो 60 प्रतिशत लेबर चली गई। तब हमें 40 प्रतिशत लेबर से काम चलाना पड़ा। इसके चलते दीपावली के बाद पेमेंट कलेक्शन पूरी तरह से प्रभावित हो गया। इतना ही नहीं लाॅकडाउन-2 में 60 प्रतिशत उत्पादन गिर गया। जबकि डिमांड अच्छी थी।  दीपावली और धनतेरस पर झाड़ू को खरीदना शुभ शगुन माना जाता है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल धनतेरस और दीपावली पर कई करोड़ झाड़ृ बिक जाते हैं।भारतीय बाजारों में झाड़ू की मांग वर्षभर लगभक एक समान बनी रहती है और दीपोत्सव के समय तो देश में इसकी बंपर बिक्री होती है, लेकिन इस बार कोरोना की पाबंदियों और संक्रमण के भय ने आमजन को बाजरों तक पहुंचने में रोक दिया। इसके चलते अन्य उत्पादों के साथ झाडू की बिक्री भी प्रभावित हुई। फिर भी हमने उत्पादन को दिपावली पर मैनेज किया। दीपावली के बाद ही स्थिति सामान्य हो गई। अनलाॅक के बाद अब रिकवरी ठीक है, बीकानेर से पलायन कर चुकी लेबर भी आ गई मगर सीजन निकल चुका है, फिर भी पहले से कुछ ठीक है। मुकेश कहते हैं कि सरकार की ओर से उठाए गए कदम ठीक है, लेकिन ब्याज में छूट मिलनी थी वह नहीं मिली और सरकार को कारोबारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में सोचना चाहिए। अभी मार्केट पूरा स्टैण्डबाई मोड में है। विश्वास है कि वैक्सीनेशन से पाॅजीटिव रिजल्ट आएंगे तब बिजनेस सिस्टम अपने पुराने ढर्रे पर आ जाएगा। कस्टमर के नजरिए में कोई बदलाव नहीं आया। बाजार में जो डिमांड पहले थी वही आज है। स्वच्छता के प्रति पहले भी अवेयर थे और आज भी अवेयर है। इतना ही नहीं कोरोना के कारण आमजन का स्वच्छता के प्रति और अधिक जुड़ाव होगा।        

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