रेलवे का निजीकरण होगा घातक, एकजुटता की दरकार
बीकानेर। ऑल इंडिया रेलवे मैन्स फैडरेशन से संबंद्ध नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉइज यूनियन के तत्वावधान में अलख सागर रोड स्थित यूनियन के कार्यालय में एक जागरुक बैठक रखी गई। इसमें रेल जानकारों के अलावा पत्रकारिता, वकालात, राजनीति सहित अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े जागरुक नागरिकों ने भागीदारी निभाई। साथ ही अपने सुझाव यूनियन के पदाधिकारियों के समक्ष रखें। बैठक में शामिल लोगों ने इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एकजुटता की आवश्यकता जताई। इसके लिए लगातार संघर्ष जारी रखने की बात भी कही। सभी ने माना कि रेल इस देश के जीवन रेखा है, जबकि सरकार इसको पूरी तरह से व्यवसायिक रूप देना चाहती है। इसका पूरजोर ढंग से विरोध होना चाहिए।
हर वर्ग का साथ…
नार्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉइज यूनियन के जोनल अध्यक्ष अनिल व्यास ने कहा कि रेल निजीकरण के खिलाफ आवाज को सरकार के कानों तक पहुंचाने के लिए यूनियन को हर वर्ग का साथ चाहिए। तभी यह आंदोलन खड़ा हो सकता है, रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की सरकार की साजिश से ना केवल रेल कार्मिक बल्कि आमजन को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। सरकार ने वर्तमान में कोविड़ के नाम पर अधिकांश ट्रेनें बंद कर दी है, जबकि परिवहन सहित अन्य सभी क्षेत्र खुले है, इस देश की जीवन रेखा ठप है, शेष सभी गतिविधियां सुचारु है। इसक विरोध होना चाहिए, इसके लिए आमजन को भी आगे आना पड़ेगा। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरोहित ने कहा कि रेल आमजन की सुविधा के लिए है, जैसे चिकित्सा, बिजली-पानी सहित मूलभूत सुविधाएं, तो ऐसे में सरकार रेल का व्यवसायीकरण करने पर आमदा है।
तो आमजन क्या करेगा?
सामाजिक कार्यकर्ता नटवर व्यास ने रोष जताते हुए कहा कि सरकार रेल को निजी हाथों में सौंपकर बड़ व्यवसायिक घरानों को मुनाफा पहुंचाना चाहती है। इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी, नार्थ वेस्टर्न एम्पलाइज यूनियन का यह प्रयास सराहनीय है, उन्होंने कहा कि इसके लिए कमेटी का गठन करना चाहिए, जिसके लिए फिलहाल ओर संगठनों, श्रमिक नेताओं और जागरुक लोगों को जोडऩा जरूरी है।
स्पेशल के नाम पर ठगी…
एनडब्लूआरईयू के ब्रजेश ओझा ने रोष जताते हुए कहा कि सरकार ने वर्तमान में ट्रेन संचालन के नाम पर देशभर में केवल नम्बर बदलकर स्पेशल ट्रेनें चला रही है। इससे किसी भी तरह की रियायती टिकट का फायदा किसी को नहीं मिल रहा है, फिर चाहे वरिष्ठ नागरिक हो, दिव्यांग हो, महिला हो, यहंा तक की रेल कार्मिकों को मिलने वाले रियायती पास में भी कटौती कर रही है, यह एक तरह से निजीकरण की ओर से एक कदम है।
इन्होंने भी रखें सुझाव..
बैठक में मिश्री बाबू, (सेवानिवृत्त रेल कार्मिक) अशोक पुरोहित,सुशील कुमार आचार्य, प्रेमरतन जोशी, ललित अभाणी, श्याम मारु, मदन लाल, बजरंग लाल, मुस्ताक अली, राजकुमार, आनंद शंकर, गणेश वशिष्ठ, मोहम्मद सलीम क़ुरैशी, राहुल जादुसांगत, जयदीप ,मनोज चौधरी, पवन बीकानेरी, रमजान मुगल सहित बड़ी संख्या में जागरुक लोगों ने अपने सुझाव रखें।