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टीबी की अत्याधुनिक जांचों के लिए बीकानेर में शुरू होगी विशेष लैब

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स्टेट टास्क फोर्स द्वारा टीबी नियंत्रण कार्यों की गई समीक्षा
2025 तक टीबी उन्मूलन के लिए होंगे अतिरिक्त प्रयास
– कोविड 19 के लिए अपनाए गए उपायों से टीबी मरीजों की संख्या में भी 27 प्रतिशत तक कमी

बीकानेर, 24 दिसंबर। टीबी रोग की जांच के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एक लैब सरदार पटेल मेडिकल काॅलेज में अगले 15 दिनों में प्रारंभ कर दिया जाएगा। टीबी उन्मूलन की दिशा में प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा के लिए गुरुवार को स्टेट टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गई। एसटीएफ के अध्यक्ष डॉ गुंजन सोनी की अध्यक्षता में आयोजित इस समीक्षा बैठक में प्रदेश के 23 मेडिकल कॉलेज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए।
पीबीएम के श्वास रोग विभाग के अध्यक्ष डाॅ सोनी ने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए टीबी उन्मूलन की दिशा में चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की गई। कोविड-19 के चलते पिछले कुछ समय से टीबी उन्मूलन कार्यक्रम स्थगित हो गए थे। 2025 तक क्षय रासेग उन्मूलन के लक्ष्य के साथ अब राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए निर्देशित किया गया है। विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में टीबी के इलाज के लिए आवश्यक और आधारभूत ढांचे के विकास हेतु उपलब्ध संसाधनों की जानकारी लेते हुए कमियों को दूर करने के लिए प्रयासों में तेजी लाने को कहा गया।
डॉ सोनी ने बताया कि भारत में हर चैथा व्यक्ति ट्यूबरक्लोसिस से संक्रमित है और प्रतिवर्ष एक लाख संक्रमितों में से करीब 32 लोग इस रोग के कारण अकाल मृत्यु का शिकार होते हैं। क्षय रोग के कुल मरीजों में से 85 प्रतिशत मरीज फेफड़ों की टीबी से संक्रमित होते हैं। वीडियो कान्फ्रेंस के दौरान इस रोग के उपचार की नई दवाइयों के अनुसंधान की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। सरकार द्वारा ड्रग्स सेंसेटिव टीबी और ड्रग रेजिस्टेंस टीबी के लिए निःशुल्क उपचार उपलब्ध करवाया जा रहा है। एमडीआर टीबी के उपचार पर 8 से 9 लाख रुपए खर्च होते हैं। सरकार द्वारा इस रोग के इलाज की समस्त जांच और दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध करवाई जाती है। मरीज की स्थिति पर नजर रखने के लिए निःक्षय ऐप विकसित किया गया है। साथ ही मरीज के पोषण के लिए भी सरकार द्वारा हर माह 500 रुपए दिए जाते हैं, एमडीआर के तहत 18 माह तक टीबी मरीज को 500 प्रतिमाह के हिसाब से भुगतान किया जाता है।
डॉ माणक गुगलानी ने बताया कि निजी चिकित्सकों द्वारा यदि टीबी मरीज का पूरा इलाज  किया जाता है तो राज्य सरकार द्वारा उसे 3000 रुपए भुगतान किया जाता है। उन्होंने बताया कि कोविड 19 संक्रमण रोकथाम के लिए अपनाए गए मास्क, सोशल डिस्टेसिंग से टीबी संक्रमण रोकथाम में भी मदद मिली है।  अक्टूबर 2019 से पूर्व एक वर्ष की अवधि में प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में 22 हजार 439 टीबी मरीज पंजीकृत किए गए थे जबकि सितंबर 2020 तक के समय में 16 हजार 214 रोगी रिपोर्ट हुए हैं । इस आधार पर साबित हुआ कि कोविड-19 रोकथाम के लिए अपनाए गए मास्क, सैनेटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों से क्षय रोग संक्रमण की रोकथाम में भी अहम मदद मिली है। डाॅ सी एस मोदी ने बताया कि फेफड़ों का एक टीबी जीवाणु जनित संक्रामक बीमारी है। टीबी मरीज को सही समय में पूरा उपचार मिलना जरूरी है। बीकानेर में टीबी का प्रकोप राष्ट्रीय अनुपात जैसा ही है। कोविड रोकथाम उपायों से टीबी के मरीजों की संख्या में लगभग 27 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

जांच के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस लैब

डाॅ सोनी ने बताया कि सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज में टीबी मरीजों की सुविधा के लिए अत्याधुनिक  जांच लैब अगले 15 दिनों में प्रारंभ  किया जाएगा। इस लैब के प्रारंभ होने से बीकानेर में सभी सैंपल स्थानीय स्तर पर ही जांचे जाने की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इस लैब पर करीब डेढ़ करोड रुपए व्यय किए गए हैं। उन्होंने बताया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उन्मूलन कार्रवाई की स्थिति की समीक्षा की गई और कमियों का विश्लेषण कर दूर करने के उपायों पर चर्चा की गई। इस दौरान डाॅ अजय श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे।

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