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एसकेआरएयूः गंदे पानी की पच्चीस साल पुरानी समस्या का अब होगा समाधान

– विश्वविद्यालय ने बीछवाल इको फ्रेंडली फाउण्डेशन और करणी बीकानेर एनवायरो फाउण्डेशन के साथ किया एमओयू
रंग लाई कुलपति की पहल, कुछ ही समय में मिलेगा स्वच्छ पानी

बीकानेर, 3 दिसम्बर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में करणी और बीछवाल औद्योगिक क्षेत्र की इकाईयों से आने वाले अपशिष्ट पानी की लगभग 25 साल पुरानी समस्या का अब समाधान हो सकेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा गुरुवार को बीछवाल इको फ्रेंडली फाउण्डेशन और करणी बीकानेर एनवायरो फाउण्डेशन के साथ एमओयू किया गया। कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह के प्रयासों से जल्दी ही विश्वविद्यालय को स्वच्छ पानी निःशुल्क मिलने लगेगा। यह पानी खेती में काम लिया जा सकेगा।

कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में औद्योगिक क्षेत्रों के गंदे पानी की समस्या 1996-97 में शुरू हुई, जो अब बढ़ते-बढ़ते विकराल रूप ले चुकी है। वर्तमान में विश्वविद्यालय सहित आसपास के लम्बे क्षेत्र में यह पानी पसरा हुआ है। इस कारण यहां भयंकर दुर्गन्ध आती है और भूमि की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित हुई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने पदभार ग्रहण करने के बाद इस समस्या के समाधान को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा और इसके लिए राज्य सरकार के विभिन्न विभागों को पत्र लिखे और व्यक्तिगत रूप से विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की। इसके साथ ही जिला कलक्टर और प्रशासन के सामने भी इस समस्या को रखा। तात्कालिक जिला कलक्टर द्वारा इस समस्या के समाधान के लिए एक कमेटी का गठन किया।
प्रो. सिंह ने बताया कि इस दौरान उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों और रीको एवं उद्योग विभाग के साथ भी बैठकें की। इसके परिणाम स्वरूप रीको द्वारा ट्रीटमेंट प्लांट के लिए निःशुल्क जमीन आवंटित की गई है। सरकार द्वारा प्लांट निर्माण के लिए पचास लाख रुपये भी स्वीकृत किए गए है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और दोनों संस्थाओं का प्रयास रहेगा कि यह कार्य जल्दी से जल्दी पूरा हो। इससे औद्योगिक क्षेत्रों और विश्वविद्यालय दोनों को राहत मिलेगी। कुलपति ने इस पूरी कवायद के लिए उद्योग विभाग, रीको के साथ बीछवाल इको फ्रेंडली फाउण्डेशन के कमल कल्ला और उनकी पूरी टीम का आभार जताया।

इससे पहले विशेषाधिकारी इंजी. विपिन लढ्ढा ने एमओयू की शर्तों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और दोनों संस्थाओं की पहल से यह संभव हो पाया है। अनुसंधान निदेशक डाॅ. प्रकाश सिंह शेखावत ने बताया कि विश्वविद्यालय को मिलने वाले स्वच्छ पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच होगी। इसके लिए विश्वविद्यालय एवं दोनों संस्थाओं के प्रतिनिधि को शामिल किया जाएगा। इस दौरान विश्वविद्यालय की ओर से डाॅ. शेखावत एवं बीछवाल इको फ्रेंडली फाउण्डेशन की ओर से सुंदर जोशी तथा करणी बीकानेर एनवायरो फाउण्डेशन की ओर से बृज मोहन चांडक ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के डीन-डायरेक्टर, जिला उद्योग केन्द्र की महाप्रबंधक मंजू नैण गोदारा, रीको के क्षेत्रीय प्रबंधक पी. के. झा, सतीष गोयल, महेश कोठारी, गौरी शंकर सोमाणी, नारायण बिहाणी आदि मौजूद रहे।

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