उनकी लंबी उम्र की कामना के लिए इस दिन त्यागेगी अन्न जल
बीकानेर।
हिन्दू धर्म में वैसे तो कई त्योहार मनाये जाते हैं लेकिन करवा चौथ का अपना अलग पौराणिक महत्व है। हिन्दू धर्म में करवा चौथ को सुहागिनों का त्योहार के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है नारी को यह वरदान प्राप्त कि अगर कोई स्त्री किसी मनोकामना के लिए तप या व्रत कर तो उसे शीघ्र ही फल प्राप्त होता है। करवा चौथ प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है इस वर्ष करवा चौथ 4 नवंबर को मनाया जायेगा।
इस दिन सुहागिन स्त्रियाँ निर्जला व्रत रखती है और रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत तोड़ती है सौभाग्यवती अपने पति के लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य के लिए ये निर्जला व्रत रखती है। सुहागिन स्त्रियाँ इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान शिव माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करती है इसके बाद चंद्रमा की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते है क्यों और कैसे मनाया जाता है करवा चौथ और इसकी शुरुआत कैसे हुई ।
करवा चौथ का व्रत रख रही हैं तो जरूर बरतें ये 7 सावधानियां

एक कथा के अनुसार जब यमराज सत्यवान की आत्मा को लेने आये तब उनकी पतिव्रता पत्नी सावित्री ने अपने पति के प्राणो की भींख मांगी और अपने सुहाग को न ले जाने की गुहार लगाई लेकिन यमराज नही माने फिर भी सावित्री अड़ी रही और उसने अन्न जल त्याग दिया और पति के शरीर के पास विलाप करने लगी। सावित्री के विलाप को सुनकर यमराज विचलित हो गए और सावित्री से पति के प्राणों के सिवा कोई भी वरदान माँगने को कहा यह सुनकर सावित्री ने यमराज से कहा कि आप मुझे कई संतानो की माँ बनने का वरदान दें, जिसे सुनकर यमराज ने हाँ बोल दिया लेकिन सावित्री एक पतिव्रता स्त्री होने के नाते सत्यवान के सिवा किसी अन्य पुरुष के बारे में सोचना संभव नही था, अंत में अपने वचन के बंधन में बंधे यमराज सावित्री के सुहाग को लेकर नही जा सके और सावित्री को सत्यवान का जीवन सौंप दिया।
कहा जाता है तब से स्त्रियां अन्न जल त्याग कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करते हुए करवा चौथ का व्रत करती है। महाभारत में भी करवा चौथ व्रत का प्रसंग आता है कहते हैं कि जब अर्जुन नीलगिरी की पहाड़ियों में घोर तपस्या के लिए गए हुए थे तब चारों पांडवों को अनेक गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था जिसे लेकर द्रौपदी बहुत दुखी थी और एक दिन द्रौपदी ने श्री कृष्ण को अपना दुख बताया और अपने पतियों के मान- सम्मान की रक्षा के लिए उपाय पूछा तब भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत करने की सलाह दी जिसके बाद द्रौपदी ने व्रत किया और अर्जुन भी सकुशल लौट आये जिससे चारों पांडवों की रक्षा हो सकी।करवा चौथ के लिए शुभ मुहुर्तइस बार कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि पर संकष्ठी श्री गणेश करक चतुर्थी व्रत या करवा चौथ व्रत अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से 4 नवम्बर 2020 दिन बुधवार को होगा। इस दिन पति की दीर्घायुष्य, यश-कीर्ति और सौभाग्य वृद्धि के यह कठीन और प्रसिद्ध व्रत 4 नवंबर दिन बुधवार रखा जाएगा। जानकारी के अनुसार इस दिन करीब शाम 7:57 बजे चंद्रोदय होगा। इसके बाद नग्न आंखों से चंद्रमा दिखाई पड़ने पर अर्घ्य देकर परम्परागत तरीके से इस व्रत पर्व को खोला जाएगा। 4 नवंबर को शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त है। पुरुषोत्तम रंगा मुरलीधर व्यास कॉलोनी बीकानेर9468600945