सदैव के लिए ब्रह्मलीन हो गए जातिगत आरक्षण के धुर विरोधी नरेन्द्र सिंह रघुवंशी
बीकानेर। नरेन्द्र सिंह रघुवंशी यह एक ऐसा चेहरा जिसने जातिगत आरक्षण के खिलाफ अपना जीवन आहुत कर दिया। ऐसा महान व्यक्तित्व 26 अगस्त को सदैव के लिए ब्रह्मलीन हो गया। रघुवंशी 31दिसम्बर 1962 को मध्य प्रदेश के गुना जनपद के गाँव महुआ खेड़ा में जन्म थे। आप सच्चे राष्ट्रभक्त व समाजसेवी थे और देश में पनप रही जादिवादी रूढिता व जातिगत भेदभाव (आरक्षण एवं एट्रोसिटी एक्ट) के प्रखर विरोधी थे। अभी पीछे जब से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सरकार ने एस सी एससी-एसटी एक्ट को और मजबूत किया तब रघुवंशी भाजपा से बहुत ही खिन्न हुए और उस समय होने वाले विधान सभाओं के चुनावों में नोटाक्रान्ति को खड़ा किया जिससे राजनैतिक पार्टियों में भूचाल आ गया और सरकार नोटाक्रान्ति के चलते गरीब सवर्णो के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लेकर आयी। रघुवंशी आरक्षण एवं एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में लगातार सक्रिय थे यह दोनों कानून समाज
व देश में भेदभाव पूर्ण हीन भावना लाते है।
26 अगस्त को नरेन्द्र सिंह रघुवंशी अचानक हृदयगति रूकने से हमारे बीच नहीं रहे। आपके निधन पर देश का समस्त आरक्षण विरोधी देशभक्त दुःखी है। जातिगत आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ मोर्चा लेने वाले शिक्षाविद डी पी जोशी ने कहा कि ईश्वर नरेन्द्र सिंह रघुवंशी की आत्मा को शान्ति व परिवार को दुःख सहन करने की शक्ति दे।