BikanerEducationRajasthan

कार्बन उत्सर्जन की दर वर्ष 2050 तक आधी नहीं होगी तो आएगी बाढ़, तूफान, महामारी, सूखा एवं फसलों के नवीनतम कीट व रोग जैसी सतत चुनौतियां

एसकेआरएयूः एक दिवसीय नेशनल वेबिनार आयोजित
जलवायु परिवर्तन इक्कीसवीं सदी की सबसे बड़ी चुनौती-कुलपति

बीकानेर, 29 जुलाई। कृषि महाविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग द्वारा ‘पादप रोगों की वर्तमान स्थिति, चुनौतियां, भविष्य के प्रस्ताव एवं प्रबंधन’ विषय पर एक दिवसीय नेशनल वेबिनार बुधवार को आयोजित हुआ।
वेबिनार के मुख्य अतिथि स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह थे। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन इक्कीसवीं सदी की सबसे बड़ी चुनौती है। ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के कारण भी वैश्विक तापमान बढ़ रहा है। यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि यदि मानव समाज, कार्बन उत्सर्जन की दर को वर्ष 2050 तक घटाकर आधा करने में सफल नहीं होता है तो बाढ़, तूफान, महामारी, सूखा एवं फसलों के नवीनतम कीट व रोग जैसी सतत चुनौतियां हमारे समक्ष होंगी।
कुलपति ने कहा कि खेती में रसायनों के लगातार प्रयोगों से जमीन जहरीली हो चुकी है। पर्यावरण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर इनका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जहरीले व मंहगे रासायनिक कीटनाशकों व रोग नियंत्रकों के कारण किसान पर कर्ज भी बढ़ा है। इससे बचने के लिए खेती में जैविक विकल्पों को अपनाने की जरूरत है।
वेबिनार में काजरी-जोधपुर के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. एस. के. सिंह, वाईएसपी विश्वविद्यालय सोलन-हिमाचल प्रदेश के पूर्व छात्र कल्याण निदेशक डाॅ. एस. के. गुप्ता तथा चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय-हिसार के पूर्व अधिष्ठाता डाॅ. नरेश मेहता ने भी विभिन्न विषयों पर अपनी बात रखी। आयोजन प्रभारी तथा पादप रोग विज्ञान विभाग के विभाागाध्यक्ष डाॅ. दाताराम ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा बताया कि वेबिनार देशभर के बारह सौ से अधिक प्रतिभागियों ने भागीदारी निभाई। इनमें कृषि विद्यार्थी एवं वैज्ञानिक भी बड़ी संख्या में शामिल रहे। विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास निदेशालय के निदेशक प्रो. एस. एल. गोदारा ने आभार जताया। राजकीय पाॅलीटेक्निक काॅलेज, बाड़मेर के इंजी. प्रशांत जोषी ने वेबिनार का संचालन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *