एसकेआरएयू: वेबीनार में बताए बीमार अनार के उपचार
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– एसकेआरएयूः ‘शुष्क क्षेत्र में अनार का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन’ विषयक वेबिनार प्रारम्भ
– किसानों में बढ़ा अनार उत्पादन के प्रति आकर्षण-कुलपति
बीकानेर, 2 जुलाई। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘शुष्क क्षेत्र में अनार का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन’ विषयक दो दिवसीय नेशनल वेबिनार गुरुवार को प्रारम्भ हुई।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह थे। उन्होंने देश और प्रदेश में अनार उत्पादन के परिदृश्य की जानकारी दी तथा कहा कि पिछले कुछ समय में किसानों का अनार के बगीचों के प्रति आकर्षण बढ़ा है। इसका मुख्य कारण परम्परागत फसलों की तुलना में प्रति बीघा अधिक आमदनी, बजार में बढ़ती मांग, गर्म एवं शुष्क क्षेत्र में उगने की क्षमता, विटामिन एवं मिनरल्स की भरपूरता है। उन्होंने कहा कि शुष्क जलवायु वाले बीकानेर और जैसलमेर जिलों में अनार उत्पादक किसानों को कई प्रकार की तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है। उन्नत गुणवत्ता के पौधों की अनुपब्लधता के कारण किसान दूसरे राज्यों से अनार के पौधे ला रहे है। कई बार इनमें निमेटोड से ग्रसित पौधे भी आज जाते हैं।
कुलपति ने कहा कि अनार के पौधों में तेलीय धब्बा रोग भी बड़ी समस्या है। इससे संक्रमित पौधे आने से दूसरे किसानों के बगीचों में भी संक्रमण बढ़ने की आशंकर रहती है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में अनार फटने की समस्या भी व्यापक है। ऐसी अनेक समस्याओं के समाधान के लिए ऐसी वेबिनार सहायक सिद्ध होंगी। उन्होंने कहा कि नवीन तकनीकों के उपयोग से उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन तुड़ाई उपरांत प्रबंधन एवं मूल्य संवर्धन पर भी ध्यान देने की जरूरत है। जिससे किसानों को उनकी मेहनत का पूरा पैसा मिल सके। उन्होंने कहा कि आमजन की बदलती फूड हैबिट एवं बाजार मांग के मद्देनजर इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केंद्र सोलापुर की निदेशक डॉ. ज्योत्सना शर्मा ने कहा कि अनार में मुख्यतया तेलीय धब्बा रोग, विल्ट, सर्कोस्पोरा लीफ स्पॉट, अनथ्राकनोज आदि बीमारियां लगती हैं। इनमें तेलीय धब्बा रोग, मुख्य रोग है। इस रोग ने महाराष्ट्र में अनार का काफी नुकसान किया है। राजस्थान के किसानों को भी अनार के पौधे दूसरे राज्यों से लाते समय सावधानी रखनी चाहिए ׀
राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केंद्र सोलापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एन. वी. सिंह ने अनार के गुणवत्तापूर्ण पौध उत्पादन तकनीक के बारे मे बताया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आशिष मेती ने अनार के सूक्ष्म पोषक तत्वों के उपयोग, इनकी प्रयोग मात्रा एवं महत्त्व के बारे में बताया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मल्लिकार्जुन, अनार में कीड़ो से बचाव के उपाय बताए। डॉ. नीलेश गायकवाड ने अनार के मूल्य संवर्धन व अनार से बनने वाले विभिन्न उत्पादो के बारे में जानकारी दी ׀ उन्होने कहा कि अनार के दानों को पैक करके उन्हें अधिक मूल्य पर बेचा जा सकता है। इस तरह की तकनीकी वर्तमान मे उपलब्ध है।