‘सयानी-मुनिया’ की कहानियां संस्कार, संस्कृति एवं शिक्षा की त्रिवेणी है : रंगा
ई-तकनीक से प्रथम विश्व-स्तरीय पुस्तक लोकार्पण सम्पन्न



बीकानेर, 15 जून। तप्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा नगर में एक नवाचार के तहत भोपाल, मध्यप्रदेश की वरिष्ठ बाल साहित्यकार सुधा रानी तैलंग की पुस्तक ‘सयानी-मुनिया’ का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ई-लोकार्पण सम्पन्न हुआ।
ई-लोकार्पण की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा ने कहा कि आज के बदलते परिदृश्य में बाल-मन और उसकी जिज्ञासाओं आदि में भी खासा परिवर्तन हुआ है। इसी परिवर्तन को बाल-मनोविज्ञान की दृष्टि से सहज-सुलभ, बाल-मन लुभावनी भाषा से सृजन करना सृजनात्मक चुनौती है। इस चुनौती को स्वीकार कर सुधा रानी ने जो बाल-साहित्य सृजन किया है, वह प्रशंसा योग्य है। ‘सयानी-मुनिया’ की सभी कहानियों में बालकों के संस्कार, संस्कृति एवं शिक्षा की त्रिवेणी का संगम है।
ई-लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार, पत्रकार एवं केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि संग्रह की सभी कहानियां बाल-मन स्थिति को गहरे तक प्रभावित करती है। ये कहानियां छोटे-छोटे संवाद से बड़ी-बड़ी अच्छी बातों के माध्यम से बालकों में संस्कारों का निरूपण करती है। आचार्य ने कहा कि इस अन्तर्राष्ट्रीय ई-लोकार्पण की पहली पहल बाल-साहित्य की पुस्तक के माध्यम से होना एक सुखद अनुभूति है क्योंकि आज बालकों के लिए अच्छा साहित्य-सृजन, वो भी बालकों के लिए सहज पठनीय हो, समय की मांग है। इस मांग की पूर्ति के माध्यम से ही पाठकों की एक नई पौध तैयार होगी, वहीं सृजन की सफलता है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ आलोचक डॉ. मदन सैनी ने कहा कि इन कहानियों के माध्यम से बाल-समझ सशक्त होती है, वहीं संग्रह की कहानियां बालकों को उनके जीवन-पथ पर एक सुनागरिक के नाते आगे बढऩे की शिक्षा सरस एवं सहज भाषा से सम्प्रेषित होती है।
समारोह के समन्वयक कवि-कथाकार कमल रंगा ने ‘सयानी-मुनिया’ पुस्तक पर अपनी बात रखते हुए कहा कि आज बाल संवेदनाएं और उनकी समझ अलग तरह की हो रही है, साथ ही उनका पाठक मन भी अब पुराने कहानियों के कथ से इतर नई भाषा और नए विषयों के माध्यम से अपनी जिज्ञासाएं शांत करना चाहता है। इस पैमाने पर सफल होने का प्रयास सुधा रानी की ये पुस्तक ‘सयानी-मुनिया’ एक उदाहरण है।संस्था द्वारा आयोजित इस प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय ई-लोकार्पण की सहभागी मलेशिया की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गुरिन्दर गिल ने कहा कि इस संग्रह की कहानियों के सभी कथ्य बालकों के प्रिय हैं। साथ ही ये कहानियां बहुत सहज ढंग से बाल-जिज्ञासाओं को शांत करने में सफल रही हैं। इसी तरह नेपाल की वरिष्ठ साहित्य सरिता अर्याल ने कहा कि सुधा रानी की कहानियां ज्ञान की श्रीवृद्धि कर बालकों को अच्छी सीख देती है। तो मॉरीशस की युवा शायरा माहे तिलत सिद्दीकी ने कहा कि यह संग्रह अद्भुत-रोमांचक है, साथ ही बाल-मन को छूने वाला भी है।
पुस्तक पर अपनी बात रखते हुए भोपाल, मध्यप्रदेश के बाल साहित्य शोध केन्द्र के सचिव एवं संपादक महेश सक्सेना ने कहा कि समसामयिक विषयों को परोटती यह कहानियां बाल-मन को गहरे तक प्रभावित करती हैं। इसी क्रम में अल्मोड़ा, उत्तराखंड के बाल-पत्रिका सम्पादक उदय किरौला ने इन कहानियों को मानवीय मूल्यों एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई कहानियां बताया। पुस्तक पर अपनी बात रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर बाल-साहित्य पुरस्कार से पुरस्कृत नागौर के पवन पहाडिय़ा ने कहा कि बालकों में सामाजिक जीवन व्यवहार की समझ जगाने वाली महत्त्वपूर्ण कहानियां हैं। इसी क्रम में पाली, सोजत के वरिष्ठ बाल-साहित्यकार अब्दुल समद ‘राही’ ने प्रेरणादायक एवं शिक्षाप्रद कहानियों का सफल सृजन बताते हुए रचनकार की प्रशंसा की। जोधपुर की डॉ. जेबा रशीद ने बाल मन को प्रभावित करती अच्छी कहानियां बताते हुए रचनाकार को बधाई दी। पुस्तक पर आलोचनात्मक पत्रवाचन करते हुए वरिष्ठ बाल साहित्यकार इंजी. आशा शर्मा ने कहा कि संग्रह की कहानियां मानवीय चरित्रों के साथ बालकों के प्रिय पशु-पक्षियों के माध्यम से नव-कथ्यों को सुधा रानी ने शानदार शिल्प शैली में पिरोया है, जो बालकों को पठन हेतु प्रेरित करती है।
तप्रथम अन्तर्राष्ट्रीय ई-लोकार्पण का तकनीकी संचालन करते हुए युवा शायर कासिम बीकानेरी एवं इंजी. आशीष रंगा ने साझा रूप से कहा कि संस्था द्वारा अपने नवाचार में बाल पुस्तक पर विश्व स्तरीय चर्चा के माध्यम से निश्चय ही आज के दौर में बाल-साहित्य की उपयोगिता हमारे सामने आई है।
इस ई-लोकार्पण को नई तकनीक के माध्यम से देश-प्रदेश एवं विदेशों तक साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों एवं अन्य सुधीजनों ने सहभागी बन अपना सहयोग दिया। अंत में सभी का आभार राजेश रंगा ने ज्ञापित करते हुए कहा कि कोरोनाकाल के इस विकट समय में ई-तकनीक के माध्यम से यह आयोजन कर संस्था ने एक अनूठा प्रयोग किया है, जो आगे भी जारी रहेगा।