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… तो क्या लुप्त हो जाएगा रेत का समंदर

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बीकानेर। राजस्थान के सुनहरे धोरे सात समंदर पार से पर्यटकों को लुभाते हैं। जैसलमेर के सम के धोरों का नाम प्रमुखता से लिया जा सकता है। प्रदेश के बीकानेर जिले के भी कई धोरे भी पर्यटन, फिल्म लोकेशन के लिए या धार्मिक दृष्टि से काफी फेमश है। इनमें लाडेरां, रायसर, पूनरासर, बजरंग धोरे के नामों को शामिल किया जा सकता हैं। धोरे पर्यटन उद्योग के लिए जितने उपयोगी है उतने ही स्थानीय वनस्पति व जीवों के लिए भी बेहद जरूरी है। स्तनधारी व सरीसृप प्रजातियों का यह आवास है। सांगरी का वृक्ष खेजड़ी, फोग, मतीरा, बेर, पापड़ में काम आने वाली साजी आदि अनेक वनस्पति इन धोरों पर निर्भर हैं। अनेक जीव इन वनस्पतियों पर निर्भर हैं। चूहे, चींटियां आदि को तो पर्यावरण मित्र कह सकते हैं। ये जीव इन धोरों में बिल बना कर रहते हैं। बिल बनाने की प्रक्रिया में ये अंदर की मिट्टी को बाहर फेंकते हैं। इससे मिट्टी को ऑक्सीजन मिल जाती है। वह उपजाऊ भूमि तैयार कर देते हैं। यानी सब कुछ प्राकृतिक तरीके से होता है। सब एक दूसरे पर निर्भर हैं। धोरे, जीव, वनस्पति इनमें से एक कड़ी भी टूट जाए तो अन्य प्रजातियां संकट में आ जाएगी। स्थानीय पारिस्थितिक (इकोलाॅजी) सिस्टम ही बिगड़ जाएगा। पिछले कई दशकों से बीकानेर में धोरों को अवैध रूप से खोद खोद कर मिटाने का प्रयास किया जा रहा है। अवैध खनन से छलनी हो रही इस धरा पर भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं को झेलने को विवश होना पड़ रहा है। बीते शनिवार को आये भूकंप को चेतावनी रूप में लिया जा सकता है। इसलिए अन्य अवैध खनन गतिविधियों के साथ धोरों की खुदाई को नहीं रोका गया तो स्थानीय पारिस्थितिकी संतुलन को बिगड़ने से नहीं रोक सकते। जिसके निकट भविष्य में दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब धोरे ही नहीं रहेंगे तो धोरों की धरती किसे कहेंगे। इसलिए सरकार और स्थानीय प्रशासन को समय रहते उचित और ठोस कदम उठाने होंगे। अन्यथा हमें अपनी इन प्राकृतिक धरोहर से हाथ धोना पड़ सकता है।

हमारी राय में सरकार को इस संबंध में जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए। स्थानीय लोगों को धोरों के होने और नहीं होने के फायदे व नुकसान से अवगत करवाना होगा। जिस तरह विश्नोई समाज हरिण की रक्षा के लिए एक प्रहरी का रोल अदा कर रहा है। अमृता देवी का चिपको आन्दोलन वृक्षों की रक्षा के लिए न केवल एक बड़ा उदहारण है बल्कि उन महिलाओं ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझते हुए अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया। 👉 उजड़ते धोरे देखें वीडियो👇

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नाल रोड ओवर ब्रिज के नीचे बच्छासर मार्ग स्थित धोरे

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