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कोविड-19 का इकाईयों पर इम्पेक्ट : मांग की कमी से पूरी क्षमता से नहीं हो पा रहा है उत्पादन

बीकानेर। बीकानेर जिला औद्योगिक दृष्टि से राजस्थान में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जिले में नमकीन, पापड, रसगुल्ला, मिठाईयाँ, बडी मंगौड़ी, डेयरी, प्लास्टर ऑफ पेरिस, सिरेमिक्स, खनन आधारित, ईंट भट्टा, मिनी सीमेंट प्लाण्ट, कृषि आधारित दाल, तेल, मूंगफली, ग्वार, ऊन आधारित उद्योग मुख्यतः स्थापित है।
जिला उद्योग केन्द्र की महाप्रबंधक मंजू नैण गोदारा ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण मार्च-2020 में लाॅकडाउन के कारण बीकानेर के उद्योगों में आर्थिक गतिविधियाँ थम गई थी, लेकिन धीरे-धीरे आवश्यक वस्तुओं के साथ अन्य उद्योगों ने उत्पादन करना प्रारम्भ कर दिया। लेकिन उद्योगों के सामने मुख्य समस्या श्रमिक पलायन, बाजार में मांग की कमी व परिवहन की सहज सुलभता न होने के कारण इकाईयों में उत्पादन पूरी क्षमता से शुरू नहीं हो पाया। बीकानेर का ऊन उद्योग श्रमिकों के पलायन से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। ऊन उद्योगों में बिहार व उतरप्रदेश के श्रमिक (जो पलायन कर गए) अधिक संख्या में होने के कारण, स्थानीय श्रमिकों की कमी के कारण ऊन उद्योग अपनी उत्पादन क्षमता का मात्र 40 प्रतिशत ही उत्पादन कर पा रहा है।
श्रमिकों की समस्या को हल करने के लिए लाॅकडाउन 4.0 के मध्य बीकानेर की राजस्थान वूलन एसोसिएशन ने आगे बढकर बीकानेर में राजस्थान से बाहर से आने वाली श्रम शक्ति को ऊन उद्योग की श्रम शक्ति बनाने के लिए एक नवीन प्रयोग प्रारम्भ किया है। जिसमें हाथ से काम करने वाले कारीगर जो राजस्थान से बाहर काम करते थे लेकिन कोरोना के कारण वापिस राजस्थान लौट रहे है, का डेटाबेस बनाकर उनमें से ऊन उद्यमी अपने अनुसार दो सप्ताह की बेसिक प्रशिक्षण देकर उन्हें ऊन उद्योग की श्रम शक्ति के रूप में प्रयोग कर सके हैं। एसोसिएशन के अनुसार शुक्रवार तक 100 व्यक्तियों का सम्पूर्ण विवरण तैयार कर लिया। क्वारेटांइन का समय पूर्ण होने के पश्चात् उनका विवरण तैयार कर रोजगार प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों का विवरण ऊन उद्योगों को उपलब्ध करवा दिया जाता है।

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