“कोरोना संकट एवं भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां व निवारण”
डाॅ. (श्रीमती) अनिला पुरोहित
बीकानेर। आज सम्पूर्ण विश्व बहुत बड़ी वैश्विक आपदा, कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है, शायद किसी भी राष्ट्र ने इसकी कल्पना नहीं की थी एवं ना ही उनकों पूर्वानुमान था कि सम्पूर्ण मानव जाति को इस विश्वव्यापी संक्रमण का सामना करना पड़ेगा और यह छोटा सा वायरस सम्पूर्ण विश्व को ठहरा देगा। इस वैश्विक आपदा ने हमारे जीवन दर्शन को बदल कर रख दिया है। इसने न केवल हमारे सामाजिक व मानवीय मूल्यों को प्रभावित किया है अपितु विश्व की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। अर्थशास्त्रियों के लिए भी यह हिला देने वाली घटना है क्योंकि इस बात का भान ही नहीं था कि मानव जीवन, आर्थिकी से ऊपर प्रभावित होगें।
भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि आधारित रही है और है एवं इसके विकास में मध्यवर्गीय परिवारों का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है। आज इस संकट ने मानव समाज को यह समझा दिया है कि जरूरते व गैर जरूरतें क्या हैं। इस संकट ने हमें चेताया एवं याद दिलाया है कि “आत्मनिर्भर बनो“, हम सबने भी यह स्वीकार किया है कि हमें आत्मनिर्भर बनना होगा। आत्मनिर्भर एक मामूली शब्द नहीं है अपितु बहुत ही गहरा व अर्थपूर्ण शब्द है। भारतीय इतिहास में यह शब्द सदियों से चला आ रहा है। “स्वदेशी, स्वभाषा, स्वराष्ट्र”।
भारत को भी अपने राष्ट्र, समाज व प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आत्मनिर्भरता व स्वदेशी के मूलमंत्र को हमारे जीवन का अंग बनाना होगा। अपनी जरूरतों का उत्पादन हम स्वयं करें, रोजगार उत्पन्न करें तथा छोटे-छोटे उद्योग धन्धों को आत्मनिर्भर बनाएं। राष्ट्रवाद व राष्ट्रीयता की भावना को आत्मसात करते हुए आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाएं।
आज की अर्थव्यवस्था दो दशक पूर्व की अर्थव्यवस्था से पूर्वतः अलग थी जब कार, फ्रिज, टेलीफोन व भौतिक साजो सामान की वस्तुएं हुआ करती थीं। वे सभी आज आम जरूरत की वस्तुएं हैं। हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था कौनसी करवट बैठेगी किन्तु अर्थशास्त्री इस बात से सहमत हैं कि आज के विकासशील देश काल की महाशक्तियां होगें। एक आने वाला सुनहरा भविष्य भारत की राह देख रहा है।
इतिहास साक्षी है कि जब जब भी गम्भीर संकट आए हैं तो अपने साथ सुनहरे अवसर भी लाया है। संकट है तो समाधान भी है। इस संकट से उबरने व भारत को पुनः आत्मविश्वास व गौरवके साथ खड़े करने का सबसे बड़ा व मूल मंत्र है ”आत्मनिर्भर भारत” हमें निराश, हताश व भयभीत न होकर राष्ट्रवाद व राष्ट्रीयता की अलख जगाएं व स्वदेशी के मूलमंत्र व आधार के साथ सुनहरे, स्वर्णिम भारत को बनाएं। आज भारत मां हमसे आह्वान कर रही है। हे भारतीयों! स्वराष्ट्र, स्वदेशी, स्वभाषा की ओर लौटो।
डाॅ. अनिला पुरोहित एसोसिएट प्रोफेसर इतिहास राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर।