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देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग के साथ चारधाम रेल परियोजना ने रचा इतिहास

बीकानेर। उत्तराखंड की दुर्गम वादियों में अब सफर और भी सुगम होने जा रहा है। योगनगरी ऋषिकेश से लपोनगरी कर्णप्रयाग तक की यात्रा अब महज दो घंटे में पूरी की जा सकेगी। भारतीय रेल ने ‘चारधाम रेल परियोजना’ के अंतर्गत देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग के निर्माण में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 16 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ मिलकर 14.58 किमी लंबी सुरंग 1-8 के ब्रेकथ्रू का उद्घाटन किया, जो अब तक की सबसे लंबी रेलवे सुरंग बन चुकी है।यह सुरंग देवप्रयाग और जनासू के बीच बनी है और इसका निर्माण अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीन (TBM) तकनीक से किया गया है। यह पहली बार है जब भारत के किसी पहाड़ी क्षेत्र में TBM तकनीक का उपयोग हुआ है। ‘शिव’ और ‘शक्ति’ नामक दो TBM ने अगस्त 2024 में एक माह के भीतर 1080.11 रनिंग मीटर सुरंग खोदने का कीर्तिमान रचा।

चारधाम यात्रा को नया आयाम

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना न सिर्फ उत्तराखंड के तीर्थयात्रियों के लिए एक वरदान साबित होगी, बल्कि इससे हिमालय के चार प्रमुख धाम—यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा भी सहज, तेज और सुरक्षित हो सकेगी। 125.2 किमी लंबी इस ब्रॉड गेज लाइन का 83 प्रतिशत हिस्सा सुरंगों से होकर गुजरेगा, जिससे मौसम जनित बाधाएं काफी हद तक खत्म हो जाएंगी।

तकनीक और निर्माण का चमत्कार

इस परियोजना में अब तक 38 नियोजित सुरंगों में से 28 सुरंगों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। कुल 213 किलोमीटर की सुरंगों में से 193 किलोमीटर का कार्य पूरा हो गया है। परियोजना के पहले चरण को 2026 के अंत तक पूर्ण करने का लक्ष्य है और 2027 के मध्य तक यह पूरी तरह से चालू हो सकती है। इसमें रेल ब्रिज नंबर 8 भी इंजीनियरिंग का अनूठा उदाहरण है।

जुड़ेंगे उत्तराखंड के पांच जिले

ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक सड़क मार्ग से सफर करने में 6-7 घंटे लगते हैं, लेकिन यह रेल लाइन इस दूरी को दो घंटे में तय करेगी। यह परियोजना देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों को जोड़ते हुए ऋषिकेश, मुनि की रेती, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर और कर्णप्रयाग जैसे महत्वपूर्ण शहरों को रेल नेटवर्क से जोड़ेगी। इससे पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और व्यापारिक अवसर मिलेंगे।

आर्थिक और सामाजिक विकास की नींव

चारधाम रेल परियोजना उत्तराखंड में पर्यटन और व्यापार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी। ऋषिकेश, हरिद्वार, ओली जैसे पर्यटन स्थलों तक आसान पहुंच से होटल, परिवहन और अन्य सेवाओं में वृद्धि होगी। स्थानीय बाजारों में रौनक बढ़ेगी और युवाओं को अपने ही क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, “इस परियोजना के तहत टीबीएम तकनीक का पहली बार पहाड़ी इलाकों में इस्तेमाल हुआ है। 9.11 मीटर व्यास वाली सिंगल शील्ड रॉक टीबीएम ने जिस गति और सटीकता का प्रदर्शन किया, वह भारत के निर्माण क्षेत्र में एक नई मिसाल है।”यह परियोजना ना केवल भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक है, बल्कि यह पहाड़ों की गोद में बसे लोगों के जीवन में स्थायी बदलाव लाने वाला एक ऐतिहासिक कदम भी है।

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