ऊँटनी का दूध अमृत तुल्य, ऊँटपालकों को मिले उचित मूल्य: राज्यपाल हरिभाऊ बागडे
राज्यपाल ने भाकृअनुप-उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र का किया अवलोकन, वैज्ञानिकों के कार्यों की सराहना
बीकानेर, 15 अप्रैल। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने मंगलवार को भाकृअनुप-उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर का अवलोकन किया और केंद्र में हो रहे अनुसंधान कार्यों की सराहना की। उन्होंने ऊँटनी के दूध को “अमृततुल्य” बताया और कहा कि ऊँटपालकों को इसका उचित मूल्य मिलना चाहिए, जिससे उन्हें आर्थिक संबल मिल सके और ऊँटों की प्रजाति का संरक्षण भी संभव हो।

राज्यपाल ने केन्द्र स्थित उष्ट्र संग्रहालय का भ्रमण किया और ऊँटों की विविध नस्लों, उनके ऐतिहासिक योगदान, बहुउपयोगिता, व्यवहार, लक्षण और पर्यटन में उनकी भूमिका की जानकारी ली। उन्होंने ऊँट के बाल, खाल व हड्डी से बने उत्पादों को देखा और ऊँटनी के दूध से बनी लस्सी का स्वाद चखा। साथ ही, ऊँटनी के दूध से बने पाउडर की भी सराहना की।
बागडे ने उष्ट्र सवारी स्थल का दौरा किया और ऊँटपालकों से संवाद करते हुए उनके अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के माध्यम से ऊँटनी के दूध की आपूर्ति और अधिक बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि यह आम उपभोक्ताओं तक आसानी से पहुंच सके।
इस अवसर पर महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नागपुर के कुलपति एवं एनआरसीसी के पूर्व निदेशक डॉ. एन.वी. पाटिल ने राज्यपाल को संस्थान की अनुसंधान उपलब्धियों और विभिन्न नस्लों की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी।
केन्द्र निदेशक डॉ. अनिल कुमार पूनिया ने बताया कि एनआरसीसी विश्व स्तरीय संस्थान है, जो ऊँटों के जनन, प्रजनन, पोषण, स्वास्थ्य आदि पर गहन अनुसंधान कर रहा है। उन्होंने बताया कि अनुसंधान में यह स्पष्ट हुआ है कि ऊँटनी का दूध मधुमेह, टी.बी. और आटिज्म जैसे रोगों में लाभकारी है।
राज्यपाल ने वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना करते हुए उष्ट्र संरक्षण एवं विकास हेतु उन्हें प्रोत्साहित किया।