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ज्योतिष में क्षेत्रीय प्रभाव: कैसे बदलते हैं योग देश के अनुसार?

देश काल परिस्थिति के अनुसार समझना होगा ज्‍योतिषीय योगों को

बीकानेर । अगर न्‍यूजीलैंड में जाएंगे तो वहां अधिकांश नागरिकों की आंखों का रंग नीलापन लिए मिलेगा और ऑस्‍ट्रेलिया में हरापन लिए। ऐसे में किसी की आंखों के रंग में बदलाव के लिए बने ज्‍योतिषीय योगों को जब भारत में देखा जाएगा तो काली और गहरी भूरी आंखों से देखेंगे लेकिन नीलापन या हरापन लिए आंखें विशिष्‍ट ज्‍योतिषीय योग लिए होंगी, वहीं न्‍यूजीलैंड और ऑस्‍ट्रेलिया में वहां की आंखों का नीला या हरापन सहज बात होगी। ऐसे में ज्‍योतिषीय योगों को हम ज्‍यों का त्‍यों नहीं ले सकते, इन्‍हें हमें देश, काल और परिस्थिति के अनुरूप ढालकर ही प्रयोग करना होगा।

यह बात पंडित राजेन्‍द्र व्‍यास “ममू महाराज” ने ज्‍योतिष शोध संस्‍थान के तत्‍वावधान में चल रही साप्‍ताहिक ज्‍योतिष गोष्‍ठी के दौरान कही। गोष्‍ठी के दौरान महर्षि दयानन्‍द सरस्‍वती विश्‍वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ दाऊ नारायण पुरोहित ने कई महत्‍वपूर्ण ज्‍योतिषीय योगों के व्‍यवहारिक उपयोग के बारे में बताया। वरिष्‍ठ ज्‍योतिषी एस के आचार्य तथा अविनाश व्‍यास ने भृगु नंदी नाड़ी, मीना नाड़ी तथा चंद्रकला नाडि़यों में दिए गए महत्‍वपूर्ण ज्‍योतिषीय योगों पर चर्चा की।

इससे पूर्व संस्‍थान की नि:शुल्‍क ज्‍योतिष कक्षा के दौरान संस्‍थान सचिव ज्‍योतिषी श्रीराम बिस्‍सा ने विद्यार्थियों को राशियों के लक्षण के बारे में जानकारी दी। स्‍त्री पुरुष, धनात्‍मक ऋणात्‍मक तथा तत्‍वों के आधार पर राशियो का वर्गीकरण बताया। संस्‍थान अध्‍यक्ष सिद्धार्थ जगन्‍नाथ जोशी ने बताया कि अगले सप्‍ताह संस्‍थान की साप्‍ताहिक गोष्‍ठी के दौरान एलन इंस्‍टीट्यूट के कॉर्डिनेटर आशीष बिस्‍सा ज्‍योतिषियों को ह्यूमन एनेटॉमी के बारे में विस्‍तार से जानकारी देंगे।

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