चालान काटने वाले ध्यान किधर है, एक्सीडेंट के कारण इधर है
- गड्ढों और पशुओं के बीच दौड़ता शहर
बीकानेर। शहर की जैसलमेर और जयपुर रोड पर इन दिनों एक नई चुनौती उभर कर सामने आ रही है—सड़कों पर बने गहरे गड्ढे और सड़कों पर विचरते आवारा पशु। बारिश के बाद और भी बदतर हालत में पहुंच चुकी सड़कों पर जगह-जगह डामर उखड़ गया है, वहीं बरसाती पानी ने सड़कों को कोढ़ में खाज बना दिया है। इन टूटी-फूटी सड़कों पर ग्रिट और बजरी बिखरी हुई है, जिससे वाहन चालकों के लिए खतरा और भी बढ़ गया है।

इन्हीं सड़कों पर आवारा पशु बेधड़क घूमते हैं, जैसे सड़कों को ही गोशाला समझ लिया हो। इन खतरनाक स्थितियों के बीच वाहन चालक जान जोखिम में डालकर तेज रफ्तार में गड्ढों और पशुओं से बचने की कोशिश करते हैं, मानो कोई असली जिंदगी का रेस ट्रैक हो। इन परिस्थितियों में दुर्घटना होना तय है, लेकिन कब और कहां, यह कहा नहीं जा सकता।
सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि जहां-जहां यह खतरनाक हालात पैदा हो रहे हैं, वहां ट्रैफिक पुलिस मौजूद है, जो चालान काटने में व्यस्त नजर आती है। मगर सड़कों की खस्ताहालत और पशुओं के विचरण पर उनका ध्यान नहीं जा रहा। ये गड्ढे और आवारा पशु सड़क दुर्घटनाओं का सीधा कारण बन सकते हैं, लेकिन इन पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी किसकी है?
सवाल यह उठता है कि हेलमेट और सीट बेल्ट की अनिवार्यता तो दुर्घटनाओं के बाद की सुरक्षा के लिए है, लेकिन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जो अव्यवस्था सड़कों पर मौजूद है, उस पर क्यों ध्यान नहीं दिया जा रहा? ट्रैफिक पुलिस तुरंत चालान काटकर नियम तोड़ने वालों से जुर्माना वसूल लेती है, लेकिन क्या जर्जर सड़कों और उनमें घूमते पशुओं के लिए जिम्मेदार विभागों पर भी कोई कार्रवाई होती है?
जिन सड़कों से जनता नियमित टैक्स देती है, क्या उनका हक नहीं बनता कि उन्हें सुरक्षित और सुगम आवागमन का अधिकार मिले? चालान वसूली से हुई आय का कुछ हिस्सा सड़कों की मरम्मत और सुधार में लगाया जाना चाहिए, ताकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
जब शहर के मुख्य हाइवे ही जर्जर हालत में होते हैं, तो यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंदरूनी गलियों की स्थिति और भी बदतर होगी। हाइवे पर भारी यातायात और महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियां संचालित होती हैं, इसलिए इनकी मरम्मत और देखभाल पर आमतौर पर प्राथमिकता दी जाती है। इसके बावजूद यदि हाइवे खस्ता हालत में हैं, तो यह संकेत है कि अंदरूनी गलियों, जिन पर ध्यान कम दिया जाता है, की हालत बहुत ही दयनीय हो सकती है।अंदरूनी गलियों में गड्ढों, कीचड़, और जलभराव जैसी समस्याएं आम होती हैं, जो न केवल नागरिकों की दैनिक जिंदगी को प्रभावित करती हैं, बल्कि दुर्घटनाओं का भी कारण बनती हैं। ऐसी स्थिति में पैदल यात्रियों और दोपहिया वाहनों के लिए विशेष रूप से मुश्किलें खड़ी होती हैं।
वाहन चालकों से आग्रह कि वे हेलमेट पहने और सीट बेल्ट लगाएं। यातायात नियमों का पालन कर प्रशासन का सहयोग करें।