BikanerExclusiveSociety

गैर-गोवंशीय पशु उत्पादों में उद्यमिता की प्रबल संभावनाएं

0
(0)

एनआरसीसी में दो दिवसीय संगोष्ठी का समापन

बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी का शुक्रवार को समापन हुआ। ‘सफल उद्यमिता के लिए गैर-गोरवंशीय पशु उत्पादों का प्रसंस्करण, नवाचार और सुधार‘ विषयक इस संगोष्ठी में करीब 125 पशुपालकों, उद्यमियों, शोधकर्ताओं, एनआरसीसी तथा आईसीएआर के संस्थानों/केन्द्रों के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

संगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) मनोज दीक्षित, कुलपति, महाराजा गंगासिंह विश्विद्यालय, बीकानेर ने कहा कि ऊँट प्रजाति के दूध की औषधीयता को वैज्ञानिक एवं चिकित्सकीय समन्वय कर प्रचारित-प्रसारित किया जाना चाहिए। साथ ही इसके गोबर, मूत्र, चमड़े आदि के वैकल्पिक उपयोग को भी समझना होगा ताकि ऊँट पालक इस पशु के बहुआयामी उपयोग को समझें। इससे ऊँटों की मांग स्वतः बढ़ने लगेगी। प्रो.दीक्षित ने किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने, उत्पादों के सुगम विपणन, समन्वयात्मक अनुसंधान आदि विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखीं।

एनआरसीसी के निदेशक तथा कार्यक्रम संयोजक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने कहा कि गैर-गोवंशीय पशु उत्पादों के प्रति पशुपालकों को जागरूक कर उन्हें उद्यमी के रूप में आगे बढ़ाने की महत्ती आवश्यकता है ताकि इन गोवंशीय पशु उत्पादों का लाभ आमजन तक पहुंचाया जा सकें। डॉ.साहू ने पशु उत्पादों की सामाजिक जागरूकता, इनकी सुलभता आदि पहलुओं पर प्रकाश डाला।

उन्होंने हाल ही में सरस डेरी द्वारा उष्ट्र दूध की शुरू की गई बिक्री से भी पशुपालकों को अवगत करवाते हुए कहा कि इससे उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय को एक संबल मिलने के साथ-साथ किसानों की आय में आशातीत वृद्धि हो सकेगी।
संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ.टी.के.गहलोत, एडिटर, जर्नल ऑफ कैमल प्रैक्टिस एण्ड रिसर्च, बीकानेर ने कहा कि ऊँट पालकों की समृद्धि हेतु सतत प्रयास जारी है।

उन्होंने कहा कि ऊँटनी के दूध की वैश्विक स्तर पर उपयोगिता बढ़ रही है साथ ही उन्होंने दूध विपणन, मार्केटिंग, उष्ट्र संरक्षण तथा उष्ट्र पालन पर अनुदान की आवश्यकता जताई। विशिष्ट अतिथि डॉ.एस.पी.जोशी, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग राजस्थान ने किसानों को पशु गोबर को उन्नत खाद में परिवर्तित रसायनिक रहित अनाज उत्पाद बढ़ाने हेतु इसको उपयोग में लेने का महत्व बताया।

समापन कार्यक्रम से पूर्व संगोष्ठी के तकनीकी सत्र में विषय विशेषज्ञों ने किसानों एवं उद्यमियों से संवाद करते हुए फील्ड स्तर पर आ रही उनकी चुनौतियों के निराकरण के उपाय सुझाए। कार्यक्रम में प्रस्तुत पोस्टर व ओरल शोध पत्र, तकनीकी प्रदर्शनी के विजेताओं को सम्मानित किया गया। आयोजन सचिव डॉ.योगेश कुमार द्वारा इस दो दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई तथा धन्यवाद प्रस्ताव आयोजन सह समन्वयक डॉ.सागर अशोक खुलापे द्वारा दिया गया।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

As you found this post useful...

Follow us on social media!

Leave a Reply